मध्य प्रदेश में कोरोना की मार, बिना स्वास्थ्य और गृह मंत्री की सरकार  

एमपी में कोरोना वायरस महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। सबसे बुरा हाल इंदौर का है, जहां कोरोना के 235 मामले सामने आ चुके हैं और साथ ही 23 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इसी तरह भोपाल में भी 94 मरीज सामने आ चुके हैं ।

फोटो : सोशल मीडिया
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संदीप पौराणिक, IANS

दुनिया और देश के अन्य प्रांतों की तरह मध्यप्रदेश में भी कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। मगर यहां व्यवस्था बनाने के लिए सरकार के नाम पर सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही हैं। उनकी टीम में मंत्रिमंडल का एक भी सदस्य नहीं है। वर्तमान में उनकी स्थिति ठीक वैसे ही है जैसे बगैर टीम के कप्तान।

इसी को लेकर विपक्ष राज्य में कोरोना के बेकाबू होने को लेकर मुख्यमंत्री पर हमले बोल रहा है। राज्य में लगभग एक पखवाड़े पहले सत्ता में बदलाव हुआ और मुख्यमंत्री की कमान कमलनाथ के हाथ से खिसककर शिवराज सिंह चौहान के पास आ गई।

चौहान ने 23 मार्च रात को राजभवन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मुख्यमंत्री की शपथ लिए एक पखवाड़े से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, मगर अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। राज्य में कोरोना वायरस महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। सबसे बुरा हाल इंदौर का है, जहां कोरोना के 235 मामले सामने आ चुके हैं और साथ ही 23 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इसी तरह भोपाल में भी 94 मरीज सामने आ चुके हैं ।

वर्तमान में राज्य के लगभग 18 जिले कोरोनावायरस के प्रभाव में हैं। राज्य में वर्तमान स्थिति में सबसे ज्यादा स्वास्थ्य मंत्री और गृह मंत्री की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि मरीजों का इलाज करने का काम स्वास्थ्य अमले का है और लॉकडाउन का पालन कराना पुलिस का काम है, जो कि गृह मंत्री के अंतर्गत आता है। इन दोनों ही मंत्रियों के न होने से कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं और विपक्ष सवाल भी उठा रहा है।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, "राज्य में भाजपा मेहनत के बल पर सत्ता में नहीं आई है, बल्कि गद्दारों की गद्दारी से उसने यह हासिल किया है। राज्य के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बड़े ही अभिभूत हैं। सिंगल मैन आर्मी की तरह अलोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को खींच रहे हैं। चंद नौकरशाहों पर इतना भरोसा ठीक नहीं है, यह घर नहीं है, सरकार चलाने का मसला है।"

उन्होंने कहा, "अन्य मंत्रालयों की अपेक्षा कोरोना संक्रमण से संघर्ष में स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय बहुत ही उपयोगी है। कैबिनेट गठन में हो रहे विलंब और विभिन्न विभागों के मंत्री न होने से राज्य को नुकसान हो रहा है।"


वहीं दूसरी ओर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा, "वर्तमान में सरकार की प्राथमिकता कोरोना से निपटना है। प्रशासन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर बदस्तूर काम कर रहा है, इसलिए आपदा से निपटने के बाद ही मंत्रिमंडल का गठन अथवा दूसरे काम हो सकते हैं।"

इस पर समाजवादी नेता यश भारतीय ने कहा, "वर्तमान में मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य मंत्री की अत्यंत आवश्यकता है मगर कांग्रेस और भाजपा की सत्ता की राजनीति के चलते राज्य बिना स्वास्थ्य मंत्री के चल रहा है। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है।"

वहीं जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि का कहना है कि यह कैसे संभव है कि एक व्यक्ति सारे विभागों की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा सके। इसलिए मुख्यमंत्री को जल्दी ही स्वास्थ्य मंत्री और गृह मंत्री नियुक्त करने चाहिए, ताकि राज्य को इस महामारी के बढ़ते संकट से उबारा जा सके।

ज्ञात हो कि राज्य के 22 विधायकों द्वारा कांग्रेस का साथ छोड़ देने से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भाजपा सत्ता में आई और चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद से ही राज्य में मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इसी बीच महामारी ने दस्तक दे दी। अब पूरा भार मुख्यमंत्री पर आकर टिक गया है।

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