मोदी सरकार का फसलों के समर्थन मूल्य का वादा एक झूठ का पुलिंदा, एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही सरकार: कांग्रेस

मोदी सरकार का किसानों को समर्थन मूल्य का वादा दरअसल एक झूठ का पुलिंदा है। दरअसल मोदी सरकार एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही है। यह आरोप गुरुवार को कांग्रेस ने लगाया।

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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार धरती के भगवान अन्नदाता किसान को लूटने की कोशिश कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता रणीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि, “किसानों को लूटने वाली पाखंडी और पापी मोदी सरकार के पाप का घड़ा अब भर गया है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार किसानों को धोखा देने के लिए ही जन्मी है।“ उन्होंने कहा कि “मोदी सरकार की अब तक जितनी तथाकथित किसान हितैषी योजनाएं हैं, वो बुनियादी रूप से अपने मुट्ठीभर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने तक सीमित रखी गई हैं। चाहे वो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हो, चाहे 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर खेती की अतिरिक्त लागत बढ़ाई गई हो, जमीन हड़पने के अध्यादेश हों या 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दिया गया शपथपत्र हो, जिसमें कह दिया गया कि अगर लागत का 50 प्रतिशत ऊपर किसानों को समर्थन मूल्य दिया गया तो बाजार खराब हो जाएगा।“

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 2022-23 के लिए रबी फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा की है जो कि धोखे की इसी कड़ी का एक हिस्सा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में रबी फसलों का समर्थन मूल्य कितना बढ़ाया गया और लागत व मूल्य आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लागत के ऊपर 50 प्रतिशत दिया जाता, तो किसानों को कितना समर्थन मूल्य मिलता।

उन्होंने कहा कि गेहूं के लिए एमएसपी 2015 रुपए प्रति कुंतल किया गया है। जबकि स्वामीनाथन कमी की सिफारिशों के मुताबिक अगर लागत और 50 फीसदी मुनाफा जोड़े तो गेहूं का समर्थन मूल्य 2.277 रुपए होना चाहिए। इसी तरह सरकार ने जौ का मूल्य 1635 रुपए निर्धारित किया है जबकि यह 2158 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए। इसके अलावा चना का मूल्य 5230 के बजाए 6175 रुपए प्रति कुंतल, अरहर का मूल्य 5500 के बजाय 6175 रुपए प्रति कुंतल, कैनोला और सरसों का मूल्य 5050 के 5259 रुपए प्रति कुंतल और सूरजमुखी का मूल्य 5441 के बजाए 7575 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए।

मोदी सरकार का फसलों के समर्थन मूल्य का वादा एक झूठ का पुलिंदा, एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस नेता ने कहा कि इतना ही नहीं, बीते 7 साल के दौरान सरकार ने डीज़ल, कीटनाशक, खाद, कृषि यंत्रों, ट्रैक्टर पार्ट्स आदि के दामों में वृद्धि करके और 12 से 28 प्रतिशत तक जीएसटी लगाकर प्रति हेक्टेयर खेती की लागत भी 25,000 रुपए बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि मसलन 1 हैक्टेयर में गेहूँ का उत्पादन 3,421 किलोग्राम होता है। इस दृष्टिकोण से गेहूँ की लागत प्रति क्विंटल 730.78 रु. अतिरिक्त बढ़ गई है। अगर इस लागत को भी जोड़ दिया जाए, तो वास्तविकता में गेहूँ का समर्थन मूल्य 2745.78 रु. होना चाहिए।


मोदी सरकार का फसलों के समर्थन मूल्य का वादा एक झूठ का पुलिंदा, एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही सरकार: कांग्रेस

सुरजेवाला ने समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद का सच भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नए कृषि कानूनों में मुट्ठी भर पूंजीपतियों को असीमित मात्रा में संग्रहण की अनुमति दी है, जिससे बड़े व्यापारी जमाखोरी करके फसलों के दाम तोड़ देते हैं और किसानों को फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते, क्योंकि सरकार बहुत कम किसानों से बहुत सीमित मात्रा में समर्थन मूल्य पर फसल खरीदती है।

उन्होंने हवाला देते हुए बताया कि हाल ही में 03 अगस्त, 2021 को मोदी सरकार के कृषि मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 2020-21 में 2,10,07,563 किसानों से समर्थन मूल्य पर फसल की खरीदी की गई है, जबकि देश में कृषि सेंसस के आधार पर 14,65,00,000 किसान हैं और 2020-21 में सरकार ने समर्थन मूल्य पर जिन फसलों को खरीदा है वह दस फीसदी भी नहीं है। ऊपर दी गई तालिका से इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

मोदी सरकार का फसलों के समर्थन मूल्य का वादा एक झूठ का पुलिंदा, एमएसपी खत्म करने की साजिश रच रही सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस सरकार ने 2006-07 से 2013-14 के बीच समर्थन मूल्य में 205 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी। वहीं मोदी सरकार ने धान में मात्र 48 प्रतिशत और गेहूँ में मात्र 43 प्रतिशत की वृद्धि की। इससे स्पष्ट होता है कि किसानों के प्रति कांग्रेस सरकार बेहद संवेदनशील थी, जबकि किसानों का हक मारकर पूंजीपतियों को सौंप देने के लिए मोदी सरकार तत्पर है। ऊपर दी गई तालिका से स्थिति साफ हो जाती है।

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