काली होगी बीएसएनल-एमटीएनल कर्मचारियों की दीवाली, अभी तक नहीं मिला है अगस्त-सितंबर का वेतन

दीवाली सिर पर आ गई है और बीएसएनएल और एमटीएनएल के कर्मचारियों को अभी तक सितंबर माह का वेतन नहीं मिला है। एमटीएनएल के कर्मचारियों को तो अगस्त से अभी तक वेतन नहीं दिया गया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

एमटीएनएल कर्मचारियों को जुलाई का वेतन भी अगस्त के आखिर में मिला था। टेलीकॉम एक्जीक्यूटिव एसोसिएशन ऑफ एमटीएनएल (दिल्ली-मुंबई) के महासचिव ए के कौशिक का कहना है कि, “अधिकारी जल्द ही वेतन देने का वादा कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। दीवाली आ गई है और कर्मचारी बेहद परेशान हैं। दूसरी सरकारी कंपनियों में कर्मचारियों को बोनस आदि मिल रहे हैं, लेकिन एमटीएनएल में तो यह बरसों से नहीं मिला है।” उनका कहना है कि आला अफसरों के कुप्रबंधन का खामियाजा कर्मचारी भुगत रहे हैं।

वहीं बीएसएनएल में भी यह लगातार तीसरा महीना है जब वेतन मिलने में देरी हो रही है। कर्मचारियों को अगस्त का वेतन भी बीस दिन की देरी से मिला था। लेकिन सितंबर माह का वेतन मिलने में जरूरत से ज्यादा देरी हो रही है। इसी तरह फरवरी का वेतन भी इस साल मार्च के आखिर में मिला था।

बीएसएनल एक्जीक्यूटिव एसोसिएशन के महासचिव एस शिवकुमार के मुताबिक, “बुधवार (23 अक्टूबर) को कैबिनेट बैठक होनी है लेकिन बीएसएनएल को उबारने का पैकेज वित्त मंत्रालय के एजेंडा में है ही नहीं और इस बारे में कोई नोट कैबिनेट के सामने नहीं रखा। इस पैकेज में कर्मचारियों को वीआरएस देने, 4 जी स्पेक्ट्रम मुहैया कराने, कंपनी की परिसंपत्तियों से धन उगाहने और वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव है।” शिवकुमार ने बताया कि बीएसएनल सीएमडी पी के पुरवार ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि कैबिनेट बैठक में इसे उठाया जाएगा, लेकिन अब हमें पता चला है कि यह तो एजेंडा में है ही नहीं। उन्होंने कहा कि “आखिर कब तक हम सहते रहेंगे।”

शिवकुमार ने कहा कहा कि, “सभी यूनियने नेताओं का मानना है कि बिना बड़े राजनीतिक फैसले के कैबिनेट बीएसएनल के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देने वाली।”


गौरतलब है कि सीएमडी ने कहा था कि दूरसंचार विभाग बीएसएनल को उबारने के पैकेज पर काम कर रहा है। इसके लिए करीब 6365 करोड़ के पैकेज का प्रस्ताव है। लेकिन इसे अभी तक टेलीकॉम कमीशन की मंजूरी नहीं मिली है। बीएसएनल में 1,63,000 और एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी काम करते हैं। इसके अलावा बीएसएनल को 4 जी स्पेक्ट्रम देने पर भी 14000 करोड़ और एमटीएनएल पर 6000 करोड़ खर्च होने हैं।

पूर्व में वित्त मंत्रालय इन दोनों ही कंपनियों को किसी भी किस्म की वित्तीय सहायता देने का विरोध कर चुका है। मंत्रालय का तर्क है कि इन दोनों कंपनियों को वित्तीय सहायता देने से सरकार पर भारी बोझ पड़ेगा और मौजूदा संसाधनों में इसकी गुंजाइश नहीं है।

इसी साल अगस्त में पीएमओ ने दूरसंचार विभाग से कंपनियों की परिसंपत्तियों की जानकारी मांगी थी और निर्देश दिया था कि ऐसी परिसंपत्तियों की सूची बनाई जाए जिनसे निश्चित समयावधि में धन उगाही की जा सकती है। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने दोनों कंपनियों को उबारने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

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