मुजफ्फरनगर दंगा: मंत्री, BJP नेताओं, सपा सांसद समेत 19 लोगों पर आरोप तय, सुनवाई 30 जनवरी को तय

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने नगला मंडोर गांव में एक पंचायत बैठक में भाग लिया और उन्होंने हिंसा भड़काई। आरोप के मुताबिक, उन्होंने 30 अगस्त 2013 को अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया।

मुजफ्फरनगर दंगा: मंत्री, BJP नेताओं, सपा सांसद समेत 19 लोगों पर आरोप तय, सुनवाई 30 जनवरी को तय
मुजफ्फरनगर दंगा: मंत्री, BJP नेताओं, सपा सांसद समेत 19 लोगों पर आरोप तय, सुनवाई 30 जनवरी को तय
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची, डासना के महंत यति नरसिंहानंद, सपा सांसद हरेंद्र मलिक और अन्य बीजेपी नेताओं समेत 19 लोगों के खिलाफ आज आरोप तय कर दिए। अब मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी।

अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि विशेष सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह फौजदार ने मामले में 19 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना), 153, 353 (ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए।


अभियोजन अधिकारी ने बताया कि अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी। सुनवाई के दौरान सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे। अदालत ने जिनके खिलाफ आरोप तय किया है उनमें यूपी सरकार के व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल, यूपी सरकार के पूर्व मंत्री सुरेश राणा और अशोक कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विहिप नेता साध्वी प्राची, पूर्व बीजेपी सांसद भारतेंदु सिंह, डासना के महंत यति नरसिंहानंद, पूर्व बीजेपी विधायक अशोक कंसल और उमेश मलिक, सपा सांसद हरेंद्र मलिक और अन्य कई बीजेपी के नेताओं के नाम शामिल हैं।

नीरज सिंह ने आज बताया कि 19 लोगों पर मुकदमा चल रहा है और आरोपियों पर मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित एक मामले में आरोप लगाया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने नगला मंडोर गांव में एक पंचायत बैठक में भाग लिया और उन्होंने हिंसा भड़काई। आरोप के मुताबिक, उन्होंने 30 अगस्त 2013 को अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया। वर्ष 2013 में अगस्त और सितंबर में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक झड़पों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।

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