मुजफ्फरनगर दंगा: आशु हत्याकांड में अदालत ने 10 अभियुक्तों को ‘सुबूतों के अभाव’ में बरी किया, 2013 में की गई थी हत्या
मामले की वादी इमराना ने दर्ज कराए गए मुकदमे में आरोप लगाया था कि दंगाइयों ने आठ सितंबर 2013 को उसके पति आशु की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े आशु हत्याकांड मामले की सुनवाई कर रही एक स्थानीय अदालत ने 10 अभियुक्तों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। दोष मुक्त करार दिए गए आरोपियों में गौरव, अमरपाल, रॉकी, रतन, दिनेश, योगेश, अभिषेक, रूबी, कपिल कुमार और मनोज कुमार शामिल हैं।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह ने सभी 10 आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित करने में विफल रहा है।
यह आदेश पिछली 26 सितंबर को पारित किया गया था और दो दिन बाद उपलब्ध कराया गया।
मामले की वादी इमराना ने दर्ज कराए गए मुकदमे में आरोप लगाया था कि दंगाइयों ने आठ सितंबर 2013 को उसके पति आशु की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। घटना के वक्त वह फुगाना गांव में स्कूटर से बस स्टैंड जा रहा था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था और मामले के लंबित रहने के दौरान सचिन नामक आरोपी की मौत हो गई थी।
अधिवक्ता शिवराज सिंह मलिक ने बताया कि सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता इमराना और आशु की मां वकीला समेत दो गवाह मुकर गए और अभियोजन पक्ष के दावों का समर्थन नहीं किया।
मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में सितंबर 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से ज्यादा बेघर हुए थे।
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