बिहार के लिए एनडीए का घोषणा पत्र महागठबंधन के वादों की नकल!

विपक्ष के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने के वादे का मज़ाक उड़ाने वाले एनडीए ने भी बिहार में एक करोड़ 'सरकारी नौकरियों' का वादा किया है। 69 पन्नों के इस घोषणापत्र में विपक्षी दलों के महागठबंधन द्वारा किए गए कई वादों की झलक मिलती है।

एनडीए ने शुक्रवार को पटना में जारी किया बिहार चुनाव के लिए घोषणा पत्र (फोटो सौजन्य एक्स - @BJP4India)
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ए जे प्रबल

बिहार में बड़े उद्योग नहीं लग सकते क्योंकि राज्य में जमीन की कमी है...यह बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में कही ती। फिर भी शुक्रवार 31 अक्टूबर 2025 को पटना में जारी एनडीए के घोषणा पत्र में उसने वादा किया है कि सरकार बनने पर बिहार में 10 इंडस्ट्रियल पार्क, विश्व स्तर की मेडि-सिटी, 100 एमएसएमई पार्क, हर जिले में मेगा स्किल सेंटर और चार और मेट्रो प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। इन सभी को देखें तो ये सारे के सारे बड़े उद्योग हैं, लेकिन इनके लिए जमीन कहां से आएगी, इसका कोई जिक्र नहीं है।

एनडीए के घोषणा पत्र में इस बात का भी कोई जिक्र नहीं है कि जमीन का अधिग्रहण कैसे होगा और लोगों को उसका मुआवजा किस तरह दिया जाएगा। इस घोषणा पत्र में दिखावटी तौर पर उस हर चीज का वादा किया गया है जिसकी उम्मीद बिहार वासी लगा सकते हैं। केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 लाख रुपए। लेकिन ध्यान रहे इसमें अति पिछड़ी जातियों की बात नहीं हो रही है। घोषणा पत्र में एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने और मिशन करोड़पति का ऐलान भी महिला उद्यमियों के लिए है।

लगभग 20 साल तक बिहार में सत्तारूढ़ रहने के बाद एनडीए ने इस बार बिहार को अगले पांच साल में बाढ़ मुक्त करने का भी वादा किया है। इसके लिए घोषणापत्र में बाढ़ प्रबंधन परिषद बनाने का ऐलान है, साथ ही नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट की भी बात है जिसमें नदी के किनारों, नहरों आदि को जोड़ा जाएगा और फ्लड को फॉर्चून नाम देकर कृषि और मत्स्य पालन को लाभ वाला काम बनाने का वादा है।

एनडीए का घोषणा पत्र मोटे तौर पर समाज के हर तबके को रिझाने के लिए जीतोड़ कोशिश करता नजर आता है क्योंकि इसमें हर उस समस्या को सुलझाने या वादे को पूरा करने का वादा है जो बीते 20 साल में पूरा नहीं हो पाया है। घोषणा पत्र का मुख्य बिंदु राज्य के लोगों को एक करोड़ सरकारी नौकरी और रोजगार देना का वादा है ताकि सभी लोगों का ध्यान इसकी तरफ जा सके।


लेकिन घोषणा पत्र जारी होने के बीच भी इस बात की चर्चा है कि आखिर एनडीए ने अपने 20 साल के काम का रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने क्यों नहीं रखा। इस मुद्दे पर हो रही आलोचना और विपक्षी  महागठबंधन इंडिया का घोषणापत्र 28 अक्टूबर को ही सार्वजनिक होने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि एनडीए ने तेजस्वी प्रण को दोहराते हुए काफी कुछ ऐसे वादे कर लिए हैं जो महागठबंधन के घोषणा पत्र में हैं। बता दें कि तेजस्वी प्रण में बिहार के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा है। इसके अलावा महागठबंधन ने अलग से अतिपिछड़ी जातियों के लिए एक 10 सूत्रीय संकल्प पत्र भी जारी किया है। इस संकल्प पत्र से प्रेरणा लेते हुए एनडीए ने भी दलित छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए हर माह 2000 रुपए की आर्थिक सहायता देने का वादा किया है।

हालांकि, एनडीए का सबसे बड़ा वादा एक करोड़ 'सरकारी नौकरियां और रोजगार' पैदा करने का है। दरअसल विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि हर ऐसे परिवार के एक सदस्य को सरकार नौकरी दी जाएगी जिस परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी नौकरी में नहीं है। एनडीए का वादा इसी की नकल है। महागठबंधन का घोषणापत्र जारी होने के बाद पिछले तीन दिनों से एनडीए के नेता तेजस्वी यादव के वादे का मज़ाक उड़ा रहे थे और मीडिया को भी इस कथित 'अविश्वसनीय' वादे का मज़ाक उड़ाने के लिए उकसा रहे थे। लेकिन इस वादे से पैदा ही लहर को देखते हुए एनडीए को खुद ऐसा ही वादा करना पड़ा है।

एडीए के घोषणा पत्र कार्यक्रम में एक और रोचक बात हुई। इसे जारी करते वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्य में एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं समेत ज़्यादातर एनडीए नेता पटना के मौर्या होटल में मौजूद थे। लेकिन इससे पहले कि मीडिया इस बाबत कुछ सवाल पूछता सभी नेता कार्यक्रम स्थल से चले गए। सिर्फ उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को छोड़ दिया गया था जो उन सवालों के बमुश्किल जवाब दे पाए कि इन एक करोड़ सरकार नौकरी और रोजगार के लिए पैसा कहां से आएगा।


सम्राट चौधरी किसी तरह बता पाए कि, " एनडीए की सरकार बनने पर 'मेड इन बिहार' योजना के ज़रिए कृषि निर्यात भी दोगुना किया जाएगा। गिग वर्कर्स और ऑटोरिक्शा चालकों को मदद दी जाएगी और उन्हें वित्तीय सहायता के साथ-साथ कौशल विकास प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।"

एनजीए के घोषणा पत्र में प्रतिक्रियाएं आने लगी है और स्पष्टीकरण आने बाकी है, सवाल पूछे जाने बाकी हैं। अभी बारीक अक्षरों को पढ़कर कोई जवाब देना जल्दबाजी होगी। लेकिन जिस हड़बड़ी में एनडीए ने घोषणापत्र जारी किया, और जिस जल्दबाजी में एनडीए नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया और जिस हड़बड़ी में वे कार्यक्रम स्थल से चले गए, वह सब कुछ बयां करता है।

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