हरियाणा में सांप्रदायिक दंगों का इतिहास नहीं, नूंह हिंसा की जांच मौजूदा न्यायाधीश से कराई जाएः दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अदावा कर रहे हैं कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। लेकिन अगर यह पूर्व नियोजित था, तो उन्होंने इसके बारे में क्या किया? इन सवालों का जवाब स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के बाद ही दिया जा सकता है।

दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से नूंह हिंसा की जांच कराने की मांग की
दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से नूंह हिंसा की जांच कराने की मांग की
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से कराने की मांग करते हुए कहा कि हरियाणा में सांप्रदायिक दंगों का इतिहास नहीं है। हुड्डा ने बताया कि सामान्य तौर पर मेवात क्षेत्र और विशेष रूप से नूंह में विभाजन के दौरान भी कोई हिंसा नहीं देखी गई।

मेवात क्षेत्र के नूंह में हुई हिंसा में दो होमगार्ड जवानों और एक मौलवी सहित कम से कम छह लोगों की जान चली गई है और कई लोग घायल हुए हैं। दीपेंद्र हुडा के अनुसार, यह पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता का संकेत है और कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार को लोगों को स्पष्टीकरण देना चाहिए। नूंह में भड़की हिंसा पड़ोसी जिले फरीदाबाद, पलवल, होडल, गुरुग्राम और सोहना में भी फैल गई।

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में जो कुछ हुआ, वह सभी हरियाणवियों के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और सबसे दर्दनाक है, क्योंकि राज्य में सांप्रदायिक दंगों का कोई इतिहास नहीं है। यह समझाते हुए कि यह कैसे राज्य सरकार की "पूरी तरह से विफलता" थी, उन्होंने कहा, "एक जुलूस निकलना था और पहले भी ऐसे जुलूसों की अनुमति दी गई थी। जो किया जाना चाहिए था, वह मार्ग पर पर्याप्त पुलिस कवर प्रदान करना था, ताकि दोनों समुदायों के बीच टकराव को किसी भी कीमत पर टाला जा सकता।"

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज दावा कर रहे हैं कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। लेकिन अगर यह पूर्व नियोजित था, तो उन्होंने इसके बारे में क्या किया? बीजेपी-जेजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए हुड्डा ने पूछा, "क्या आपको हिंसा की संभावना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी? यदि आपके पास जानकारी थी, तो आपने क्या निवारक उपाय किए। और अगर आपको कोई जानकारी नहीं थी, तो आपकी सीआईडी क्या कर रही थी? अगर सीआईडी ने जानकारी दी थी, तो पुलिस क्या कर रही थी? इन सवालों का जवाब स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के बाद ही दिया जा सकता है। सरकार सच्चाई से छिप नहीं सकती।"


उन्होंने कहा कि अब यह सार्वजनिक डोमेन और मीडिया में सामने आया है कि राज्य सरकार को हिंसा से 10 दिन पहले सांप्रदायिक हिंसा  भड़कने की संभावना के बारे में जानकारी थी, लेकिन स्थानीय पुलिस को इससे निपटने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया था। हुड्डा ने कहा कि कहीं न कहीं बुद्धि खो गई है। सरकार ने सभी को निराश किया है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें किसी बड़ी साजिश का संदेह है, तो कांग्रेस सांसद ने कहा कि बीजेपी नेता और गुरुग्राम से लोकसभा सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने भी ऑन रिकॉर्ड सवाल किया है कि जुलूस में हथियार, तलवार और लाठियां ले जाने की अनुमति कैसे दी गई। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें संदेह है कि कार्रवाई दोनों पक्षों की ओर से पूर्व नियोजित थी और सार्वजनिक डोमेन में प्रसारित वीडियो इसका प्रमाण हैं। फिर भी सीआईडी ने कार्रवाई नहीं की और राज्य सरकार को और अधिक पुलिसकर्मी तैनात करने चाहिए थे।

दीपेंद्र हुडा ने उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला की इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 'आयोजकों ने जुलूस के पैमाने और उनके मार्ग के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। हुडा ने कहा कि हम न केवल दंगाइयों को बेनकाब करना चाहते हैं, बल्कि सरकार को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। देश में हिंसा की घटनाओं पर व्यापक नजरिया रखते हुए हुड्डा ने कहा कि हर दिन देश भर में दिखाई देने वाली खामियों को देखें। उन्हें खुद से पूछने की जरूरत है कि सरकार ने देश के लिए क्या किया है। और सरकार को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।

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