महाराष्ट्र में बीजेपी को नहीं है शिंदे और अजित पवार से जीत का भरोसा, इसीलिए नहीं हो पा रहा सीटों का बंटवारा

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे-अजित पवार के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है। क्या इसके पीछे यह कारण है कि बीजेपी को शिंदे और अजित पवार के हिस्से में आई सीटों पर जीत का भरोसा नहीं है!

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना(शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के बीच सीटों का पेंच फंसा हुआ है
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना(शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के बीच सीटों का पेंच फंसा हुआ है
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नवीन कुमार

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी गठबंधन में लोकसभा की सीटों के बंटवारे को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि बीजेपी के दबाव तंत्र से बंटवारे का पेंच बुरी तर फंस गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब मुंबई में अपनी सरकार में सहयोगी पार्टी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) पर सीटों को लेकर अपना फार्मूला नहीं थोप पाए तो मजबूरन शाह को खाली हाथ दिल्ली लौटना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को दिल्ली बुलाया गया। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों के साथ किसी फार्मूले पर सहमति बनाकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि दरअसल बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जीत के लिए तीन अंदरूनी सर्वे कराए हैं। इन सर्वे के नतीजे आने के बाद से बीजेपी पसोपेश में है। सूत्रों के मुताबिक सर्वे में सामने आया है कि शिंदे गुट की शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी से ज्यादातर सीटों पर जीत का भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और शरद पवार गुट की एनसीपी के पक्ष में समर्थकों और कार्यकर्ताओं की सहानुभूति ज्यादा है। इन नतीजों को ध्यान में रखते हुए ही बीजेपी शिंदे गुट और अजित गुट को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं है।

बताया जाता है कि अमित शाह ने अपने मुंबई दौरे में एकनाथ शिंदे और अजित पवार के सामने साफ-साफ कहा कि गठबंधन को ऐसी सीटें चाहिए जहां जीत की सौ फीसदी गारंटी हो। लेकिन शिंदे और अजित पवार दोनों के पास ही ऐसी सीटें नहीं हैं जिन्हें सौ फीसदी जीत वाली कहा जा सके। इसी आधार पर अमित शाह ने महाराष्ट्र की कुल 48 में से 35 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार उतारने का फार्मूल दिया था, बाकी 13 में से 10 सीटें शिंदे की शिवसेना और 3 सीटें अजित पवार की एनसीपी को देने की बात रखी थी। लेकिन, शिंदे और अजित पवार दोनों को ही यह फार्मूला मंजूर नहीं था। बात न बनने पर अमित शाह दिल्ली लौट गए थे, जिसके बाद शिंदे और अजित पवार को दिल्ली बुलाया गया।

एक बात और है जिसे लेकर बीजेपी परेशान है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के अंदरूनी सर्वे से यह भी सामने आया है कि बीजेपी को उसकी मौजूदा 12 लोकसभा सीटों पर झटका लग सकता है, क्योंकि इन सीटों के मौजूदा सांसदों के कामकाज संतोषजनक नहीं है। साथ ही उनका स्ट्राइक रेट भी उलझा हुआ है। ऐसे में बीजेपी के इन 12 सीटों पर मौजूदा सांसदों का टिकट कटने की भी संभावना है।


इसके अलावा ठाणे में बीजेपी नेता और कार्यकर्ता शिंदे के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे की सीट पर भी दावा ठोक रहे हैं, जबकि एकनाश शिंदे किसी तरह इस सीट को हाथ से नहीं जाने देना चाहते। उधर बारामती की सीट पर पवार परिवार भी आपस में बंटा हुआ है और इस सीट पर अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा को उतारना चाहते हैं, लेकिन इसे लेकर कानाफूसी शुरु हो चुकी है।

ध्यान रहे कि मोदी सरकार की तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए महाराष्ट्र महत्वपूर्ण राज्य है। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र लोकसभा सीटों की संख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं जबकि महाराष्ट्र से 48 सांसद लोकसभा जाते हैं। बीजेपी ने महाराष्ट्र से कम से कम 45 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। लेकिन तीन अंदरूनी सर्वे ने उसकी नींद उड़ा दी है। दूसरी ओर शिवसेना (शिंदे गुट) 22 सीटों पर दावा कर रही है और एनसीपी (अजित गुट) भी खुद को पीछे नहीं रख पा रही है।

इस बीच शिंदे गुट की शिवसेना और बीजेपी के बीच तूतू-मैंमैं भी शुरु हो चुकी है। सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी के दबाव तंत्र के विरोध में शिंदे गुट के नेता रामदास कदम ने मीडिया में खुली चेतावनी भी दी है कि बीजेपी गला दबाने की कोशिश न करे। उन्होंने कहा है कि शिवसेना में इतनी ताकत है कि इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

इसके जवाब में बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि बीजेपी का एहसान मानो कि हमारे पास 105 विधायक होते हुए भी हमने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है। शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने फडणवीस को करारा जबाव देते हुए कहा कि शिंदे साथ नहीं देते तो बीजेपी के 105 विधायक अब तक विपक्ष में ही बैठे होते।

गौरतलब है कि बीजेपी के कथित दबाव तंत्र का एहसास शिवसेना (शिंदे गुट) को पहले से ही है।इसीलिए शाह के मुंबई आने से एक दिन पहले ही शिंदे गुट के नेता और मंत्री शंभूराज देसाई ने स्पष्ट कर दिया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी शिंदे गुट की शिवसेना को 22 सीटें चाहिए।


बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी और शिवसेना (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली) ने एक साथ चुनाव लड़ा था। लेकिन आज शिवसेना दो हिस्सों में बंट चुकी है और बीजेपी के साथ सत्ता में शिंदे गुट की शिवसेना है। इधर अजित गुट के नेता छगन भुजबल ने भी बीजेपी पर दवाब बनाते हुए कहा है कि एनसीपी को भी शिवसेना के बराबर सीटें चाहिए। एनसीपी भी 18 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।

इस सबके बीच सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की रणनीति है कि भले ही शिंदे और अजित पवार नाखुश हों, लेकिन महाराष्ट्र में इस बार बीजेपी के सांसदों की संख्या 30 के पार होनी चाहिए। इस मकसद को हासिल करने के लिए बीजेपी शिंदे और अजित पवार दोनों पर जबरदस्त दबाव बना रही है।

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