कर्ज के ढकोसला पैकेज से नहीं 'न्याय' अपनाकर सीधे नकद देने से ही होगी लोगों की असली मदद और सुधरेगी अर्थव्यवस्था

केंद्र की बीजेपी सरकार ने सोमवार को एक और कथित आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। लेकिन ध्यान से देखें तो यह पैकेज सिर्फ जुमलों से भरा है और इसके जरिए सरकार ने देश को सिवाए धोखे के कुछ नहीं दिया है।

फोटो : Getty Images
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नवजीवन डेस्क

देश के सामने आज को अहम आर्थिक मुद्दें हैं, वे हैं बेहद निचले स्तर पर जीडीपी, मंहगाई की ऊंची दर और बेशुमार और ऊंचे स्तर पर बेरोजगारी। लेकिन जो राजकोषीय प्रोत्साहन सरकार ने पेश किया है उससे इनमें से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

इस पैकेज में न तो मनरेगा के आवंटन में कोई बढ़ोत्तरी हुई, जिसके कि गांवों में लोगों को गारंटी से रोजगार मिल सकता। न ही जीएसटी दरों में कोई अल्पकालिक छूट दी गई, जिससे लोगों को उच्च मुद्रा स्फीति से कुछ राहत मिलती और न ही किसी किस्म की कोई नकद सहायता देने की बात कही गई जिससे कि लोगों के हाथ में पैसा पहुंचता। इस तरह यह राजकोषीय राहत सिवाय पीआर स्टंट के कुछ भी नहीं।

कर्ज के ढकोसला पैकेज से नहीं 'न्याय' अपनाकर सीधे नकद देने से ही होगी लोगों की असली मदद और सुधरेगी अर्थव्यवस्था

ध्यान रहे कि मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021 में ईंधन पर उत्पाद शुल्क के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं। सरकार चाहे तो इस चार लाख करोड़ का सिर्फ 10 फीसदी यानी करीब 40,000 करोड़ रुपया वे कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को राहत के रूप में दे सकती है। यानी दस लाख रुपए प्रति परिवार की दर से राहत दी जा सकती है, लेकिन सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।

कर्ज के ढकोसला पैकेज से नहीं 'न्याय' अपनाकर सीधे नकद देने से ही होगी लोगों की असली मदद और सुधरेगी अर्थव्यवस्था

मोदी सरकार ने सिर्फ क्रेडिट गारंटी की पेशकश की है। यानी सीधा कर्ज भी नहीं बल्कि क्रेडिट गारंटी है, यह और अधिक कर्ज देने की बात है। पहले से ही कर्ज के बोझ में दबे व्यवसायों को और अधिक कर्ज नहीं, तुरंत गैर कर्ज पूंजी चाहिए ताकि उनका पहिया घूम सके। लेकिन सरकार इस पर चुप है।

कोरोना काल में जिन लोगों की नौकरियां गई हैं, उसकी भरपाई का कोई रोडमैप नहीं है, ऐसे में कम आय वाली अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ने का कोई इंतजाम नहीं है। अगर सरकार सीधे लोगों को नकद ट्रांसफर करे तो उससे मांग भी बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पटरी पर आना शुरु करेगी।

कर्ज के ढकोसला पैकेज से नहीं 'न्याय' अपनाकर सीधे नकद देने से ही होगी लोगों की असली मदद और सुधरेगी अर्थव्यवस्था

आंकड़े बताते हैं कि 2020 की शुरुआत से अब तक करीब 7.5 करोड़ लोग गरीबी में धकेल दिए गए। इसी तरह करीब 3.2 करोड़ लोग मध्य वर्ग से बाहर हो गए। ऐसे में इन तबकों को सीधे नकद ट्रांसफर की जरूरत है। उसे ‘न्याय’ देना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने सही ही कहा है कि सरकार के इस कथित आर्थिक पैकेज से कोई परिवार अपने रहने, खाने, दवा, बच्चे की स्कूल फीस आदि पर कैसे खर्च करेगा। उन्होंने सीधे तौर पर इसे एक ढकोसला करार दिया है।

कर्ज के ढकोसला पैकेज से नहीं 'न्याय' अपनाकर सीधे नकद देने से ही होगी लोगों की असली मदद और सुधरेगी अर्थव्यवस्था

सवाल है कि सरकार ने ईंधर पर टैक्स के जरिए जो 4 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं उस पैसे का इस्तेमाल लोगों के कल्याण के लिए क्यों नहीं किया जा रहा है। इस पैसे का इस्तेमाल अस्पतालों पर, ऑक्सीजन के लिए, कोविड मुआवजे के लिए, मेडिकल कॉलेजों के लिए और सीधे ट्रांसफर के लिए किया जा सकता है।

इस तरह देखें तो मोदी सरकार का राजकोषीय पैकेज बीजेपी का एक और जुमला और ढकोसला भर है।

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