चमोली में ग्लेशियर नहीं, हिमस्खलन ने मचाई तबाही, उत्तराखंड आपदा पर इसरो के दावे से तस्वीर साफ

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि वैज्ञानिकों के अनुसार चमोली में ग्लेशियर नहीं टूटा, बल्कि हाल में हुई बर्फबारी में जमी कच्ची बर्फ एक पहाड़ी की चोटी के साथ खिसक गई, जिससे लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे आ गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को मची तबाही किसी ग्लेशियर के टूटने की वजह से नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर हिमस्खलन की वजह से आई है। यह निष्कर्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सेटेलाइट डाटा और तस्वीरों के आधार पर निकाला है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार हाल में इस क्षेत्र में हुई बर्फबारी के दौरान गिरी बर्फ एक पर्वत चोटी के हिस्से के साथ खिसक गई, जिसने बड़े हिमस्खलन का रूप ले लिया और लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे गिर गया, जिसने ऋषिगंगा में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए।

यह जानकारी सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी। उन्होंने बताया कि रविवार को ऋषिगंगा में आई बाढ़ ग्लेशियर की वजह से नहीं, बल्कि हिमस्खलन की वजह से आई थी। रावत ने बताया कि इसरो के निदेशक ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि चमोली के ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में ग्लेशियर नहीं टूटा था। बल्कि हाल में हुई बर्फबारी में जमी कच्ची बर्फ एक पहाड़ी की चोटी के साथ खिसक गई, जिससे लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे आ गया। जिस स्थान पर यह हिमस्खलन हुआ, वहां ग्लेशियर नहीं था।

इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली में आई आपदा के कारणों को जानने के लिए आज वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक के दौरान हादसे के पीछे के कारणों को समझने के लिए देश के कई वैज्ञानिक संस्थाओं के विशेषज्ञों से भी चर्चा की गई। सीएम रावत ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से इसके लिए इसरो से भी संपर्क किया गया था, जिसके बाद इसरो ने अपने सेटेलाइज इमेज के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।

इस बीच अचानक से चमोली में आई आपदा के कारणों को जानने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने अमेरिका की एक प्राइवेट सैटेलाइट प्लैनेट लैब से भी मदद ली, जिसने भी कुछ सटीक तस्वीरें उपलब्ध कराईं। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख गिरीश जोशी ने बताया कि निजी कंपनी का यह सैटेलाइट हाल ही में इस क्षेत्र से गुजरा था। उसके द्वारा ली गईं अलग-अलग तस्वीरों से यह निष्कर्ष निकला है कि इस क्षेत्र में हिमस्खलन यानी एवलांच की वजह से इतनी बड़ी आपदा आई। उन्होंने बताया कि यह हिमस्खलन कुल 14 वर्ग किमी क्षेत्र में आया, जिसके कारण ऐसी भीषण आपदा आई।

बता दें कि रविवार की सुबह आई आपदा के बाद से अब तक 19 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस बीच बताया जा रहा है कि डेढ़ दिन के बाद भी सुरंग में 30 से 35 श्रमिक फंसे हुए हैं। वहीं सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम लगातार राहत और बचाव के काम में लगी हुई हैं। सुरंग में गाद की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि आज रात भी राहत और बचाव कार्य को अंजाम दिया जाएगा।

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