अब पांचों चुनावी राज्यों में बीजेपी को घेरेंगे किसान, लोगों से भगवा पार्टी को वोट नहीं देने की करेंगे अपील

इससे एक दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को आगे बढ़ाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए 15 मार्च से 28 मार्च तक आंदोलन का खाका पेश किया। इसके तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर 26 मार्च को एक बार फिर भारत बंद का आह्वान किया है।

फोटो सौजन्यः द क्विंट
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नवजीवन डेस्क

मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 106 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों ने अब उन पांच राज्यों में जाने का फैसला किया है, जहां चुनाव होने वाले हैं। किसानों ने ऐलान किया है कि वे चुनावी राज्य में जाएंगे और लोगों से अपील करेंगे कि वो बीजेपी को छोड़कर किसी को भी वोट दे दें।

इस बारे में बताते हुए चंडीगढ़ में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “किसानों के विरोध प्रदर्शन को 105 दिन हो गए हैं। हमने उन टीमों का गठन करने का फैसला किया है जो उन 5 राज्यों का दौरा करेंगी जहां चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों में जाकर लोगों से अपील की जाएगी कि लोग बीजेपी को नहीं बल्कि किसी को भी वोट दे सकते हैं।” राजेवाल ने बताया कि वह कोलकाता जाएंगे।

इससे एक दिन पहले सिंघु बॉर्डर पर अहम बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सरकार पर दबाब बनाने के लिए 15 मार्च से 28 मार्च तक आंदोलन का खाका तैयार किया गया। रुपरेखा के तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर 26 मार्च को एक बार फिर भारत बंद का आह्वान किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, 17 मार्च को मजदूर संगठनों और अन्य जन अधिकार संगठनों के साथ 26 मार्च के प्रस्तावित भारत बंद को सफल बनाने के लिए एक कन्वेंशन किया जाएगा। मोर्चा ने कहा कि 15 मार्च को कॉरपोरेट विरोधी दिवस और सरकार विरोधी दिवस मनाया जाएगा, जिसमें डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं के बढ़ रहे दामों के खिलाफ डीएम और एसडीएम को ज्ञापन देकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

कार्यक्रम के अनुसार, उसी दिन देश भर के रेलवे स्टेशनों पर मजदूर संगठनों के साथ निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद 19 मार्च को मुजारा लहर का दिन मनाया जाएगा और एफसीआई और खेती बचाओ कार्यक्रम के तहत देश भर की मंडियों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। फिर 23 मार्च को शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर देश भर के नौजवान दिल्ली सीमा पर किसानों के धरनों में शामिल होंगे। अंत में 28 मार्च को देश भर में होली दहन में नए कृषि कानून जलाए जाएंगे।

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा संसद से पास कराए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसान पिछले साल 26 नवंबर से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। अब तक इस आंदोलन के दौरान 280 से ज्यादा किसानों की मौत भी हो चुकी है। वहीं मुद्दे के हल के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। सरकार अपने रवैये पर कायम है और बार-बार कह चुकी है कि वो इन कानूनों को वापस नहीं लेगी।

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