ओडिशा: रायगढ़ में खनन कंपनियों की मनमानी का विरोध, काम मांगने पर 35 महिलाओं को 7 बच्चों समेत पकड़ ले गई पुलिस

ओडिशा के रायगढ़ जिले के लोगों का कहना है कि खदान में और इसके पास कंपनी की डेढ़ मिलियन टन की एलुमिना रिफाइनरी में नौकरी पाना उनका अधिकार है क्योंकि वे बॉक्साइट की खुदाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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आशुतोष मिश्रा

ओडिशा के रायगढ़ जिले के खनिजों से भरपूर काशीपुर क्षेत्र में इन दिनों बॉक्साइट की खुदाई में लगी आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी उत्कल एलुमिना इंटरनेशनल लिमिटेड और स्थानीय लोगों के बीच तनाव इस कदर बढ़ रहा है कि पिछले 3 जनवरी को पुलिस ने खदानों के सबसे करीबी गांव पैकाकुपाखल की 35 महिलाओं को उनके सात बच्चों समेत गिरफ्तार कर लिया। 96 घंटे बाद इस रिपोर्ट को फाइल किए जाने तक जेल से इनकी रिहाई नहीं हुई थी। ये दलित महिलाएं कंपनी की बफलामालि बॉक्साइट खदान में सफाई-जैसे छोटे-मोटे कामों की मांग कर रही हैं।

गांववालों का कहना है कि खदान में और इसके पास कंपनी की डेढ़ मिलियन टन की एलुमिना रिफाइनरी में नौकरी पाना उनका अधिकार है क्योंकि वे बॉक्साइट की खुदाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वहीं कंपनी का कहना है कि जो लोग यह आंदोलन कर रहे हैं, उनकी न तो जमीन गई है और न ही वे विस्थापित हैं इसलिए ये लोग स्थायी नियुक्ति का कोई दावा नहीं कर सकते। लेकिन उनकी मदद के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। दो गांवों- द्विमुन्डी और पैकाकुपाखल, में सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए गए हैं और पूरी कोशिश की गए है कि लोगों के लिए रोजगार के साधन पैदा किए जा सकें।


रायगड़ा के पुलिस अधीक्षक सर्वाना विवेक एम के अनुसार, पुलिस महिलाओं को गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी लेकिन महिलाएं अपना आंदोलन रोकने को तैयार नहीं थीं इसलिए यह कदम उठाना पड़ा। उनके अनुसार, अदालत का आदेश है कि कंपनी की गाड़ियों को खदान में आने जाने से रोका नहीं जाना चाहिए और इस आदेश का पालन करना जरूरी था जबकि इन महिलाओं ने खदान में आने-जाने वाली कंपनी की गाड़ियों को रोकना शुरू कर दिया था।

इस मुद्दे पर काशीपुर बंद करने वाले रायगड़ा के निर्दलीय विधायक मकरंद मुदुली के अनुसार, इस क्षेत्र में हो रही बॉक्साइट की खुदाई की वजह से 12 से 14 गांव प्रभावित हो रहे हैं। वह कहते हैं कि इन गांवों में माइनिंग की वजह से अच्छा खासा प्रदूषण है और इसका प्रभाव जमीन और पानी पर भी पड़ता है। वह पूछते हैं कि इन नुकसानों के लिए गांव वालों की भरपाई कौन करेगा और क्या उनका नौकरी मांगना भी गुनाह है?


इस पूरे क्षेत्र में खनिज उत्खनन के खिलाफ एक अरसे से आंदोलन हो रहा है। दिसंबर, 2000 में काशीपुर के माईकांच गांव में ऐसे ही आंदोलन पर पुलिस ने गोली चलाई थी जिसमें तीन आदिवासी मारे गए थे और करीब 8 अन्य लोग घायल हुए थे। मुदुली-जैसे लोगों का मानना है कि स्थितियां एक बार फिर से वैसी ही बन रही हैं। पैकाकुपाखल निवासी कुलधर बाग का कहना है कि मेरी दो-दो भाभियां जेल में हैं। कुछ महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों के साथ जेल में हैं। हम उनकी जमानत करवाने के लिए दौड़ रहे हैं। आज नहीं तो कल उनकी जमानत हो जाएगी लेकिन उनका क्या कुसूर था जिसके लिए उन्हें जेल भेजा गया।

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