ओडिशा रेल हादसा: वो एक चूक और चली गई सैकड़ों यात्रियों की जान, डेटा लॉगर से दुर्घटना की असल वजह आई सामने!

डेटा लॉगर से मिली जानकारी के अनुसार, कोरोमंडल ट्रेन को होम सिग्नल और आउटर सिग्नल दोनों पर हरी झंडी दी गई थी। लेकिन अचानक से पहले अप लाइन पर फिर लूप लाइन पर सिग्नल रेड हो गया। लूप लाइन पर ही कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं। कई ऐसे शव पड़े हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। प्रशासन को इंतजार है कि उनके परिजन आएं और डेड बॉडी को ले जाएं। इस बीच मामले की जांच जारी है। जांच में इस बात को जानने की कोशिश की जा रही है कि आखिर रेल हादसा कैसे हुआ? हादसे के पीछे असल वजह क्या थी? इस बीच हादसे को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। डेटा लॉगर से मिली जानकारी के अनुसार, कोरोमंडल ट्रेन को होम सिग्नल और आउटर सिग्नल दोनों पर हरी झंडी दी गई थी। लेकिन अचानक से पहले अप लाइन पर फिर लूप लाइन पर सिग्नल रेड हो गया। लूप लाइन पर ही कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'आज तक' ने बालासोर ट्रेन हादसे के डेटा लॉगर को एक्सेस किया है। डेटा लॉगर को ट्रेन का ब्लैक बॉक्स भी कहा जाता है। बताया जा रहा है कि यह वही डेटा लॉगर है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने दिखाया था। रेलवे बोर्ड के सिग्नलिंग और टेलीकॉम के पूर्व महानिदेशक अखिल अग्रवाल ने बताया कि बालासोर हादसे में जो कुछ हुआ, डेटा लॉगर समय के साथ इसे दर्शाता है। डायग्राम बताता है कि स्टेशन मास्टर को सूचित करने के लिए ट्रैक में कई सेंसर होते हैं। यह बताता है कि कोई प्लेटफॉर्म खाली है या नहीं। साथ ही यह भी दिखाता है कि अगर किसी प्लेटफॉर्म पर ट्रेन है, तो वह स्थिर है या चल रही है।


आखिर कैसे हुआ हादसा?

अखिल अग्रवाल के मुताबिक, जब ट्रैक पर कोई ट्रेन खड़ी होती है, तो डेटा लॉगर पर लाइन लाल हो जाती है। जब ट्रैक खाली होता है, तो यह ग्रे हो जाता है। जब सिगनल साफ होकर पीला हो जाता है, तो UP और DOWN लाइन पीली हो जाती हैं। सबसे पहले डाउन लाइन पर यशवंतपुर-हावड़ा ट्रेन को निकालने के लिए पीले और हरे रंग के सिग्नल को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद अप लाइन के सिग्नल को कोरोमंडल ट्रेन के लिए साफ किया गया था।

अग्रवाल ने बताया कि जब हावड़ा ट्रेन गुजर रही होती है, तब कोरोमंडल ट्रेन बहनागा बाजार स्टेशन के पास पहुंचना शुरू कर देती है। उस समय कोरोमंडल ट्रेन को होम सिग्नल और आउटर सिग्नल दोनों पर हरी झंडी दी गई। अचानक अप लाइन का ट्रैक लाल हो गया और फिर लूप लाइन का ट्रैक भी लाल हो गया। इसी पर मालगाड़ी खड़ी थी। लॉग पर समय 18.55 था। इस पूरे हादसे को डाटा लॉगर पर देखा जा सकता है।

अग्रवाल के अनुसार, कोई भी घटना होती है, तो इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को एक रिले (संदेश) भेजा जाता है। जब रिले की स्थिति बदलती है तो इसे लॉगर में टाइम स्टैम्प के साथ दिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेन को जिस दिशा में जाना है, वह उसी दिशा में जाए। कोरोमंडल एक्सप्रेस सीधे अप लाइन में जा रही थी। ऐसे में उसे ग्रीन सिग्नल के बाद अधिकतम स्वीकार्य गति से अप ट्रैक पर ही जाना था। अखिल अग्रवाल ने कहा कि जो भी जांच करेगा, वह डेटा लॉगर को देखेगा और पूछताछ में इसका प्रयोग करेगा।

ओडिशा रेल हादसे में गई थी 288 लोगों की जान

ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को बड़ा रेल हादसा हुआ था। कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। टक्कर इतनी तेज थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे पटरी से उतर गए थे और बगल से गुजर रही यशवंतपुर हावड़ा ट्रेन से टकरा गए। हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में 1100 से ज्यादा घायल हुए थे।

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Published: 08 Jun 2023, 10:09 AM