एक साल से सस्पेंड है ज़हरीले बयानों पर कपिल मिश्रा की शिकायत करने वाला अधिकारी, आखिर किसका हाथ है सिर पर

दिल्ली हिंसा को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा आरोपों के घेरे में हैं और उन पर केस दर्ज करने की मांग हो रही है। लेकिन इससे पहले भी वह लगातार भड़काऊ बयान देते रहे हैं। इसी तरह के एक मामले की शिकायत करने पर दूरसंचार विभाग का एक अधिकारी आज तक सस्पेंड है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पिछले कई दिनों से भड़काऊ बयानों को लेकर चर्चा में चल रहे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा सवालों के घेरे में हैं। तमाम विपक्षी नेताओं सहित सिविल सोसायटी और आम लोग कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों को ही दिल्ली हिंसा की वजह मान रहे हैं और इसके लिए उन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कोर्ट में कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों को सुना और अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई। लेकिन फिलहाल अभी तक उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि 4 दिन तक देश की राजधानी का एक हिस्सा जलने और 34 से ज्यादा लोगों की मौत और सैंकड़ों लोगों के घायल होने के बावजूद आखिर कपिल मिश्रा के खिलाफ अब तक पुलिस कोई कदम क्यों नहीं उटा रही है। आखिर कपिल मिश्रा इतने ताकतवर क्यों दिख रहे हैं, सारे सबूत और तथ्य मौजूद होने के बावजूद पुलिस कुछ करना तो दूर उनके खिलाफ एक शब्द तक बोल नहीं पा रही है। क्या कपिल मिश्रा के सिर पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का हाथ है? क्या इन दोनों नेताओं ने कपिल मिश्रा को देश में आग लगाने की छूट दे रखी है?

ये सारे सवाल उठना लाजिमी हैं। क्योंकि यह पहला मौका नहीं है, जब कपिल मिश्रा ने कोई भड़काऊ बयान दिया है। इससे पहले भी वह बीते कई सालों से लगातार भड़काऊ बयान देते आए हैं। आम आदमी पार्टी से दूरियां बढ़ने के साथ ही उनके बयानों का जहर भी धीरे-धीरे तेज होने लगा था। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक मामला एक साल पहले आया था, जब उनके भड़काऊ बयान की शिकायत करने पर उनके खिलाफ तो कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि शिकायत करने वाले अधिकारी को ही सस्पेंड कर दिया गया। और आपको शायद झटका लगे कि शिकायत करने वाला वह अधिकारी पिछले एक साल से अब तक सस्पेंड ही है।

दरअसल एक साल पहले फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के फौरन बाद कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर एक वीडियो के साथ एक भड़काऊ कविता पोस्ट की थी, जिसके खिलाफ खिलाफ दूरसंचार विभाग के अधिकारी आशीष जोशी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की थी। इसे राष्ट्रवादी राजनीति की विडंबना ही कहेंगे कि पुलिस ने इस मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ तो कुछ नहीं किया, लेकिन केंद्र सरकार ने शिकायत करने वाले अधिकारी आशीष जोशी को ही सस्पेंड कर दिया गया। और जोशी पिछले एक साल से अब तक सस्पेंड ही चल रहे हैं।


बता दें कि कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर एक वीडियो के साथ लिखा था, 'मोदी जी तुम देखो जो दुश्मन हैं सीमा पार, बाकी जनता निपटा देगी घर में छिपे हुए गद्दार।' इस ट्वीट के सामने आने के बाद दूरसंचार अधिकारी आशीष जोशी ने पुलिस कमिश्नर से शिकायत करते हुए कहा था कि कपिल मिश्रा ने बेहद भड़काऊ वीडियो शेयर किया है, जो देश के नागरिकों को देश के ही कुछ लोगों पर हमला करने के लिए उकसाता है, जो कि भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट के तहत गैरकानूनी है।

लेकिन दिल्ली पुलिस या पुलिस कमिश्नर की तरफ से कार्रवाई क्या होती, शिकायतकर्ता आशीष जोशी को लपेटे में आ गए। इस मामले पर मंत्रालय ने अशीष को ये कहकर सस्पेंड किया कि उन्होंने अपने अधिकारियों की सलाह के बिना ये कदम उठाया है। यहां यह भी गौरतलब है कि आशीष के खिलाफ कार्रवाई से पहले विभाग ने न तो उन्हें तलब किया और न ही उनसे कोई सफाई मांगी। सीधा उनके सस्पेंशन के ऑर्डर जारी कर दिए गए। जोशी अभी भी सस्पेंड चल रहे हैं। हर तीन महीने पर उनका सस्पेंशन बढ़ा दिया जाता है।

बता दें कि दिल्ली के जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के नीचे 22 और 23 फरवरी की रात से सीएए के खिलाफ शुरू हुए महिलाओं के धरने के खिलाफ लोगों को भड़काते हुए कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट में कहा कि जाफराबाद के जवाब में सड़क पर उतरना जरूरी हो गया है। इसके बाद मिश्रा अपने समर्थकों के साथ मौजपुर चौक की रेड लाइट पर पहुंच गए और महिलाओं के धरने के खिलाफ धरने पर बैठ गए।

यहीं पर इलाके के डीसीपी की मौजूदगी में लोगों को संबोधित करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा था, “डीसीपी साहब, आप सबके सामने खड़े हैं। मैं आप सबकी ओर से ये बात कह रहा हूं कि ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं। लेकिन अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे।” कपिल मिश्रा के इसी बयान के बाद शाम से इलाके में हिंसा भड़क गई और दूसरे दिन होते-होते इस हिंसा ने भयानक रूप ले लिया।

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