SIR में OBC वोटरों का नाम काटने का दबाव बना रहे थे अधिकारी, गोंडा में आत्महत्या करने वाले BLO के परिवार का आरोप
कांग्रेस ने कहा कि असल में अंदरखाने ये आदेश दिया गया है कि पिछड़ों, दलितों, वंचितों और विपक्ष समर्थित वोटर के नाम काटे जाएं और बीजेपी के हिसाब की वोटर लिस्ट बनाई जाए। ज्ञानेश कुमार और नरेंद्र मोदी लोकतंत्र को खत्म करने पर लगे हैं और एसआईआर उसी का औजार है।

निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में जारी मतदाता सूची का एसआईआर लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। बंगाल से लेकर यूपी तक एसआईआर में लगे कई बीएलओ की आत्महत्या और मौत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। इसी तरह का मामला यूपी के गोंडा में सामने आया है जहां एसआईआर में लगे बीएलओ विपिन यादव के आत्महत्या करने पर उनके परिजनों ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
गोंडा में आत्महत्या करने वाले बीएलओ विपिन यादव के परिवार का कहना है कि एसडीएम और लेखपाल एसआईआर में ओबीसी वोटरों के नाम काटने का दबाव बना रहे थे। विपिन यादव ने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें नौकरी से निकालने और पुलिस से उठवाने की धमकी दी गई। परिवार का आरोप है कि विपिन यादव से कहा गया था कि ओबीसी वोटरों के नाम काटो वरना नौकरी खत्म कर दी जाएगी। जिसके बाद विपिन यादव ने आत्महत्या कर ली।
बीएलओ विपिन यादव के पिता सुरेश यादव ने फूट-फूटकर कर बताया कि मरने से पहले बेटे ने फोन पर बताया था कि अफसर उस पर पिछड़े वर्ग के वोट काटने का दबाव बना रहे थे। शिक्षक बिपिन यादव के रोते हुए पिता ने बताया कि बेटे को एसडीएम धमकाते थे कि ओबीसी वोटर्स के नाम हटाओ।
कांग्रेस ने बिपिन यादव के रोते-बिलखते परिजनों का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि ये है एसआई की वो हकीकत, जिसके चलते बीएलओ आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। असल में अंदरखाने ये आदेश दिया गया है कि पिछड़ों, दलितों, वंचितों और विपक्ष समर्थित वोटरों के नाम काटे जाएं और बीजेपी के हिसाब की वोटर लिस्ट बनाई जाए। ज्ञानेश कुमार और नरेंद्र मोदी लोकतंत्र को खत्म करने पर लगे हैं और एसआईआर उसी का औजार है। बीजेपी सरकार, जवाब दे कि क्या आपकी सत्ता की लालसा ने एक ईमानदार शिक्षक को मार डाला? क्या अब चुनाव आयोग भी ओबीसी मताधिकार की हत्या पर खामोश रहेगा?
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