वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल लोकसभा से पास, पक्ष में पड़े 269 वोट, जेपीसी में भेजने का फैसला
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम इस बिल का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं। इस बिल के जरिए राष्ट्रपति को ज्यादा शक्ति दी गई है कि वह अब 82 ए के द्वारा विधानसभा को भंग कर सकते हैं। ये अतिरिक्त शक्ति राष्ट्रपति के साथ चुनाव आयोग को भी दी गई है।

लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश किया। इस बिल के पेश होने के बाद सांसद में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसदों ने इस बिल को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। भारी हंगामे के बीच इस बिल को स्वीकार कराने के लिए लोकसभा में वोटिंग कराई गई। बिल के समर्थन में कुल 269 सांसदों ने वोटिंग की तो वहीं, इस बिल के खिलाफ 198 सांसदों ने मत दिया। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से वोटिंग कराई गई। बिल को अब विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा।
बता दें कि लोकसभा में इस बिल को पेश किए जाने का कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना उद्धव गुट समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध किया। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि जो एक साथ 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव नहीं करा पाए वह पूरे देश में एक साथ चुनाव की बात करते हैं। वहीं, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "हम इस बिल का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं। इस बिल के जरिए राष्ट्रपति को ज्यादा शक्ति दी गई है कि वह अब 82 ए के द्वारा विधानसभा को भंग कर सकते हैं। ये अतिरिक्त शक्ति राष्ट्रपति के साथ चुनाव आयोग को भी दी गई है। 2014 के चुनाव में 3700 करोड़ खर्च हुआ, इसके लिए ये असंवैधानिक कानून लाए हैं। संविधान में लिखा है कि पांच साल के कार्यकाल से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पूरे भारत के चुनाव को प्रभावित करेगा, हम ये नहीं होने देंगे। हम इसका विरोध करते हैं। इस बिल को जेपीसी में भेजा जाए।"
वहीं, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और एनडीए में शामिल बीजेपी के सहयोगी दलों ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक का समर्थन किया। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि एक साथ चुनाव होने से देश का पैसा बचेगा। अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो लगभग 40 प्रतिशत खर्च बचेगा। इसी तरह हर पार्टी का पैसा भी बचेगा।
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