लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल पास, टीम इंडिया की स्पॉन्सर ड्रीम-11 हो सकती है बैन, रमी-पोकर पर भी तलवार
इस विधेयक का सबसे ज्यादा असर क्रिकेट पर पड़ सकता है। भारतीय क्रिकेट टीम का टाइटल प्रायोजक ड्रीम 11 है। वहीं इंडियन प्रीमियर लीग का आधिकारिक फैंटेसी स्पोर्ट्स भागीदार वास्तविक धन वाला ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ‘माई11 सर्कल’ है।

लोकसभा में बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास हो गया। ये बिल ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने और रियल-मनी गेम्स पर रोक लगाने के लिए है। इस बिल के राज्यसभा से पास हो जाने पर सभी मनी बेस्ड ऑनलाइन गेम्स पर रोक लग जाएगी। चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक लगेगी। इसका असर ड्रीम-11 जैसे भारतीय क्रिकेट टीम के लीड स्पॉन्सर पर पड़ेगा और क्रिकेट को भारी राजस्व का नुकसान होगा।
दरअसल केंद्र सरकार विवादित और लुभाने वाली रियल-मनी ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया पर लगाम कसने की तैयारी में है। इसके लिए एक नया विधेयक लाया गया है जिसके तहत गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और उनके सेलिब्रिटी प्रमोटर्स पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। प्रस्तावित कानून में ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध, जुर्माना और जेल की सजा जैसे प्रावधान मुख्य तौर पर शामिल हैं।
बिल में कई सख्त नियम:
कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, उसका प्रचार करना गैरकानूनी होगा। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
साथ ही कहा गया है कि पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, आशंका जताई जा रही है कि यह बिल वास्तविक धन वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म का अंत कर सकता है जिनकी भारतीय खेलों, विशेषकर क्रिकेट के प्रायोजन बाजार में हिस्सेदारी है। इस विधेयक का उद्देश्य तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक को विनियमित करना है जो देश के ई-स्पोर्ट्स जगत के लिए एक सुखद खबर है। लेकिन अरबों डॉलर के ‘फैंटेसी गेमिंग’ उद्योग के राजस्व में भारी गिरावट देखी जा सकती है जिसमें क्रिकेट के प्रायोजन में बड़ी रकम खर्च करने वाली कंपनियां शामिल हैं। यह खेल प्रायोजन बाजार को भी प्रभावित कर सकता है जिसमें व्यक्तिगत खिलाड़ियों का प्रायोजन और कबड्डी, फुटबॉल जैसे खेलों की फ्रैंचाइजी आधारित घरेलू लीग शामिल हैं।
इस विधेयक का सबसे ज्यादा असर क्रिकेट पर पड़ सकता है। भारतीय क्रिकेट टीम का टाइटल प्रायोजक ड्रीम 11 है। वहीं इंडियन प्रीमियर लीग का आधिकारिक फैंटेसी स्पोर्ट्स भागीदार वास्तविक धन वाला ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ‘माई11 सर्कल’ है। ड्रीम 11 ने भारतीय टीम के टाइटल अधिकार लगभग 44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 358 करोड़ रुपये) में खरीदे हैं। माई11 सर्कल ने आईपीएल फैंटेसी गेमिंग अधिकार पांच वर्षों के लिए 625 करोड़ रुपये (लगभग 125 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) में खरीदे हैं। इसके अलावा देश के शीर्ष क्रिकेटरों (पूर्व और वर्तमान) के विभिन्न वास्तविक धन वाले गेमिंग प्लेटफार्म के साथ भारी-भरकम व्यक्तिगत विज्ञापन करार हैं। इन सभी फैंटेसी गेमिंग ऐप का इतना विशाल राजस्व स्रोत प्रतिबंध के कारण निश्चित रूप से कम हो जाएगा और इसलिए खेल में आने वाला पैसा भी काफी कम हो जाएगा।
वहीं सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए हैं कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आई हैं। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है।