मानसून सत्र के पहले हफ्ते लोकसभा में सिर्फ 16 फिसदी काम हुआ, राज्यसभा में भी 27 प्रतिशत ही रहा कामकाज

केंद्र सरकार और विपक्ष के रवैये को देखते हुए मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान भी सदन में कामकाज हो पाने की संभावना पर फिलहाल ग्रहण लगा हुआ ही नजर आ रहा है। हालांकि खबर है कि दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष को सहमति पर लाने की कोशिश लगातार की जा रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

खाद्य पदार्थों पर जीएसटी और महंगाई के खिलाफ विपक्षी दलों के लगातार विरोध और हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले हफ्ते में बहुत कम कामकाज हो पाया। मानसून सत्र के पहले हफ्ते राज्यसभा में 27 प्रतिशत और लोकसभा में औसतन केवल 16 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया। सरकार और विपक्ष के रवैये को देखते हुए संसद के मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान भी सदन में कामकाज हो पाने की संभावना पर फिलहाल ग्रहण लगा हुआ ही नजर आ रहा है।

सोमवार, 18 जुलाई को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जीएसटी और महंगाई पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया। मंगलवार और बुधवार को भी विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से कोई कामकाज नहीं हो पाया। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस सांसदों ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया, वहीं अन्य विपक्षी दल इस दिन भी जीएसटी और महंगाई का मुद्दा उठाते रहे।


सदन में लगातार हंगामे के कारण, राज्यसभा में पहले तीन दिनों के दौरान केवल एक घंटे 16 मिनट ही कामकाज हो पाया। चौथे और पांचवे दिन राज्यसभा में 5 घंटे 31 मिनट कामकाज हुआ। हंगामे और बार-बार स्थगन की वजह से राज्यसभा को 18 घंटे 44 मिनट के कामकाज का नुकसान झेलना पड़ा। मानसून सत्र के पहले सप्ताह के दौरान राज्यसभा में केवल 27 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया।

राज्यसभा के मुकाबले लोकसभा में कामकाज का प्रतिशत और भी ज्यादा कम रहा। मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में केवल 10 प्रतिशत कामकाज ही हो पाया जो मंगलवार को घटकर महज 8 प्रतिशत रह गया। बुधवार को सदन में 15 प्रतिशत कामकाज हुआ। गुरुवार को सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ प्रश्नकाल के दौरान जबरदस्त हंगामा कर सदन को एक बार स्थगित कराने के बाद कांग्रेस सांसद प्रदर्शन करने के लिए ईडी दफ्तर रवाना हो गए और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर उनकी बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इसलिए इस सप्ताह के दौरान सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत कामकाज गुरुवार, 21 जुलाई को ही हो पाया। इसके अगले दिन शुक्रवार को भी सदन में केवल 17 प्रतिशत ही कामकाज हुआ। कुल मिलाकर देखा जाए तो मानसून सत्र के पहले सप्ताह के दौरान लोकसभा में औसतन केवल 16 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया।


दरअसल, विपक्ष के ज्यादातर दल खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी और महंगाई पर सदन में तुरंत चर्चा करना चाहते हैं लेकिन सरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कोविड से ग्रस्त होने का बहाना बना रही है। सरकार की तरफ से दलील दी जा रही है कि इस चर्चा के दौरान सांसदों के विचार को जानने और सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी जरूरी है। निर्मला सीतारमण के कोविड से स्वस्थ होकर वापस लौटते ही राज्यसभा में सभापति और लोकसभा में स्पीकर की अनुमति से कार्य मंत्रणा समिति में निर्धारित समय पर सरकार इन मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है।

सरकार का यह भी कहना है कि विपक्षी दल शून्यकाल के दौरान भी अपने मुद्दों को उठा सकते हैं। लेकिन सत्र के पहले सप्ताह के दौरान सदन में कामकाज के रिकॉर्ड से यह साफ जाहिर हो रहा है कि विपक्ष सरकार के तर्क से सहमत नहीं है और ऐसे में अगर दोनों ही पक्ष अपने-अपने रूख पर अडिग रहे तो 25 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान भी संसद में कामकाज प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि बताया जा रहा है कि दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष को सहमति पर लाने की कोशिश भी लगातार की जा रही है ताकि दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। हालांकि सरकार और विपक्ष के रवैये को देखते हुए संसद के मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान भी सदन में कामकाज हो पाने की संभावना पर फिलहाल ग्रहण लगा हुआ ही नजर आ रहा है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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