उत्तर प्रदेश : महिला टीचर ने मुस्लिम छात्र को क्लास के अन्य बच्चों से पिटवाया, वीडियो सामने आने के बाद चौतरफा रोष

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले एक बेहद शर्मनाक और परेशान करने वाला वीडियो शुक्रवार को सामने आया है। इस वीडियो में एक महिला शिक्षिका क्लास के कुछ बच्चों से एक बच्चे को बारी-बारी से पिटवा रही है। इस वीडियो को लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।

वीडियो ग्रैब
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले एक बेहद शर्मनाक और परेशान करने वाला वीडियो शुक्रवार को सामने आया है। इस वीडियो में एक महिला शिक्षिका क्लास के कुछ बच्चों से एक बच्चे को बारी-बारी से पिटवा रही है। इस वीडियो को लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।

वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक महिला (जो शिक्षिका है) किसी एक पुरुष से जो शायद उसका सहयोगी है या किसी बच्चे का पिता है, उससे कह रही है कि "सभी मुस्लिम बच्चों को वहां पहुंचा देना चाहिए...."

महिला इसी उसके नजदीक स्कूली ड्रेस में खड़े एक बच्चे को देखती है जो बमुश्किल अपनी रुलाई रोक पा रहा है। उसके सामने क्लास के अन्य बच्चे जमीन पर बैठे हैं। महिला के इशारे पर वे बच्चे बारी-बारी से आते हैं और महिला के सामने खड़े बच्चे को थप्पड़ मारते हैं। सभी बच्चे 8 से 10 साल के बीच के लगते हैं।

महिला इस दौरान बच्चों को यह भी कहती सुनाई दे रही है कि 'जोर से मारो' , जबकि कैमरे के पीछे से किसी पुरुष के हंसने की आवाज आती है। इसी दौरान महिला कहती है कि मुस्लिम लड़कों को जब तक पिटाई न करो तो उन्हें समझ नहीं आता है।

शुक्रवार शाम को यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इस वीडियो को देखकर तमाम लोगों ने अपनी हैरानी जाहिर की है।

इस वीडियो पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गहरा आक्रोश जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, "मासूम बच्चों के मन में भेदभाव का ज़हर घोलना, स्कूल जैसे पवित्र स्थान को नफ़रत का बाज़ार बनाना - एक शिक्षक देश के लिए इससे बुरा कुछ नहीं कर सकता। ये बीजेपी का फैलाया वही केरोसिन है जिसने भारत के कोने-कोने में आग लगा रखी है। बच्चे भारत का भविष्य हैं - उनको नफ़रत नहीं, हम सबको मिल कर मोहब्बत सिखानी है।"


वहीं कांग्रेस महासचिव और कार्यसमिति सदस्य प्रियंका गांधी ने भी इस वीडियो पर गहरा दुख और आक्रोश जताया है। उन्होंने कहा कि, "हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा क्लासरूम, कैसा समाज देना चाहते हैं? जहां चांद पर जाने की तकनीक की बातें हो या नफरत की चहारदीवारी खड़ी करने वाली बातें। विकल्प एकदम स्पष्ट है। नफरत तरक्की की सबसे बड़ी दुश्मन है। हमें एकजुट होकर इस नफरत के खिलाफ बोलना होगा- अपने देश के लिए, तरक्की के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए।"

इस वीडियो के सामने आने के बाद काफी लोगों ने महिला शिक्षिका का नाम भी लिखा है। बताया जाता है कि यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खूब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल का है।

वीडियो के सामने आने के बाद मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण प्रजापत ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि "थाना मंसूरपुर के ग्राम खुब्बापुर के स्कूल में एक अध्यापिका द्वारा एक छात्र की कक्षा के अन्य छात्रों से पिटाई कराने तथा आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। इसके संबंध में गहनता से जांच की गई और स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई तो यह बात सामने आई कि महिला टीचर ने कहा कि 'जो मुस्लिम बच्चों की मां पढ़ाई पर ध्यान नहीं देती हैं उनका नाश हो जाता है...' इस बात को वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने भी पुष्ट किया है। एसपी ने बताया कि इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सूचित कर दिया गया है और मारपीट के संबंध में महिला टीचर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।"


इस बीच पत्रकार और फिल्म मेकर आलिशान जाफरी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उन्होंने पीड़ित बच्चे के पिता से बात की है और उन्होंने इस मामले में महिला टीचर के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्वयवाही करने से इनकार कर दिया है। आलिशान जाफरी का दावा है कि बच्चे के पिता ने कहा कि उन्हें इस मामले में किसी इंसाफ की उम्मीद नहीं है और साथ ही मामले को तूल देने से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है।

इस बच्चे के पिता का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह कह रहा है कि हमारा स्कूल के साथ समझौता हो गया है। समझौते के तहत बच्चे को स्कूल से हटा लिया गया है और उसकी अब तक की जमा की गई फीस वापस दे दी गई है और इसके ऐवज में बच्चे के पिता ने टीचर या स्कूल के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने की बात कही है।

लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या बच्चे के पिता पर दबाव बनाकर समझौता कराया गया है? क्या प्रशासन या पुलिस ने मामले को रफा-दफा कर दिया है? लेकिन इस मामले को यूं ही ऐसे रफा-दफा करना भी नाइंसाफी ही है, क्योंकि अगर किसी अन्य के बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार होता या बच्चा किसी अन्य धर्म का होता तो भी क्या मामले को ऐसे ही रफा-दफा कर दिया जाता?

जिस बच्चे के साथ ये सब हुआ उसकी मनोस्थिति क्या होगी, उसका अनुमान लगाना भी कठिन है। तो क्या समाज उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां शिक्षा के माध्यम से मानवता, सौहार्द्र और भाईचारे की सीख दी जाती है, वहां भी अब सांप्रदायिकता का दानव किसी न किसी रूप में मुंह बाए खड़ा है?

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