असल में 1.5% है GDP, लेकिन मौन हैं पीएम, अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार के पास नहीं कोई नीति: पी चिदंबरम
पी चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर प्रधानमंत्री बहुत हैरतभरे तौर पर चुप हैं। उन्होंने इस सबको अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया है जो लगातार गड़बड़ियां कर रहे हैं। कुल मिलाकर नतीजा यह निकला कि द इकोनॉमिस्ट ने लिखा कि इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था अक्षम प्रबंधकों के हाथों में दे दी है।
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। बता दें कि पी.चिदंबरम को बुधवार को INX मीडिया मामले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। उसके बाद पी. चिदंबरम ने आज मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि मैं खुश हूं कि 106 दिन बाद आपसे बात करने का मौका मिल रहा है। कल रात मैं करीब 8 बजे जेल से बाहर आया और ताजा हवा में सांस ली, तो जो पहला विचार मेरे मन में आया वह था कि कश्मीर के 75 लाख लोगों के बारे में, जो पिछले 4 अगस्त से बुनियादी आजादी से महरूम हैं मैं खासतौर से राजनीतिक नेताओं को लेकर चिंतित हूं, जिन्हें बिना किसी आरोप के जेल में बंद कर दिया गया है। आजादी को विभाजित नहीं किया जा सकता। अगर हम अपनी आजादी के लिए यहां संघर्ष कर रहे हैं, तो हमें उनकी आजादी के लिए भी संघर्ष करना चाहिए।
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल दिए गए व्यापक और स्पष्ट आदेश से मैं कोर्ट का आभारी हूं। कोर्ट के आदेश से मेरे मामले में बहुत सारी गलतफहमियां साफ हो जाएंगी और यह भी साफ हो जाएगा कि किस तरह दंड संहिता की अदालतें व्याख्या कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी ऐसे मामलों में कोई टिप्पणी नहीं की है, जो अदालत में है और मैं आगे भी ऐसा ही करता रहूंगा। आपके बहुत से सवाल होंगे, लेकिन आपको सारे सवाल कोर्ट के आदेश में मिल जाएगा जो सुप्रीम कोर्ट ने कल दिया है। मैं अंतर्मन से बहुत मजबूत था और विभिन्न कारणों से और मजबूत हुआ।
1. एक मंत्री के नाते और अंतर्मन में मैं बिल्कुल स्पष्ट हूं। जिन अधिकारियों ने मेरे साथ काम किया है, जिन कारोबारियों के साथ मेरी मुलाकातें रही हैं और पत्रकार जो मुझसे मिलते रहे हैं, इस बात को अच्छी तरह जानते हैं।
2. मेरा परिवार भगवान में विश्वास करता है
3. अदालतों पर हमारा पूर्ण विश्वास है कि अदालतें अंतत: न्याय को पहचानेंगी
खैर, इस सबको जाने दीजिए और इससे भी ज्यादा अहम बातों पर आते हैं। देश के सामने सबसे ज्वलंत मुद्दा है अर्थव्यवस्था की स्थिति
इसके लिए सबसे पहले बीमारी पहचानने की जरूरत है, अगर पहतान गलत हो जाएगी तो इलाज बेकार हो जाएगा, और यह घातक भी हो सकता है। इस वित्त वर्ष के 7 महीने गुजरने के बाद भी बीजेपी सरकार को लगता है कि समस्या चक्रीय है और इसमें बदलाव आ जाएगा। सरकार का मानना गलत है। गलत इसलिए क्योंकि सरकार को कुछ हवा ही नहीं है। सामने संकेत हैं लेकिन सरकार उन्हें अपने अड़ियल रवैये के कारण देखना नहीं चाहती और अपनी नोटबंदी, गड़बड़ जीएसटी, कर आतंकवाद, जरूरत से ज्यादा नियम, संरक्षणवाद और फैसले लेने की प्रक्रिया के केंद्रीयकरण जैसी भयंकर गलितियों को पर पर्दा डालना चाहती है।
मैंने जितने भी आरोप लगाए हैं उन पर गौर करिए। आने वाले दिनों में मैं और बोलूंगा, इंटरव्यू दूंगा और इन सब पर विस्तार से लिखूंगा।
अर्थव्यवस्था की जो हालत है, वह नीचे दिए गए नंबरों से से स्पष्ट हो जाती है:
8, 7, 6.6 , 5.8, 5, 4.5 .... यह बीते 6 तिमाहियों के जीडीपी के आंकड़े हैं। 2019-20 की तीसरी और चौथी तिमाही के आंकड़े भी कोई अच्छे नहीं आने वाले हैं। हम किस्मत वाले होंगे अगर विकास पूरे साल के लिए 5 फीसदी के आसपास रहे। डॉ अरविंद सुब्रह्मण्यम ने चेताया था कि संदिग्ध तरीकों के चलते इस सरकार की 5 विकास दर भी असलियत में 1.5 फीसदी ही है।
अर्थव्यवस्था पर प्रधानमंत्री बहुत हैरतभरे तौर पर चुप हैं। उन्होंने इस सबको अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया है जो लगातार गड़बड़ियां कर रहे हैं। कुल मिलाकर नतीजा यह निकला कि द इकोनॉमिस्ट ने लिखा कि इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था अक्षम प्रबंधकों के हाथों में दे दी है।
दुनिया भर के निवेशक, बैंकर, रेटिंग एजेंसिया और कंपनियों के डायरेक्टर इकोनॉमिस्ट, द वॉलस्ट्रीट जर्नल और टाइम जैसी पत्रिकाएं पढ़ते हैं। वे इन आंकड़ों को गौर से देखते हैं। हर आंकड़ा गिरती अर्थव्यवस्था की ही तरफ इशारा करता है। कुछ आंकड़े देखें तो पता चलता है कि औद्योगिक विकास की दर (आईआईपी) 2016-17 के 4.6 फीसदी से गिरकर 2019-20 की तीसरी तिमाही तक 2.4 पर पहुंच गई। क्रेडिट ग्रोथ इस अवधि में 0.9 से गिरकर 2.7 पहुंच गई, मैन्यूफैक्चरिंग , कोर सेक्टर और बेरोजगारी की दरें भी बुरे हाल में हैं।
आप सब लोग इन आंकड़ों के देखते रहे हैं, उन्हें गौर से देखें तो आपको पता चलेगा कि सिर्फ सरकार ही जो इन्हें मानने को तैयार नहीं है।
यूपीए सरकार ने 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला था, लेकिन एनडीए सरकार ने 2016 के बाद से करोड़ों लोगों को वापस गरीबी रेखा के नीचे फेंक दिया है।
अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारा जा सकता है, लेकिन यह सरकार ऐसा करने में सक्षम नहीं है। मेरा मानना है कि कांग्रेस और कुछ दूसरी पार्टियां अर्थव्यवस्था को मौजूदा मंदी से निकालकर विकास दर को पटरी पर ला सकते हैं, लेकिन हमें अच्छे दिनों का इंतजार करना पडेगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम संसद भवन पहुंचे और प्याज की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में भाग लिया। यहां उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्याज को लिए बयान पर करारा वार किया।
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Published: 05 Dec 2019, 1:32 PM