'बिहार में SIR के बहाने छीना जा रहा गरीबों-वंचितों के वोट का अधिकार', पप्पू यादव का EC-BJP पर निशाना

सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को गरीबों, दलितों और वंचित वर्गों के खिलाफ एक सुनियोजित कदम माना है। सांसद का दावा है कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) कई गांवों में नहीं जा रहे हैं।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

संसद के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को भी हंगामा जारी है। सदन में विपक्षी पार्टियों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं बिहार के पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर गंभीर आरोप लगाए और इसे चुनाव आयोग की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि एसआईआर के बहाने गरीबों-वंचितों का वोट देने का अधिकार छीना जा रहा है।

सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को गरीबों, दलितों और वंचित वर्गों के खिलाफ एक सुनियोजित कदम माना है। सांसद का दावा है कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) कई गांवों में नहीं जा रहे, खासकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में, और सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।

उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया के तहत गरीबों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की कोशिश है।

पप्पू यादव ने कहा कि बीजेपी उन क्षेत्रों में मतदाता सूची से नाम हटा रही है जहां उसे वोट मिलने की संभावना कम है, ताकि विपक्ष कमजोर हो। यह प्रक्रिया संविधान के खिलाफ है और सरकार एसआईआर पर खुलकर जवाब देने को तैयार नहीं है। उन्होंने पूरे भारत में बंद और व्यापक मुहिम चलाने की बात कही है, साथ ही विपक्षी दलों से एकजुट होकर इसका विरोध करने का आह्वान किया है।


उन्होंने कहा कि 51 लाख मतदाता कहां से आए और इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाने का आधार क्या है? पप्पू यादव का दावा है कि बीजेपी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को मनमाने ढंग से नाम हटाने का अधिकार दे रही है, वो भी बिना आधार या राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों की जांच के।

सांसद ने यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव को लेकर भाजपा ने जो सर्वे किया उसे बीएलओ को दे दिया गया है। वोटर लिस्ट चेक करते हैं और वोटर लिस्ट से काट दिया जा रहा है। एसआईआर बिहार के लोगों को अधिकार छीनने की प्रक्रिया है। गरीबों का वोट देने का अधिकार छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों पर भरोसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है कि वह इस मामले में सख्त कदम उठाएगा।

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