संसद कांड के आरोपियों का सनसनीखेज आरोप, विपक्ष को फंसाने के लिए थर्ड डिग्री का इस्तेमाल, बिजली के शॉक दिए गए?

संसद की नई इमारत की सुरक्षा को भेदकर आवाज उठाने वाले 5 बेरोजगार युवाओं को पुलिस हिरासत में बिजली के शॉक दिये गये। उन्हें यातनाएं देकर दबाव डाला गया कि वे इस मामले में कुछ राजनीतिक (विपक्षी) दलों और नेताओं का नाम लें।

फाइल फोटो
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नवजीवन डेस्क

संसद की नई इमारत की सुरक्षा को भेदकर सरकार के सामने अपनी आवाज उठाने वाले उन 5 बेरोजगार युवाओं को पुलिस हिरासत में बिजली के शॉक दिये गये। उन्हें यातनाएं देकर दबाव डाला गया कि वे इस मामले में कुछ राजनीतिक (विपक्षी) दलों और नेताओं का नाम लें। यह आरोप आज अदालत में पेशी के दौरान संसद कांड के आरोपियों ने लगाया।

संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले सभी 6 आरोपियों को बुधवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था। सुनवाई के दौरान आरोपियों ने अदालत को बताया कि हिरासत के दौरान उनसे सादे कागज़ों पर दस्तखत कराए गए, बिजली के झटके देकर अपराध स्वीकार करने और इस मामले में राजनीतिक (विपक्षी) दलों के साथ संबंध होने की बात मानने का दबाव डाला गया।

कानूनी खबरों की वेबसाइट लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पटियाला हाऊस कोर्ट की अतिरिक्त सेशंस जज हरदीप कौर के सामने संसद कांड के 6 में से पांच आरोपियों ने ये आरोप लगाए। इनमें सागर शर्मा, मनोरंजन डी, ललित झा, महेश कुमावत और अमोल शिंदे शामिल हैं। संसद कांड के सभी 6 आरोपियों की बुधवार को पेशी हुई थी, जिसमें नीलम आजाद भी शामिल हैं। नीलम की जमानत याचिका पहले खारिज हो चुकी है। इन आरोपियों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आरोपियों की तरफ से दाखिल अर्जी में कहा गया कि हिरासत के दौरान उनसे उनके सोशल मीडिया, ईमेल और फोन के पासवर्ड लिए गए। साथ ही कहा गया कि पॉलीग्राफ या नार्को टेस्ट के दौरान दो आरोपियों पर एक राजनीतिक दल या नेता का नाम लेकर इस पूरे मामले में शामिल होने का दबाव डाला गया।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत पहली मारच तक बढ़ा दी। लेकिन आरोपियों की अर्जी पर अगली सुनवाई के 17 फरवरी की तारीख तय की है। साथ ही दिल्ली पुलिस से इन आरोपों पर जवाब देने को कहा है।

हाल ही में एक आरोपी नीलम आजाद ने एक अर्जी देकर एफआईआर की कॉपी मांगी थी, जिस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एफआईआर की कॉपी देने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस की याचिका पर इस आदेश पर स्टे लगा दिया था।

गौरतलब है कि पिछले महीने यानी 13 दिसंबर को 2001 के संसद हमले की बरसी के दिन संसद में शून्य काल के दौरान दो युवक दर्शक दीर्घा से कूद गए थे और उन्होंने तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाते हुए पीले रंग की गैस छोड़ी थी। अफरा-तफरी के बीच सांसदों ने इन दोनों युवकों को पकड़ कर पुलिस के हवाल कर दिया था। इनके नाम सागर शर्मा और मनोरंजन डी हैं।

संसद के बाहर भी दो अन्य आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने उसी किस्म के कैनिस्टर से पीले रंग की गैस छोड़ते हुए तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाए थे। इन्हें भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। मामले की जांच के दौरान दो अन्य अभियुक्तों को भी गिरफ्तार किया गया था।

संसद में कूदने वाले दोनों युवकों के पास बीजेपी सांसद ने बनवाए थे। शुरुआती जांच के बाद बीजेपी सांसद को क्लीन चिट दे दी गई थी। लेकिन आरोपियों के कोर्ट के सामने किए गए खुलासे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार आरोपियों पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर विपक्ष को फंसाना चाहती है। हालांकि इस बारे में सारी जानकारी पुलिस के जवाब से ही स्पष्ट हो पाएगी।

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