संसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक, विपक्ष ने कम बैठकों के लिए सरकार को घेरा, चर्चा से भागने का आरोप लगाया

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि शीतकालीन सत्र सिर्फ 15 कार्यदिवसों का होगा। इससे क्या संदेश दिया जा रहा है? स्पष्ट है कि सरकार के पास कोई कामकाज नहीं है, कोई विधेयक पारित कराने की जरूरत नहीं है, और किसी बहस की अनुमति नहीं है।

संसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक, विपक्ष ने कम बैठकों के लिए सरकार को घेरा, चर्चा से भागने का आरोप लगाया
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नवजीवन डेस्क

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को ऐलान किया कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। विपक्ष ने इसे बहुत देर से बुलाया गया और संक्षिप्त सत्र बताया। साथ ही विपक्ष ने मोदी सरकार पर संसद में ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया।

तीन सप्ताह के इस शीतकालीन सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी और इसके हंगामेदार रहने की उम्मीद है, क्योंकि यह सत्र निर्वाचन आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को अंजाम दिए जाने के बीच हो रहा है। कई विपक्षी दलों ने एसआईआर को लेकर आपत्तियां जताई हैं। संसद के मानसून सत्र में भी बिहार में एसआईआर को लेकर कई विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग करते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था।

रीजीजू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर 2025 से 19 दिसंबर, 2025 तक (संसदीय कार्य की अनिवार्यताओं के अधीन) आयोजित करने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।” उन्होंने कहा, “मैं एक रचनात्मक और सार्थक सत्र की आशा करता हूं जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करेगा और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।”


शीतकालीन सत्र की दिशा 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से तय होगी, जहां सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का विपक्षी महागठबंधन के साथ कड़ा मुकाबला है। कई विपक्षी दल भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ समाप्त करने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार किए गए दावों पर भी सरकार से जवाब मांग सकते हैं।

सत्र की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे बहुत देर से बुलाया गया और संक्षिप्त सत्र बताया। रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “यह सिर्फ 15 कार्यदिवसों का होगा। इससे क्या संदेश दिया जा रहा है? स्पष्ट है कि सरकार के पास कोई कामकाज नहीं है, कोई विधेयक पारित कराने की जरूरत नहीं है, और किसी बहस की अनुमति नहीं है।”

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि सरकार को “पार्लियामेंट-ओफोबिया” है और इसे संसद का सामना करने का डर बताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “पार्लियामेंट-ओफोबिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम संसद-भय नामक एक गंभीर स्थिति से जूझ रही है, जो संसद का सामना करने का एक अस्वस्थ भय है।’’ तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘15 दिवसीय शीतकालीन सत्र की घोषणा। संदेहास्पद रिकॉर्ड स्थापित किए जा रहे हैं।”


पिछले वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक आयोजित हुआ था। निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का दूसरा चरण शुरू कर दिया है, जिनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे वे राज्य शामिल हैं जहां चुनाव होना है। ऐसे में आगामी छोटे सत्र में एसआईआर को लेकर हंगामे की पूरी संभावना है।

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