पतंजलि का गाय का घी जांच में फेल, खाने लायक भी नहीं निकला, 1.40 लाख रुपये का जुर्माना लगा

कोर्ट ने करीब चार साल बाद गुरुवार को अपना फैसला सुनाया और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (निर्माता) पर एक लाख रुपए, ब्रह्म एजेंसी (डिस्ट्रीब्यूटर) पर 25,000 रुपए और करन जनरल स्टोर (विक्रेता) पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया।

पतंजलि का गाय का घी जांच में फेल, खाने लायक भी नहीं निकला, 1.40 लाख रुपये का जुर्माना लगा
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नवजीवन डेस्क

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के गाय के घी के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। जिसके बाद कंपनी समेत 3 कारोबारियों पर 1 लाख 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही खाद्य विभाग का कहना है कि पतंजलि का ये घी खाने लायक भी नहीं है। पतंजलि के घी का ये सैंपल साल 2020 में लिया गया था। मामले में फैसला गुरुवार 27 नवंबर 2025 को आया है।

खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन पिथौरागढ़ के असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा ने बताया कि पिथौरागढ़ में घी का सैंपल लिया गया था। इसकी जांच प्रदेश स्तर पर रुद्रपुर और राष्ट्रीय स्तर पर गाजियाबाद की लैब में कराई गई थी। जांच में घी मानक पर खरा नहीं उतरा। अगर किसी ने भी यह घी खाया तो उसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। साथ ही लोग बीमार हो सकते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया

पिथौरागढ़ असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा के मुताबिक, 20 अक्टूबर 2020 को पिथौरागढ़ के कासनी से खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिलीप जैन ने रूटीन चेकिंग के दौरान करन जनरल स्टोर से पतंजलि गाय के घी का नमूना लिया था। इसके बाद नमूने को राज्य सरकार की राजकीय प्रयोगशाला रुद्रपुर में भेजा गया, जहां ये घी मानकों से नीचे पाया गया।


पतंजलि के अधिकारियों को 2021 में इसकी जानकारी दी गई, लेकिन काफी समय तक कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। बाद में कंपनी के अधिकारियों की तरफ से 15 अक्टूबर 2021 को दोबारा जांच की अपील की। कंपनी ने नमूनों की जांच सेंट्रल लैब से कराने की बात कही। इसके लिए पतंजलि की तरफ से 5 हजार रुपए की निर्धारित फीस भी ली गई थी।

इसके बाद अधिकारियों की एक टीम 16 अक्टूबर 2021 को नमूनों की जांच के लिए राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला गाजियाबाद पहुंची, जहां फिर से घी की जांच कराई गई। राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला ने 26 नंवबर 2021 को अपनी रिपोर्ट दी। वहां भी पतंजलि गाय के घी के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। इसके बाद दो महीने तक रिपोर्ट का अध्ययन किया गया। फिर 17 फरवरी 2022 को कोर्ट के सामने मामला रखा गया। इसके बाद पतंजलि को नोटिस जारी किया गया।


इसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी दिलीप जैन ने मामले में अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ योगेंद्र सिंह के न्यायालय को सबूत पेश किए। कोर्ट ने करीब चार साल बाद गुरुवार को अपना फैसला सुनाया और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (निर्माता) पर एक लाख रुपए, ब्रह्म एजेंसी (डिस्ट्रीब्यूटर) पर 25,000 रुपए और करन जनरल स्टोर (विक्रेता) पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम- 2006 के प्रावधानों का पालन किया जाए।