पेगासस मामला: SC ने कहा- 5 फोन में मिला मैलवेयर, लेकिन जासूसी का सबूत नहीं, समिति बोली- केंद्र नहीं कर रहा सहयोग

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने रिपोर्ट पढ़कर कुछ पहलू बताए। उन्होंने कहा, ‘कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। 29 फोन थे जिसमें 5 में मालवेयर पाया गया है, इसका मतलब यह नहीं कि सभी में पेगासस था।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। इस मामले में जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई वाली कमेटी रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। सीजेआई ने बताया कि रिपोर्ट दाखिल की गई है, तीन भागों में दी गई है। सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की। इस पर सीजेआई ने इनकार कर दिया और कहा कि अदालत रिपोर्ट पर गौर करेगी। साथ ही सीजेआई ने कहा समिति की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाएगा। बता दें इस मामले में एक महीने बाद अगली सुनवाई होगी।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने रिपोर्ट पढ़कर कुछ पहलू बताए। उन्होंने कहा, ‘कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। 29 फोन थे जिसमें 5 फोन में मालवेयर पाया गया है, इसका मतलब यह नहीं कि सभी में पेगासस था।

समिति ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही। हम बिना रिपोर्ट देखे आगे टिप्पणी नहीं कर सकते। सीजेआई ने आगे कहा कि रिपोर्ट में सिफारिश की गई है गोपनीयता के कानून को बेहतर बनाने और गोपनीयता के अधिकार में सुधार, राष्ट्र की साइबर सुरक्षा बढ़ाने, नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और गैर-कानूनी निगरानी से संबंधित शिकायत उठाने की व्यवस्था पर कानून मजबूत किया जाए।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मौजूदा कानून में संशोधन किया जाना चाहिए। नागरिकों को गैरकानूनी सर्विलांस के खिलाफ अपनी समस्या उठाने के लिए ग्रीवांस मैकेनिज्म होना चाहिए।


27 अक्टूबर को गठित की गयी थी एक्सपर्ट कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए 27 अक्टूबर 2021 को एक्सपर्ट कमेटी गठित की थी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन इसके अध्यक्ष बनाये गये थे। कमेटी गठित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर किसी की प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के निजी मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई थी। इसमें कई जाने माने पत्रकार, कई बड़े नेता समेत कई दिग्गज लोग शामिल हैं। यह मामला सामने आने के बाद काफी हंगामा हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

क्या है पेगासस?

पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है। इस वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है। पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है। इस सॉफ्टवेयर के फोन में जाते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है।

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