PAK संग क्रिकेट खेलना देशद्रोह! एशिया कप में भारत-पाक मैच पर भड़की शिवसेना, मोदी को याद दिलाया ‘पानी और खून’ का वचन
शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना ने 13 सितंबर के संपादकीय में इस मैच की तीखी आलोचना करते हुए इसे "राष्ट्रद्रोह" तक की संज्ञा दी है।

14 सितंबर को दुबई में होने वाला भारत-पाकिस्तान एशिया कप मुकाबला महज़ एक क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है। शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना ने 13 सितंबर के संपादकीय में इस मैच की तीखी आलोचना करते हुए इसे "राष्ट्रद्रोह" तक की संज्ञा दी है।
संवेदनाओं पर चोट या कूटनीति का हिस्सा?
संपादकीय का प्रमुख तर्क यह है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जैसे आतंकी हमलों की पीड़ा अभी ताज़ा है, और ऐसे में पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार का खेल-संबंध राष्ट्रीय भावना और अस्मिता पर आघात करता है। लेख के अनुसार, यह सिर्फ़ एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि देश की प्राथमिकताओं और नीतिगत सोच का संकेतक है।
सामना में क्या लिखा गया
सामना में लिखा गया कि भारत में मोदी के सत्ता में आने के बाद से सुविधाजनक हिंदुत्व और सुविधाजनक राष्ट्रवाद ने जोर पकड़ा है। देशभक्ति और दूसरी चीजें सिर्फ चुनाव और वोट का जरिया बन गई हैं। अगर ऐसा न होता तो 14 सितंबर को होनेवाले भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को हरी झंडी देकर पहलगाम हमले के जख्मों पर नमक छिड़कने की कोशिश नहीं होती। दुबई में कैसा एशिया कप हो रहा है? वहां 14 सितंबर को बेशर्मी से भारत-पाकिस्तान टी-20 क्रिकेट मैच खेला जा रहा है।
जनभावना है कि भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए। कश्मीर घाटी के पहलगाम हमले में लोगों का खून बहाया गया था। वह खून अभी तक सूखा नहीं है। 26 मां-बहनों की आंखों से अभी भी आंसू बह रहे हैं। मृतकों के बाल-बच्चे और मित्र परिवार उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। पाकिस्तान ने इस आतंकी हमले को अंजाम दिया। जिसके चलते भारतीय जनता में पाकिस्तानियों के प्रति भारी आक्रोश था, बावजूद मोदी सरकार ने 'वैश्विक' और 'अंतरराष्ट्रीय' नियमों आदि का हवाला देकर भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच की अनुमति दे दी।
पहलगाम हमले और हिंदुत्व के दोहरे मापदंड
दरअसल, पहलगाम हमले के तुरंत बाद, इसी मंडली ने एक जोरदार हिंदुत्ववादी मुद्दा उठाया था, जो यह था कि ‘जिन आतंकवादियों ने पहलगाम में घुसकर पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी करके 26 लोगों की जान ले ली, उन सभी को उनका धर्म पूछकर मारा गया।’ यह भयानक है, लेकिन फिर हमें यह भी देखना ही होगा कि क्या दुबई में हो रहे भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने धर्मांतरण कर लिया है या फिर भारत के लिए खेलनेवालों ने अपना वैचारिक सुन्नत करवा लिया है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप की भूमिका
पहलगाम हमले के बाद मोदी, शाह और अन्य नेताओं द्वारा व्यक्त किए गए दु:ख के अनुसार, ‘अब हम पाकिस्तान की कमर इस तरह तोड़ देंगे, ताकि पाकिस्तान फिर कभी दुनिया के नक्शे पर न दिखे। अब हम पाकिस्तान से निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर उसे अपने नियंत्रण में ले लेंगे।’ वे दहाड़े और वे सही भी थे। उस समय हिंदुस्तान ने बिगुल बजाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में इसे रोक दिया गया। राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार कहते हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाया। बिना कोई स्पष्टीकरण दिए, प्रधानमंत्री मोदी इस बात पर ताल ठोकते हैं कि अमेरिका हमारा मित्र है।
चीन का समर्थन और भारत की खामोशी
प्रधानमंत्री चीन गए, जिसने भारत के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की खुलकर मदद की और वर्णन किया कि कैसे चीन ने हमारे लिए लाल कालीन बिछाया। लेकिन चीन के सहयोग से पाकिस्तान कश्मीर में ‘पहलगाम’ की तरह हिंदुओं का खून बहा रहा है। हमारी माताओं और बहनों के माथे का कुमकुम यानी सिंदूर उजाड़ रहा है। इसका दर्द सरकार के चेहरे पर दिखाई नहीं देता।
‘पानी और खून एक साथ नहीं बहेगा’ का वचन
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच बेशर्मी की पराकाष्ठा है। मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, लेकिन जो लोग कहते हैं कि वे मिटाए गए सिंदूर का बदला लेंगे, वे पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलते नजर आते हैं। पाकिस्तान में ‘घुसकर मारेंगे’ ऐसा वचन देनेवाले पाकिस्तान के किस अंग में घुस गए यह उन्हें ही पता होगा। भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच भारतीय महिलाओं के सिंदूर का अपमान है। यह उन हिंदुओं के बलिदान का अपमान है, जिनकी पाकिस्तान ने निर्दयतापूर्वक हत्या की।
क्रिकेट खेलना जरूरी है या पाकिस्तान को सबक सिखाना? पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच के जरिए ‘जुआ’ खेला जाता है और हजारों करोड़ का वित्तीय कारोबार होता है। इस कारोबार के सभी लाभार्थी अब भाजपा में विराजमान हैं।
‘खून और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते’
मोदी ने पहलगाम हमले के बाद गरजते हुए कहा था, ‘पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी नहीं मिलेगा। सिंधु का पानी और भारतीयों का खून एक साथ नहीं बहेगा। नहीं… नहीं… त्रिवार नहीं।’ तो माननीय मोदी, क्रिकेट और भारतीय खून एक साथ कैसे चल सकते हैं? मोदी ने पहलगाम के बाद कहा था कि मेरी धमनियों में खून नहीं, बल्कि गर्म सिंदूर बहता है। तो क्या वह गर्म सिंदूर अब ठंडी आइसक्रीम बन गया है? भारतीय जनता इसका जवाब मांग रही है।
पाकिस्तान के साथ मैच खेलना राष्ट्र-विरोध
ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना राष्ट्र-विरोधी है। यह करोड़ों हिंदुओं, उनकी माताओं व बहनों के मिट चुके सिंदूर का अपमान है। अगर हम पाकिस्तान के साथ नहीं खेलेंगे तो क्या आसमान गिर पड़ेगा? अगर कभी आसमान गिर भी गया होता तो भारत के प्रधानमंत्री को उस पर पांव रखकर कहना चाहिए था, ‘जब तक सिंदूर का बदला कामयाब नहीं हो जाता, तब तक पाकिस्तान से कोई रिश्ता नहीं।’ लेकिन मौजूदा हुक्मरान …. ही निकले। वे देश और सिंदूर की भावनाओं को रौंदकर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच पहलगाम के बाद एक और भयानक ‘आतंकवादी’ हमला है। यह राष्ट्रद्रोह ही है।
बालासाहेब ठाकरे का रुख और आज की खामोशी
जब जावेद मियांदाद पाकिस्तानी क्रिकेट की वकालत करने ‘मातोश्री’ पहुंचे, तो हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ने उनके मुंह पर कहा, ‘जब तक तुम कश्मीर में हिंदुओं का खून बहाते रहोगे, पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं होगा। आतंकवाद और क्रिकेट साथ-साथ नहीं चलेंगे!’ डंके की चोट पर ऐसा कहनेवाले हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे कहां और पाकिस्तान से क्रिकेट की गठजोड़ करनेवाले आज के नकली हिंदुत्ववादी कहां?
भारत के स्वाभिमान और सिंदूर के सम्मान के लिए जनता को लड़ना ही होगा!