प्रधानमंत्री जी, अच्छा हुआ आपने अबु धाबी जाकर माना कि आपके वादों पर देश पूछ रहा है, ‘मोदी जी, होगा तो कब होगा’

मोदी जी आप चार साल सरकार चलाने के बाद, शासन करने के बाद भी वही बातें क्यों दोहरा रहे हैं। क्या बहुत कुछ करने को रह गया है? अगर हां, तो बता दीजिए, कि क्या-क्या रह गया है, और वह होगा तो कब होगा?

फोटो : विदेश मंत्रालय के ट्विटर से
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तसलीम खान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबु धाबी में मंदिर निर्माण की नींव रखते हुए अबु धाबी के क्राउन प्रिंस का आभार जताया। इस मौके पर पीएम ने लंबा चौड़ा भाषण दिया और अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं। इसी गिनती में प्रधानमंत्री ने वह बात भी कह दी जो भारत में पूरा देश कह रहा है, “मोदी जी, बताओ, होगा तो कब होगा।”

आपने सही कहा प्रधानमंत्री जी, आज देश के सवा सौ करोड़ से ज्यादा नागरिक आपकी सरकार से यही सवाल तो बार-बार पूछ रहे हैं कि, मोदी जी, होगा तो कब होगा? आपको शायद सवाल याद न हों, तो हम आपको याद दिलाते हैं। आपने प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में देश से वादा किया था कि आपकी सरकार बनी तो हर साल आप दो करोड़ लोगों को रोजगार और नौकरियां देंगे। मोदी जी, यही सवाल आज देश आपसे आपकी सरकार के करीब चार साल होने के बाद पूछ रहा है कि मोदी जी, अब तक को 8 करोड़ रोजगार और नौकरियां मिल जाने चाहिए थे। बताइए कि ये होगा तो कब होगा?

प्रधानमंत्री मंत्री, आप बहुत व्यस्त रहते हैं। आपका एक एक मिनट कीमती है, आपको राफेल जैसे सौदों को दुरुस्त करना है। आपको चुनाव जीतने के लिए किसानों से धोखा करते हुए गैरजरूरी तौर पर पानी बरबाद करना है। आपको अपने सांसदों को टिफिन पाठ पढ़ाना है। इस सबमें आपको वक्त कहां मिलता होगा। लेकिन पीएम साहब, युवाओं को पकौड़ों का पाठ पढ़ाने से पहले 8 करोड़ नौकरियों के बारे में तो बता दीजिए कि यह होगा तो कब होगा?

मोदी जी, आप उपहास अच्छा कर लेते हैं। लेकिन आप पीएम हैं, इसके लिए तैयारियां भी तो करनी होती होंगी। रामायण सीरियल तो आपको आज भी याद है, तभी तो उसमें सुनाई देने वाली हंसी भी आपको याद है। लेकिन आप शायद चुनाल प्रचार के दौरान किया गया एक वादा भूल गए हैं। वह तो बता दीजिए कि 15 लाख रुपए का क्या होगा, क्योंकि देश आपसे पूछ रहा है कि, मोदी जी, यह होगा तो कब होगा?

मोदी जी, आपने अबु धाबी में मंदिर की जमीन दिए जाने के लिए जिन क्राउन प्रिंस का आभार व्यक्त किया, उन्हीं क्राउन प्रिंस के बारे में आपके चहेते कुछ न्यूज चैनलों ने यहां भारत में उल्टी-सीधी बातें दिखाना शुरु कर दी हैं। प्रधानमंत्री जी, यह चैनल तो किसी और को क्राउन प्रिंस बता रहे हैं, वह तो कोई और है, आप कहीं किसी गलत क्राउन प्रिंस का आभार तो नहीं व्यकत् कर रहे। मोदी इस संदर्भ में देश सवाल पूछ रहा है कि मीडिया को इतना डरा-धमकाकर क्यों रखा है, क्या यह बदलेगा। सवाल वही पूछा जा रहा है, कि मोदी क्या मीडिया स्वतंत्र होगा. और होगा तो कब होगा?

प्रधानमंत्री जी, आप जिस कार्यक्रम में यह बात कह रहे हैं कि उसी कार्यक्रम के लिए आपको पता है कि भारतीय दूतावास ने बाकायदा दबाव डालकर वहां काम करने वाले भारतीयों को जबरदस्ती भीड़ बढ़ाने के लिए बुलाया है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आपसे मिलने, आपको देखने और आपको सुनने के लिए लोग स्वत: ही उत्सुक हों और लालायित हों। क्या ऐसा कभी होगा? मोदी जी देश सवाल यही पूछ रहा है कि मोदी जी, ऐसा होगा तो कब होगा?

प्रधानमंत्री जी, आपने अपने भाषण में कहा कि, “मंदिर का निर्माण, वो भी सद्भावना के सेतु के रूप में। हम उस परंपरा में पले-बढ़े हैं जहां मंदिर मानवता का माध्यम हैं।” मोदी जी, देश सवाल पूछ रहा है कि यही सद्भावना देश के माहौल में क्यों नहीं दिख रही। देश यह सवाल भी पूछ रहा है अबु धाबी में तो आप सद्भावना की जमीन पर मंदिर का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन भारत में मंदिर के नाम पर दुर्भावना का माहौल क्यों बनाया जा रहा है। क्या यह दुर्भावना देश से आप खत्म कर पाएंगे। सवाल यही पूछा जा रहा है कि, मोदी जी, ऐसा होगा तो कब होगा।

माननीय प्रधानमंत्री जी, आपकी सरकार के अब तो करीब चार साल होने वाले हैं, इन चार सालों में निश्चित रूप से आपने बहुत कुछ बदला है। आपने तो खुद ही अपने भाषण में कहा कि, “हमने वो दिन भी देखे हैं जब चलो छोड़ो यार, कुछ होने वाला नहीं, चलो यार बिस्तरा उठाओ कहीं चले जाएं, निराशा, आशंका दुविधा...इस कालखंड से हम गुजरे हैं।” लेकिन मोदी जी आप चार साल सरकार चलाने के बाद, देश पर शासन करने के बाद भी वही बातें क्यों दोहरा रहे हैं। क्या बहुत कुछ करने को रह गया है? अगर हां, तो देश को बता दीजिए, कि क्या-क्या रह गया है, और वह होगा तो कब होगा?

आपने भाषण में बताया कि आज देश की रैंकिंग ईज ऑफ डूंइंग बिज़नेस में चार साल में 42 स्थान ऊपर उठी है। लेकिन मोदी जी आपने उसी विश्व बैंक की संशोधित रिपोर्ट नहीं पढ़ी जिसमें लिखा है कि इस रैंकिंग में राजनीतिक मंशा से छेड़छाड़ की गई थी, और उसे आपके मित्र अमेरिका के एक थिंक टैंक ने तो सिरे से खारिज ही कर दिया है। आपसे देश का सवाल यही है कि आंकड़ों से छेड़छाड़ और राजनीतिक मंशा के बिना क्या देश में कुछ होगा? और हां, यह होगा तो कब होगा?

मोदी जी, सवा साल से ज्यादा हो गया नोटबंदी को और आधे से ज्यादा साल हो गया जीएसटी लागू हुए। आप अब भी इन फैसलों को याद कर रहे हैं। क्या आपके मन में भी इन दो फैसलों को लेकर आशंकाएं बाकी हैं। अगर ये दोनों फैसले देशहित में थे प्रधानमंत्री जी, तो रिजर्व बैंक अकसर अपनी रिपोर्ट में क्यों कहता रहता है कि देश के विकास की गाड़ी इन दो पहियों के कारण पटरी से उतर गई। अगर यह सही है, तो अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर कब आएगी? और हां, यह होगा तो कब होगा?

माननीय प्रधानमंत्री जी, आपने खुद कहा कि “आज देश ये नहीं पूछ रहा है कि होगा या नहीं होगा, संभव है या नहीं है। लोग अब पूछते हैं, मोदीजी बताओ कब होगा। इस सवाल में शिकायत नहीं है विश्वास है होगा तो अभी होगा।” लेकिन आपको पता होगा कि, जब विश्वास होता है, तो सवाल नहीं पूछे जाते, लोग भरोसा करते हैं कि यह होगा। अच्छा हुआ आपने खुद ही मान लिया कि देश आपसे सवाल पूछ रहा है कि, होगा तो कब होगा? जय हिंद...

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