बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म रोकने के लिए इंदिरा गांधी की समाधि पर बैठ हिम्मत और प्रेरणा लें मोदीः प्रमोद तिवारी
प्रमोद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार की कमजोर नीति के कारण वहां मंदिर तोड़े जा रहे हैं, लोगों की हत्या हो रही है, लेकिन हमारी सरकार मौन है। ये लोग हिंदुओं और भारतीयों की रक्षा ना तो कनाडा, अमेरिका और यूरोपीय देशों में कर पा रहे हैं और ना ही बांग्लादेश में।

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और किसानों के प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने सोमवार को बीजेपी की केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। पीएम मोदी इंदिरा गांधी की समाधि पर बैठकर हिम्मत और प्रेरणा ग्रहण करें और हिंदुओं की हत्या रोके।"
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर प्रमोद तिवारी ने कहा, "बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ जुल्म हो रहा है। बीजेपी और मोदी सरकार की कमजोर नीति के कारण वहां पर दुर्गा पूजा में पंडाल नहीं लग पाया। मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। हिंदुओं के प्रतिष्ठानों को लूटा जा रहा है, लोगों की हत्या हो रही हैं, लेकिन हमारी सरकार मौन है। ये लोग हिंदुओं और भारतवासियों की रक्षा ना तो कनाडा, अमेरिका और यूरोपीय देशों में कर पा रहे हैं और ना ही बांग्लादेश में।"
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री के सोमवार को ढाका में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार से मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस से मिलने की संभावना पर प्रमोद तिवारी ने कहा, "विदेश सचिव के स्तर से कुछ नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी को अपने स्तर पर बात करनी चाहिए। उनको 1971 में जंग की कहानी याद रखनी चाहिए। पीएम मोदी इंदिरा गांधी की समाधि पर बैठकर हिम्मत और प्रेरणा ग्रहण करें और हिंदुओं की हत्या रोकें।"
किसानों के प्रदर्शन को लेकर प्रमोद तिवारी ने कहा, "सरकार ने किसानों के साथ धोखा, विश्वासघात और वादाखिलाफी किया है। एक साल तक लगातार धरना हुआ, उसमें 700 किसान शहीद हुए। आज काफी समय बीत चुका है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य की संवैधानिक गारंटी का मुद्दा अभी तक सुलझा नहीं है। सरकार ने अपने वादे को पूरा नहीं किया है।
कांग्रेस सांसद ने कहा, "इन्हीं मांगों को लेकर किसान जत्थे के रूप में दिल्ली आना चाहते हैं। जहां उनके साथ बातचीत होनी चाहिए, सरकार उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। इस मौसम में ठंडे पानी की बौछार की जा रही है। यह सरकार द्वारा धरती के भगवान के साथ जुल्म की कहानी है, जिसकी हम निंदा करते हैं। हम चाहते हैं कि किसानों के साथ बातचीत करके जो समझौता हुआ था, उसका सौ प्रतिशत पालन हो।"
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