प्रधानमंत्री का नेतन्याहू की तारीफ करना और फिलिस्तीन राष्ट्र को लेकर चुप्पी साधना शर्मनाक: कांग्रेस
रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीन राष्ट्र के भविष्य पर भी पूरी तरह चुप्पी साध रखी है, जिसे भारत ने नवंबर 1988 में मान्यता दी थी और जिसे अब तक 150 से अधिक देश मान्यता दे चुके हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि गाजा के ताजा घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सराहना करना शर्मनाक है क्योंकि नेतन्याहू गाजा में नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीन राष्ट्र के भविष्य को लेकर प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध रखी है, जबकि भारत ने वर्ष 1988 में ही इसे मान्यता दे दी थी और अब तक 150 से अधिक देश मान्यता दे चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम एशिया के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण पर हुए उस समझौते का गुरुवार को स्वागत किया जिसके तहत इजरायल और हमास ने गाजा में लड़ाई रोकने का फैसला किया है। मोदी ने कहा कि यह समझौता इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के मजबूत नेतृत्व का भी प्रतिबिंब है।
जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने गाज़ा को लेकर नए घटनाक्रम का स्वागत किया और राष्ट्रपति ट्रंप की सराहना की। ऐसा करने की उनकी उत्सुकता आश्चर्यजनक नहीं है। लेकिन यह वास्तव में चौंकाने वाला, शर्मनाक और नैतिक रूप से घोर आपत्तिजनक है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की बिना शर्त प्रशंसा की गई, जिन्होंने पिछले 20 महीनों से गाज़ा में नरसंहार छेड़ रखा है।’’
रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्वतंत्र और संप्रभु फ़लस्तीन राष्ट्र के भविष्य पर भी पूरी तरह चुप्पी साध रखी है, जिसे भारत ने नवंबर 1988 में मान्यता दी थी और जिसे अब तक 150 से अधिक देश मान्यता दे चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में इजरायली बस्तियों के निरंतर विस्तार पर भी कुछ नहीं कहा है।’’
कांग्रेस ने पिछले सप्ताह आरोप लगाया था कि ट्रंप को खुश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाजा शांति प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन गाजा में नरसंहार पर वह चुप रहे जो ‘‘नैतिक कायरता है। पिछले महीने पटना में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी गाजा के मुद्दे का उल्लेख किया गया था और नरसंहार पर मोदी सरकार की चुप्पी को शर्मनाक करार देते हुए आरोप लगाया गया था कि नैतिकता के लिहाज से भारत की विदेश नीति कलंक बन गई है।
प्रस्ताव में कहा गया था, ‘‘कार्यसमिति गाजा में निर्दोष नागरिकों के नरसंहार पर गहरी पीड़ा व्यक्त करती है। जो भारत हमेशा से नैतिक चेतना का प्रतीक और उत्तर-औपनिवेशिक विश्व का अगुआ रहा है, उसे इस सरकार ने शर्मनाक तरीके से एक मूक दर्शक के रूप में सीमित कर दिया है।’’
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तुत एक समझौते के तहत इजरायल और हमास ने गाजा में लड़ाई रोकने और कुछ बंधकों एवं कैदियों को रिहा करने पर सहमति व्यक्त की है। यह समझौता दो साल से जारी विनाशकारी युद्ध में पिछले कुछ महीनों के दौरान सबसे बड़ी सफलता है। हालांकि, इस समझौते की सफलता इस बात पर टिकी है कि इजरायल गाजा में जारी अपने अभियान को शर्त के मुताबिक रोकता है या नहीं।
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