मोदी सरकार की नीतियों ने युवाओं को हताशा के गर्त में धकेला.. कांग्रेस ने बेरोजगारी को लेकर साधा निशाना
जयराम रमेश ने कहा कि बेरोजगारी कम करने के लिए मोदी सरकार का नया तरीका। अगर आप हफ्ते में सिर्फ एक घंटे भी काम करते हैं, तो सरकार आपको कामकाजी मान सकती है। शर्मनाक बात है कि बेरोजगारी की परिभाषा को ढीला करने के बावजूद केवल 51.7 फीसदी लोगों को ही काम मिला।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की नीतियों ने देश के युवाओं को सिर्फ और सिर्फ हताशा के गर्त में धकेला है। रमेश ने केंद्र के सांख्यिकी विभाग की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देकर यह दावा भी किया कि सप्ताह में एक घंटे के काम को भी रोजगार मानने वाली सरकार में उसके पैमाने के अनुसार केवल 51.7 फीसदी लोगों को ही काम मिला है।
जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बेरोजगारी कम करने के लिए मोदी सरकार का नया तरीका। अगर आप हफ्ते में सिर्फ एक घंटे भी काम करते हैं, तो सरकार आपको कामकाजी मान सकती है! मोदी सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने अपनी हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट इसी पैमाने पर तैयार की है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार के लिए सबसे शर्मनाक बात यह है कि बेरोजगारी की परिभाषा को इतना ढीला करने के बावजूद केवल 51.7 फीसदी लोगों को ही काम मिला।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसी सरकारी सर्वे में यह भी सामने आया कि आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है, शहरों में 70.5 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले सिर्फ 23 प्रतिशत महिलाएं ही किसी भी आर्थिक गतिविधि में शामिल पाई गईं। यह तस्वीर दिखाती है कि हालात कितने गंभीर हैं। महंगी होती शिक्षा, घटते रोजगार के अवसर।’’
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार की नीतियों ने देश के युवाओं को सिर्फ और सिर्फ हताशा के गर्त में धकेला है और अब पूरी बेशर्मी के साथ आंकड़ों की कारीगरी करके इस विकराल होती समस्या को ढकने की कोशिश की जा रही है।