दिल्ली: मुख्य सचिव से मारपीट मामले में राजनीति तेज, न्यायिक हिरासत में भेजे गए ‘आप’ के दो विधायक

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के साथ हुई मारपीट के मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के दोनों विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल को तीस हजारी कोर्ट ने एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई मारपीट के मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के दोनों विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल को पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में पेश किया। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से दोनों विधायकों की 2 दिन की पुलिस रिमांड मांगी, लेकिन कोर्ट ने पुलिस की मांग को अस्वीकार कर दिया और दोनों विधायकों को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

इससे पहले विधायक अमानतुल्ला खान ने 21 फरवरी को दिल्ली के जामिया नगर पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण किया था। खान पर पार्टी के ही विधायक प्रकाश जरवाल के साथ मिलकर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट करने का आरोप है।

विशेष पुलिस आयुक्त देपेंद्र पाठक के मुताबिक, "अमानतुल्ला खान 21 फरवरी की दोपहर को पुलिस के सामने सरेंडर किया।” इस मामले में 20 फरवरी की रात को विधायक प्रकाश जरवाल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके साथ ही बुधवार यानी 21 फरवरी की सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन से पुलिस ने सिविल लाइंस थाने में पूछताछ भी की।

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया था कि मुख्यमंत्री के सलाहकार भी घटना के वक्त वहां मौजूद थे। मुख्य सचिव ने 20 फरवरी को आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान और उनके सहयोगियों ने सोमवार यानी 19 फरवरी की आधी रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर सीएम के सामने उनसे मारपीट की, जहां उन्हें बैठक के लिए बुलाया गया था।

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई मारपीट की घटना को लेकर दिल्‍ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष अजय माकन और दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने उप राज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की। उप राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद शीला दीक्षित ने इस घटना को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के इतिहास में ऐसी हरकत कभी नहीं हुई। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की।

इस मामले में बीजेपी ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी प्रवक्त संबित पात्रा ने कहा कि इस घटना के बाद अरविंद केजरीवाल को सीएम के पद पर रहने का कोई हक नहीं है।

वहीं, आम आदमी पार्टी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मुख्य सचिव झूठे आरोप लगा रहे हैं और वह बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, “दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि हमने राजनीति में आकर कोई गलती कर दी है। सीएम और डिप्टी सीएम के घर पर छापे पड़ रहे हैं। हमारे 15 विधायकों को गिरफ्तार किया गया।”

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की मेडिकल रिपोर्ट से उन्हें चोट लगने की पुष्टि हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अंशु प्रकाश के होंठ और कान पर चोट लगी है। ऐसे में इस मेडिकल रिपोर्ट से आम आमदमी पार्टी के आरोपी विधायकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

दिल्ली प्रशासनिक अधीनस्थ सेवाओं के अध्यक्ष डीएन सिंह ने कहा है कि जब तक सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करती, तब सरकारी कर्मचारी काम नहीं करेंगे। वहीं आईएएस अधिकारियों ने दिल्ली सरकार में किसी भी मंत्री के साथ बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है।

वहीं, गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर उपराज्यपाल अनिल बैजल से एक रिपोर्ट मांगी थी। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने गृह मंत्रालय को इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि उन्हें इस घटना से बेहद दुख हुआ है।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के आरोपों के मुताबिक, 19 फरवरी की देर रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर उन्हें बैठक के लिए बुलाया गया था। इस दौरान आम आदमी पार्टी विधायकों ने सरकारी विज्ञापन रिलीज करने के लिए दबाव बनाया और उनके साथ मारपीट की। वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि मुख्य सचिव के साथ किसी ने मारपीट नहीं की। पार्टी का यह भी कहना है कि बैठक राशन वितरण के मुद्दे पर बुलाई गई थी, विज्ञापन के मुद्दे पर नहीं। पार्टी के मुताबिक, जहां तक रात में बैठक बुलाने का सवाल है तो इसकी वजह साफ है कि केजरीवाल सरकार झारखंड में राशन के अभाव में एक बच्ची की हुई मौत जैसी घटना दिल्ली में नहीं होने देना चाहती है।

जिस राशन वितरण के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार मुख्य सचिव को बैठक में बुलाए जाने की बात कर रही है। उसी मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली कैबिनेट के मुताबिक, राशन वितरण के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा। सरकार ने दिल्ली में एक मोबाइल बाइक एंबुलेंस योजना की शुरुआत के लिए एक पायलट योजना को भी मंजूरी दी है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राशन योजना पर यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि कई लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा था। दिल्ली कैबिनेट ने यह फैसला 20 फरवरी को लिया। आम आदमी पार्टी के अनुसार, 19 फरवरी की रात को इसी मुद्दे पर सीएम केजरीवाल के आवास पर बैठक बुलाई गई थी। जहां, मुख्य सचिव ने पार्टी के विधायकों पर खुद के साथ मारपीट का आरोप लगाया है।

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Published: 21 Feb 2018, 6:00 PM