बिहार एनडीए में अब ‘विशेष राज्य’ को लेकर सियासत तेज, बीजेपी-जेडीयू के अलग-अलग सुर

15वें वित्त आयोग की टीम के चार दिवसीय बिहार दौरे से लौटने के बाद सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर मतभेद देखने को मिल रहा है। ऐसे में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर सियासत शुरू हो गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

बिहार में बीजेपी नीत एनडीए सरकार में जहां बीजेपी राज्य को विशेष पैकेज की बात कर रही है, वहीं जेडीयू बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी पुरानी मांग पर बनी हुई है। बीजेपी के नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि 15वें वित्त आयोग की टीम के समक्ष विशेष राज्य की मांग उठी तक नहीं, हालांकि जेडीयू इसे पूरी तरह नकार रहा है। ऐसे में सत्ताधारी गठबंधन के दोनों प्रमुख दलों के नेताओं की बयानबाजी से राज्य में सियासत तेज हो गई है।

राज्य के मंत्री और जेडीयू नेता कृष्णनंदन वर्मा कहते हैं कि 15वें वित्त आयोग की बैठक में निश्चित तौर पर विशेष राज्य का दर्जा देने पर बात हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि बिहार के विकास के लिए 'विशेष राज्य' का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार को उम्मीद है कि ‘विशेष’ दर्जा मिलेगा। वहीं, राज्य के मंत्री और बीजेपी नेता विनोद नारायण झा कहते हैं कि बिहार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही विशेष पैकेज की घोषणा कर चुके हैं, जिस पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार बेहतर समन्वय के साथ बिहार के विकास के लिए दृढ़संकल्पित है।

वहीं, बीजेपी कोटे से मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि बिहार विशेष पैकेज से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार बिहार को लगातार मदद कर रही है। जेडीयू की मांग का जिक्र करने पर उन्होंने कहा, “हमारे सहयोगी क्या कह रहे हैं, यह उन्हीं से पूछिए।”

इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को 15वें वित्त आयोग की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराते हुए कहा था, “यहां की समस्या का समाधान विशेष दर्जा मिलने से ही संभव है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां प्रति व्यक्ति आय कम है, लेकिन व्यक्तिगत काम के द्वारा लोगों की आमदनी बढ़ी है, जो आंकड़ों में प्रतीत नहीं होता है।” वहीं 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह का कहना है कि वित्त आयोग विशेष राज्य के दर्जे पर विचार नहीं करता है। राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर विशिष्ट संस्था द्वारा अलग से अध्ययन कराने की जरूरत है।

वैसे देखा जाए तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कोई नई नहीं है। लेकिन इस मुद्दे को लेकर यहां राजनीति भी खूब हुई है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि राज्य में सत्ताधारी जेडीयू इस मांग को बिहार की जनआकांक्षा से जोड़कर इसे राज्य के हर तबके के पास पहुंचाने में सफल रही है। जेडीयू ने इस मांग को लेकर न केवल बिहार में, बल्कि दिल्ली तक में अधिकार रैली निकाली थी।

यही नहीं, बिहार में दलीय सीमाओं को तोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने 31 मार्च, 2010 को इस मामले का प्रस्ताव बिहार विधान परिषद से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था। इसके बाद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता देख 23 मार्च 2011 को राजग के सांसदों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा और 14 जुलाई को जेडीयू के एक शिष्टमंडल ने सवा करोड़ बिहार के लोगों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपा था।

बहरहाल, विशेष राज्य के दर्जे की वर्षो पुरानी मांग आज भी हवा में तैर रही है और अब लगता है कि ‘विशेष राज्य का दर्जा’ अब यहां सियासत का मुद्दा बन कर रह गया है। यही कारण है कि विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर कभी-कभार अपना झंडा बुलंद कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक लेता है।

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