कर्नाटक में मल्लिकार्जुन खड़गे के भव्य स्वागत की तैयारी, कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार पहुचेंगे गृह राज्य

राज्य कांग्रेस ने इस अवसर को चिन्हित करने और खड़गे को सम्मानित करने के लिए बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में सर्वोदय समावेश कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि यह पार्टी के लिए एक मेगा इवेंट होने जा रहा है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक की कांग्रेस इकाई पार्टी के अन्य संगठनों के साथ मिलकर कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे का भव्य स्वागत करने की तैयारी में जुटी है। कर्नाटक के रहने वाले खड़गे प्रतिष्ठित पद संभालने के बाद पहली बार छह नवंबर को गृह राज्य के दौरे पर पहुचेंगे।

कांग्रेस की कर्नाटक राज्य इकाई ने इस अवसर को चिन्हित करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में सर्वोदय समावेश कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि यह पार्टी के लिए एक मेगा इवेंट होने जा रहा है। कार्यक्रम में मल्लिकार्जुन खड़गे के स्वागत में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों के भाग लेने की उम्मीद है।

राज्य भर के प्रगतिशील संगठनों ने इस कार्यक्रम को अपना समर्थन दिया है। बड़ी संख्या में समर्थक इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। राज्य यूनिट ने खड़गे से किसी अन्य राज्य का दौरा करने से पहले कर्नाटक का दौरा करने का अनुरोध किया था। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस आयोजन के माध्यम से पार्टी उत्पीड़ित वर्गों को एक मैसेज देना चाहती है।


खड़गे की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति की गतिशीलता को बदल दिया है। खड़गे का उत्तरी कर्नाटक में काफी प्रभाव है। एससी-एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने का सारा श्रेय कांग्रेस ले रही है। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में न्यायमूर्ति नागमोहन दास की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। सत्तारूढ़ बीजेपी ने समिति की सिफारिशों को लागू किया है और एक सरकारी अधिसूचना भी जारी की है।

दोनों पार्टियां पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के विशाल वोट बैंक को प्रभावित करने की होड़ में हैं। इस स्तर पर, कांग्रेस नेताओं का वर्णन है कि खड़गे को कांग्रेस में सर्वोच्च पद पर पदोन्नत करना निश्चित रूप से फायदेमंद साबित होगा। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र यह भी बताते हैं कि पार्टी पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों को संदेश देगी कि यह एकमात्र ऐसी पार्टी है, जहां उत्पीड़ित वर्ग का उम्मीदवार सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकता है।


दूसरी ओर सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि उनके लिए उत्पीड़ित वर्गों के वोटों को लुभाना मुश्किल होगा, जो बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। पिछले चुनाव में पिछड़ा और शोषित वर्ग मजबूती से बीजेपी के साथ खड़ा हुआ था, लेकिन इस बार ऐसा होना मुश्किल दिख रहा है।

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