मुजफ्फरनगर पंचायत में चौधरियों को पहली कतार में बुलाकर प्रियंका ने जीता सबका दिल, '87 की बोट क्लब रैली को याद किया

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत कुछ मामलों में अनूठी रही। उन्होंने मंच पर पहुंचते ही पिछले पंक्ति में बैठे चौधरियों को पहली पंक्ति में बुलाकर सबका मन जीत लिया। वहीं अपने भाषण में 1987 की बोट क्लब रैली का जिक्र कर भावुक भी हो गईं।

फोटो : @INCUttarPradesh
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आस मोहम्मद कैफ

मुजफ्फरनगर में आज सुबह से ही घना कोहरा छाया हुआ था। सुबह सर्द थी। पिछले एक सप्ताह में ऐसा पहली बार हुआ था। मौसम में नमी थी। मुजफ्फरनगर शहर से 12 किमी दूर बघरा में पवित्र दरगाह आलिया अब्बास के नजदीक स्वामी कल्याण देव कॉलेज के मैदान में 11 बजे तक मीडिया कर्मियों की भीड़ यहां मौजूद किसानों से ज्यादा थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की किसान महापंचायत होने वाली थी, लेकिन मैदान में लोगों की संख्या कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के माथे पर चिंता जगा रही थी।

12 बजते-बजते भी संख्या सैकड़ो में ही थी और मीडियाकर्मियों में भीड़ को लेकर चर्चा हो रही थी। सहारनपुर और बिजनौर में कांग्रेस की किसान पंचायत में जुटी भारी भीड़ की मिसालें सामने थीं, ऐसे में बघरा का माहौल देख कांग्रेसजन ज्यादा चिंतित दिख रहे थे। लेकिन 12 बजे जैसे धुंध मिट गई, मौसम साफ हो गया, धूप खिल उठी और आचार्य प्रमोद कृष्णन के शब्दों में कहें तो 'मौसम बदल गया।' जन सैलाब उमड़ पड़ा। जिस मैदान में सिर्फ गिने-चुने नेता और मीडियाकर्मी दिखाई दे रहे थे, वह मैदान देखते-देखते ऐसा भर गया कि पैर रखने की जगह नही बची। लोग आसपास की छतों पर चढ़ गए। सड़कें जाम हो गई।

फोटो : आस मोहम्मद कैफ
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उत्तर प्रदेश में शामली और मुजफ्फरनगर के साझे कस्बे बघरा में प्रियंका गांधी 2 बजे के आसपास पहुँची। मंच पर पहुंचते ही प्रियंका गांधी ने पंचायत में आए लोगों को अभिवादन के तुरंत बाद मंच पर मौजूद खाप चौधरियों को प्रणाम किया और उन्हें दूसरी पंक्ति से उठाकर पहली पंक्ति में अपने बराबर में बैठा लिया। प्रियंका के इस रुख को देखकर भीड़ में 'प्रियंका गांधी' जिंदाबाद के नारे लगने लगे।

नाम पुकारे जाने पर रैली के आयोजक पूर्व विधायक पंकज मलिक के दोनों पुत्रों को दुलारने के बाद भाषण देने पहुंची प्रियंका गांधी का आत्मविश्वास साफ दिख रहा था। वे काफी उत्साहित भी दिखीं क्योंकि सहारनपुर और बिजनौर के बाद मुजफ्फरनगर की इस पंचायत में कहीं ज्यादा जन सैलाब उमड़ पड़ा था। भारतीय किसान यूनियन की राजधानी माने जाने वाले सिसौली से महज 10 किलोमीटर दूर बघरा का यह मैदान एक नई आहट का एहसास दिला रहा था। सिसौली चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का गांव है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान राजनीति का केंद्र है।


प्रियंका गांधी ने इस महापंचायत में भी अपना प्रण दोहराया कि वे किसानों की हर तकलीफ हर संकट में उनके साथ हैं। उन्होंने इधर-उधर की बात न कर सीधे गन्ने के भुगतान की बात की, जिस पर पंचायत में मौजूद क्या युवा और क्या बुजुर्ग किसान और चौधरी सिर हिलाते दिखे। प्रियंका ने कहा कि जितने पैसे में किसानों के गन्ने का भुगतान हो जाता उससे ज्यादा पैसे से प्रधानमंत्री ने अपने घूमने के लिए विमान खरीद लिया।

प्रियंका ने कहा, "प्रधानमंत्री जी को दुनिया भर की परवाह है, लेकिन दिल्ली की सीमा पर उनके घर से मात्र 4 किमी दूर 90 दिनों से बैठे किसानों की परवाह नही है। इनमें से अब तक 215 जान गंवा चुके हैं।" प्रियंका गांधी ने 1987 के किसान आंदोलन की याद भी दिलाई। उस वक्त की बात करते प्रियंका कुछ भावुक भी हुईं। उन्होंने गहरी सांस लेकर अपनी बात पूरी की। उन्होंने कहा कि, "1987 एक सरकार किसानों की जायज मांग के सामने झुक गई थी और वो सरकार मेरे पिता राजीव गांधी जी की थी। मुझे आज पूरा विश्वास है कि आज भी किसान ही जीतेंगे।"

इस किसान महापंचायत में आए सिसौली के बुजुर्ग किसान राजबीर चौधरी ने बताया कि वो 1987 के बोट क्लब के धरने में शामिल थे। वह धरना चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के आह्वान पर हुआ था। सरकार ने किसानों की बात मानी थी। उन्होंने कहा, "लेकिन मौजूदा सरकार अब तक की सबसे माड़ी (खराब) सरकार है। यह सरमायेदारों (पूंजीपतियों ) की सरकार है। प्रियंका गांधी ने भी यह बात कही और कहा कि प्रधानमंत्री जी अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के खातिर किसानों के हक़ को छीन रहे हैं।"

अब तक सबसे बड़ी इस किसान महापंचायत में उमड़े जन सैलाब में जाट मुस्लिम एकता पर भी बात हुई। खाप चौधरी संजय लिलोन ने कहा कि "हमें आपस में लड़ाकर कमज़ोर किया गया वो तमाम जाटों से कहना चाहते हैं कि जाट और मुसलमान भाई-भाई और सब किसान की लड़ाई मिलजुलकर लड़ें।"

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