वाराणसी रैली में प्रियंका गांधी ने लगाया 'जय माता दी' का जयकारा, देवी स्तुति से शुरु किया भाषण
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की वाराणसी में हुई किसान न्याय रैली में अपार जनसमूह उमड़ा। प्रियंका गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत देवी मां की स्तुति से करते हुए 'जय माता दी' का जयकारा लगाया। पढ़िए प्रियंका गांधी कापूरा भाषण:
आज नवरात्रि का चौथा दिन है, मैं व्रत कर रही हूं, तो मैं मां की स्तुति से शुरू करना चाहती हूं –
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
मेरे साथ कहिए – जय माता दी, जय माता दी।
मैं उपस्थित सभी नेतागण का, यहाँ पर मैं उन सबका स्वागत करना चाहती हूं -
श्री भूपेश बघेल जी, श्री अजय कुमार लल्लू जी, श्रीमती आराधना मिश्रा मोना जी, श्री दीपेंद्र हुड्डा जी, श्री प्रमोद तिवारी जी, श्री सलमान खुर्शीद जी, श्री पीएल पुनिया जी, राजेश मिश्रा जी, अजय राय जी, श्री इमरान प्रतापगढ़ी जी, प्रदीप माथुर जी, विवेक बंसल जी, प्रदीप जैन आदित्य जी, दीपक सिंह एमएलसी जी, जितेन्द्र सिंह, एक्स एमपी, कमल किशोर कमांडो जी, किशोरी लाल शर्मा जी, मोहम्मद मकीम जी, नदीम जावेद जी, राकेश सचान जी, सुप्रिया श्रीनेत जी, सोहेल अंसारी जी, जफर अली नकवी जी, पंकज मलिक जी, बृजलाल खाबरी जी, श्री अनुग्रह नारायण सिंह जी, उपस्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, फ्रंटल विभाग, प्रकोष्ठ के पदाधिकारी, सभी जिला शहर अध्यक्ष, युवा किसान, महिला और मीडिया के मेरे साथी, आप सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत।
नवरात्रि चल रही है। इस समय मुझे उचित लगा कि मैं आपसे अपने दिल की बात कहूं। जो सच्चाई मैंने उत्तर प्रदेश में पिछले दो सालों से देखी है, जबसे मैं यहाँ पर काम कर रही हूं। वो सच्चाई मैं आपके सामने रखना चाहती हूं।
शुरु-शुरु में जब मैंने यहाँ काम करना शुरु किया, तो एक घटना हुई, यहाँ से कुछ ही दूर, सोनभद्र में। इस घटना में 13 आदिवासी खेत में काम कर रहे थे, जब पुलिस प्रशासन की सहमति से कुछ लोग उनकी जमीन लेने की कोशिश कर रहे थे। वो लोग आए, ट्रैक्टर, जीप लेकर आए और उन्होंने मार पीट की, गोली चलाई और 13 आदिवासियों को शहीद किया। सोनभद्र में नरसंहार हुआ।
जब मैं उनसे मिलने गई, तो मेरे मन में एक बात बहुत स्पष्ट मुझे लगी। जिस परिवार के पास मैं जा रही थी, वे कह रहे थे, हमें मुआवजा नहीं चाहिए। हमें पैसा नहीं चाहिए किसी सरकार का। हमें न्याय चाहिए, लेकिन दीदी, हमें न्याय की उम्मीद नहीं है। ........ (inaudible) उनके पिता जी ने मुझसे कहा कि उनको घर के बाहर निकालकर उन्हें पिटा गया था। उनके बच्चों को धमकाया गया था। उनकी 9 साल की एक पोती को धमकाया गया था, लेकिन उनको न्याय की कोई उम्मीद नहीं थी। वे सिर्फ न्याय चाहते थे, लेकिन न्याय की उम्मीद नहीं थी उन्हें। उन मामलों में भी भाजपा के एक पूर्व विधायक, भाजपा के एक प्रधान के बेटे, भाजपा के एक कार्यकर्ता, तीनों मामलों में वो इन्वोल्व थे।
उसके बाद कोरोना हुआ। कोरोना के समय जहाँ-जहाँ से रिपोर्ट आई, वहाँ से वही रिपोर्ट आई कि जनता त्रस्त है, परेशान है और सरकार मदद की बजाए आक्रमक हो गई है। जो भी सुविधाएं थी, अगर कोई कहता था कि मेरे पास सुविधा नहीं है, मेरे पास ऑक्सीजन नहीं है, कोई अस्पताल ने कह दिया कि ऑक्सीजन खत्म हो रहा है, तो सरकार उन पर आक्रमण कर रही थी। उनको न्याय की उम्मीद नहीं थी। उनको ये उम्मीद नहीं थी कि ये सरकार संकट के समय उनकी मदद करेगी।
उसके बाद हाथरस का हादसा हुआ। जिसमें आप सबने देखा कि सरकार ने अपराधियों पर आक्रमण नहीं किया, सरकार ने अपराधियों को नहीं रोका, सरकार ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को अपनी बेटी की चिता जलाने से रोका। उनको ले भी नहीं गए साथ, पुलिस प्रशासन ने चिता जला दी। उस परिवार ने भी मुझे कहा कि दीदी हमें न्याय चाहिए, लेकिन न्याय की हम उम्मीद नहीं रख सकते।
आज लखीमपुर खीरी में जो हुआ, पिछले हफ्ते से हम देख रहे हैं, इस देश के गृह राज्यमंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी के नीचे, अपनी जीप के नीचे 6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया और सब परिवार, 6 के 6 परिवार ये कहते हैं कि हमें पैसे नहीं चाहिए, हमें मुआवजा नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए। लेकिन हमें न्याय दिलवाने वाला इस सरकार में हमें नहीं दिख रहा है।
आपने देखा कि सिर्फ सरकार पूरी तरह से उस मंत्री और उस मंत्री के बेटे की बचाव में लगी रही। पुलिस और प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने में लगी थी। जब मैंने रात में वहाँ जाने की कोशिश की तब हर सड़क पर पुलिस थी। मुझे रोकने की कोशिश की, तमाम पुलिस के घेरे थे, नाकाबंदियां थी। जो परिवार है, पीड़ित परिवार है, उनके घरों में उन्हें नजरबंद किया गया। लेकिन अपराधी को पकड़ने के लिए एक भी पुलिस वाला नहीं निकला। अपराधी के घर में उन्होंने निमंत्रण भेजा कि आप आकर हमसे बात करिए। आपने किसी भी देश में, दुनिया के किसी भी देश में या इस देश के इतिहास में आपने कभी ऐसा देखा है कि एक आदमी 6 किसानों को कुचल दे, 6 लोगों की हत्या कर दे और उसको पुलिस निमंत्रण दे रही है कि आईए हमसे बात करिए? आपने कहीं ये देखा है बताइए?
कभी भी इस देश और इस दुनिया के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ होगा। यहाँ के मुख्यमंत्री मंच पर बैठे हुए उस मंत्री का बचाव कर रहे थे, जिसके बेटे ने ऐसा काम किया। जो प्रधानमंत्री लखनऊ आ सकते थे, प्रदर्शन को देखने के लिए, उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन को देखने के लिए, आजादी के प्रदर्शन को देखने के लिए, वो दो घंटे की दूरी पर लखीमपुर खेरी नहीं जा सकते थे, उन किसानों के हाथ पकड़ने के लिए, उनके आंसू पोंछने के लिए। ये आजादी किसने दी - जिस आजादी का महोत्सव मना रहे हैं, अमृत उत्सव मना रहे हैं, ये आजादी हमें किसने दी है – ये आजादी हमें किसानों ने दी है, किसान के बेटे ने दी है। इस देश को किसान ने सींचा है। किसान का बेटा हमारी सीमाओं पर खड़ा है आज भी। ये किसान के बेटे हैं, जो हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। हमारी सीमाओं पर इस देश की आजादी की सुरक्षा कर रहे हैं।
ये देश क्या है – ये देश एक आस्था है, एक उम्मीद है। इसी न्याय की उम्मीद पर इस देश को आजादी मिली। जब महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए गए तो उनके दिल में ये था कि मेरी जनता को, मेरे लोगों को, मेरे देश के किसानों, दलितों, मेरे देश की महिलाओं को, देश के गरीबों को न्याय मिलना चाहिए। न्याय पर हमारा संविधान आधारित है। लेकिन इस देश में न्याय की उम्मीद सब छोड़ चुके हैं।
तो मैं आपसे कहना चाहती हूं कि जब लखीमपुर खीरी में मैं शहीद नक्षत्र सिंह जी के घर गई, उन्होंने मुझे बताया कि उनका बेटा सीमा सुरक्षा बल में दाखिल हुआ है। जब मैं अगले परिवार से मिलने गए, तो मुझे बताया गया कि उनके तमाम भाई-बहन सेना में देश की सुरक्षा करते हैं। जब मैं रमन कश्यप, पत्रकार के घर गई, मुझे बताया गया कि उनको काम करते-करते मारा गया। उनको जीप के नीचे कुचला गया, क्योंकि वो वीडियो ले रहे थे, सच्चाई दिखाना चाह रहे थे। सारे परिवारों ने यही कहा कि हमें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। तो अगर हमारे देश में कोई कुचला जाता है, किसी के प्रति हिंसा होती है, किसी पर अत्याचार होता है और उसको न्याय मिलने की उम्मीद नहीं होती, तो किसके पास जाएगा? अगर सरकार, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह राज्यमंत्री, विधायक सभी मिले हुए हैं, सभी अपनी पीठ मोड़ देते हैं उनकी तरफ, तो किसके पास जाए जनता और क्या करे?
आप जानते हैं कि किसान ने 9-10 महीनों से एक आंदोलन जारी रखा है। 300 दिन से अधिक ये आंदोलन चल रहा है। इसमें 600 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं। क्यों कर रहे हैं ये आंदोलन – आंदोलन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये जानते है कि ये सरकार के जो तीन कानून हैं, उनके जरिए उनकी आमदनी, उनके खेत, उनकी फसल, सब इस सरकार के खरब मित्रों के पास जाने वाली है, उनके कब्जे में होने वाली है।
मोदी जी के अरबपति मित्रों ने पिछले साल हिमाचल से सेब 88 रुपए किलो में खरीदा था। इस साल वही सेब 72 रुपए किलो में खरीद रहे हैं और सबकी मजबूरी हो गई है कि वो सेब का दाम घटाएं। किसान की लागत बढ़ गई है क्योंकि फसल की कीमत तय करने का फैसला अब खरबपति कर रहे हैं। इसलिए मनचाहे ढंग से कीमत घटा दी गई। ये ही स्थिति पूरे देश में होगी, जब इनके कानून लागू होंगे, तो आपकी खेती, आपकी फसल, सब आपसे छिना जाएगा।
मोदी जी ने जो आंदोलन कर रहे थे उन किसानों के बारे में क्या कहा – उन्हें आंदोलनजीवी कहा, आतंकी कहा। योगी जी ने उपद्रवी कहा, धमकाने की कोशिश की। इसी गृह राज्यमंत्री ने धमका कर कहा कि मैं दो मिनट में तुम्हें सबक सिखा दूंगा। आंदोलन करने की कोशिश की, तो दो मिनट में सबक सिखा दूंगा।
दुनिया के कोने-कोने तक हमारे प्रधानमंत्री घूम सकते हैं, अमेरिका जा सकते हैं, जापान जा सकते हैं, देश-देश में भ्रमण कर सकते हैं, लेकिन अपने किसानों से बात करने के लिए अपने घर से मात्र 10 किलोमीटर दूर दिल्ली के बॉर्डर तक नहीं जा सकते। अपने आपको गंगा पुत्र कहने वाले हमारे प्रधानमंत्री ने गंगा मैया के आशीर्वाद से खेतों में फसल लहलहाने वाले करोड़ों गंगा पुत्रों का अपमान किया है। उनकी पूरी आमदनी, उनकी खेती, उनकी फसल अपने खरबपति मित्रों को देने की साजिश की है। क्या वो जानते हैं कि आपके प्रदेश में किसान कितनी समस्याओं से जूझ रहा है? क्या वो जानते हैं कि आवारा पशु की कितनी बड़ी समस्या है यहाँ? क्या रात को आपकी सड़कों पर उन्होंने चल कर देखा है कि हर किलोमीटर, हर आधे किलोमीटर पर आवारा पशु बैठे हुए हैं? मैंने देखा है।
किसानों की बिजली के दाम 3 बार बढ़ा चुके हैं। क्या नरेन्द्र मोदी जी ने देखा है कि आपको कितने बड़े-बड़े बिल मिल रहे हैं कि जब आपको बिजली नहीं मिल रहे हैं, फिर भी आपको बिजली के बिल मिल रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री जी ने देखा है, कुछ कहा है इसके बारे में?
प्रदेश का हर परिवार त्रस्त है, दुखी है। धान और गेहूं का दाम नहीं मिलता। यूरिया, खाद बेहद महंगा हो गया है। जीएसटी, खेती में जो काम करने के इंस्ट्रूमेंट होते हैं, उन पर भी जीएसटी लगा रखी है। 100 रुपए का पेट्रोल, 90 रुपए का डीजल, 900 रुपए में रसोई का गैस, (विशाल जनसभा ने कहा कि 1,000 हो गया है), 1000 हुआ है। 1,000 रुपए में रसोई का गैस। 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। कोयला खत्म हो रहा है। बेरोजगारी चरम पर है। जहाँ – जहाँ जाओ, बेरोजगार युवा वहाँ मिलते हैं।
परसों मैं लखनऊ की एक बस्ती में गई। मैं इसलिए गई थी क्योंकि योगी जी ने कुछ ऐसे शब्द इस्तेमाल किए सफाई कर्मचारियों के प्रति, मेरी बहनों के प्रति, जो रोज सुबह अपने घर में झाडू मारती हैं। जो सफाई करते हैं, हमारे देश, हमारे शहरों को साफ रखते हैं, उनके प्रति उन्होंने अपशब्द कहे। तो मैं एक बस्ती में गई, वाल्मिकी मंदिर में झाडू लगाने के लिए और उन सबसे बात करने के लिए जो इस काम को अपनी आमदनी के लिए, अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए करते हैं। उन सबने मुझे बताया, मैं घर-घर गई। एक घर से दूसरे घर गई। हर घर में मुझे बताया, अपने युवा बच्चे मेरे सामने लाए। किसी ने एमए किया था, किसी ने बीए किया था, किसी ने आईटीआई किया था, किसी के पास भी नौकरी नहीं थी। किसी एक का रोजगार नहीं था और जो रोजगार कर रहे थे, जो सफाई कर्मचारी थे, उनका वेतन महीनों से नहीं बढ़ाया गया था।
दुखी है जनता, त्रस्त है, नाराज भी है और नाराज होना चाहिए। क्योंकि जिस समय आप इन परेशानियों से गुजर रहे हैं, आप संघर्ष कर रहे हैं, उसी समय प्रधानमंत्री जी के खरबपति मित्र करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। हजार-करोड़ रुपए से ज्यादा एक दिन में कमाते हैं और आपकी आमदनी एकदम बंद है।
कोरोना के समय तमाम छोटे बिजनेस, छोटे व्यापारी, तमाम लोगों को अपने काम बंद करने पड़े, अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी, अपने व्यापार बंद करने पड़े। क्या सरकार ने कोई राहत दी? कोई राहत नहीं मिली। सिर्फ आपको प्रताड़ित किया। कभी जीएसटी, कभी नोटबंदी, कभी कुछ और। सब देशों में, इस पूरी दुनिया में, जहाँ-जहाँ कोरोना की मार पड़ी, सरकार ने जनता को राहत दी, लेकिन आपको कोई राहत नहीं मिली।
देश के हवाई अड्डों, देश की रेलवे, तमाम पीएसयू इनके खरबपति मित्रों को सौंपी गई हैं। आपको मालूम नहीं होगा शायद, प्रधानमंत्री जी ने पिछले साल अपने लिए 2 हवाई जहाज खरीदे। आप बताइए कितने के हो सकते हैं ये हवाई जहाज – सब मालूम है। सब पता है। एक हवाई जहाज 8,000 करोड़ रुपए का था। दो हवाई जहाज खरीदे कितने के – (विशाल जनसभा ने कहा 16,000 करोड़ रुपए के) और इस देश की पूरी एयर इंडिया कितने में बेची, अपने खरबपति मित्रों को कितने में बेची – 18,000 करोड़ रुपए में बेची। दो हवाई जहाज अपने लिए खरीदे 16,000 करोड़ रुपए में। इस देश की एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपए के लिए अपने दोस्तों को बेच दी।
देखिए, समझ लीजिए, जब-जब मैं लोगों से बात करती हूं, एक बात उभरती है कि हाँ कुछ हो नही रहा है, कमाई नहीं है, रोजगार नहीं है, किसान त्रस्त है। नदियों के पास रहने वाला निषाद त्रस्त है, दलित त्रस्त है, महिला त्रस्त है, सब त्रस्त हैं। लेकिन दीदी एक बात है कि मीडिया में बहुत आता है कि हम सुरक्षित है। लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि क्या आपको सच्चाई दिख नहीं रही है?
इस देश में सिर्फ दो तरह के लोग सुरक्षित हैं आज। एक - जो भाजपा का सत्ताधारी नेता है वो, और दूसरा – जो उसका खरबपति मित्र है। सिर्फ दो तरह के लोग सुरक्षित हैं। इस देश में कोई धर्म का व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। किसी भी जाति का व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। इस देश में ना मजदूर सुरक्षित है, ना मल्ला सुरक्षित है, ना निषाद सुरक्षित है, ना दलित सुरक्षित है, ना गरीब सुरक्षित है, ना अल्पसंख्यक सुरक्षित है, ना मेरी महिला बहनें सुरक्षित हैं। इस देश में सिर्फ प्रधानमंत्री, उनके मंत्रिमंडल के लोग, उनकी पार्टी के लोग, जो सत्ता में हैं, वो सुरक्षित हैं और उनके जितने भी खरबपति अमीर मित्र हैं, वो सुरक्षित हैं। इस बात को सही ढंग से पहचानिए।
ये देश नष्ट हो रहा है, इस बात को पहचानिए। जितने भी इश्तिहार बस स्टेंडों पर लग रहे हैं, बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लग रही हैं, इनके पीछे जो सच्चाई है, आप जानते हैं। आप जी रहे हैं उस सच्चाई को। आपका अनुभव है। आप बताइए (विशाल जनसमुद्र से मुखातिब होकर श्रीमती प्रियंका गांधी ने पूछा) – आपको फसल का दाम मिलता है ? (विशाल जनसभा ने कहा – नहीं) गैस सिलेंडर मिलता है आपको?- (विशाल जनसभा ने कहा – नहीं), भरवा पाती हैं आप? (विशाल जनसभा ने कहा – नहीं)। आपके बच्चों को रोजगार मिलता है? (विशाल जनसभा ने कहा – नहीं)। तो सच्चाई क्या है और इस सच्चाई को बोलने से लोग ड़र क्यों रहे हैं, किस चीज से भय है? क्या हो जाएगा?
समय आ गया है, चुनाव की बात नहीं है अब।(तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा) अब देश की बात है। ये देश भाजपा के पदाधिकारियों, उनके मंत्रियों, उनके प्रधानमंत्रियों की जागिर नहीं है। ये देश आपका देश है, आपका देश है। इस देश को कौन बचाएगा, कौन बचाएगा इस देश को (लोगों ने कहा कांग्रेस) – अगर आप जागरुक नहीं बनेंगे, समझदार नहीं बनेंगे। अगर आप इनकी राजनीति में उलझे रहेंगे, तो आप ना अपने देश को बचा पाएंगे, ना अपने आपको बचा पाएंगे। आप किसान हो, इस देश की आत्मा हो। जितने भी मंच पर नेता बैठे हैं, उनको आपने बनाया है। आपकी मेहनत ने बनाया है इस देश को। ये कभी मत भूलिए। जो आपको आंदोलनकारी कहते हैं, जो आपको आतंकवादी कहते हैं, उनको न्याय देने के लिए मजबूर करिए।
कांग्रेस के जितने भी कार्यकर्ता यहाँ हैं, वे किसी से नहीं डरते हैं। किसी से नहीं डरते हैं हम। हमें जेल में डालिए, हमें मारिए, हमें कुछ भी कर लीजिए, हम लड़ते रहेगें, लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे, जब तक वो गृह राज्यमंत्री अपना इस्तीफा नहीं देगा, तब तक हम लड़ते रहेंगे, हम हिलेंगे नहीं, हम हटेंगे नहीं। हम कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, (प्रियंका गाँधी आगे बढ़ो के नारों के बीच उन्होंने कहा) हमारी पार्टी ने इस देश की आजादी की लड़ाई लड़ी है। हमें कोई चुप नहीं कर सकता। हमें कोई रोक नहीं सकता।
जितने भी लोग मेरी बातों को सुन रहे हैं, चाहे आप यहाँ मौजूद हैं, चाहे आप टीवी पर देख रहे हैं, अपने अंतरमन में झांकिए और अपने आपसे सिर्फ एक सवाल पूछिए, सिर्फ एक सवाल पूछिए कि जबसे ये सरकार आई है, इन पिछले 7 सालों में क्या आपके जीवन में तरक्की आई है कि नहीं? (लोगों ने कहा नहीं) क्या विकास आपके द्वार पर आया है कि नहीं? (लोगों ने कहा नहीं) जो वचन आपसे किए हैं, वो निभाए गए हैं कि नहीं? (लोगों ने कहा नहीं) सिर्फ ये एक सवाल पूछ लीजिए और अपने ही मन में ईमानदारी से इस सवाल का जवाब दीजिए और अगर इस सवाल का जवाब यही है कि आपके जीवन में तरक्की नहीं हुई, तो आ जाइए, मेरे साथ खड़े होइए, कंधे से कंधा लगाइए और लड़िए। बदलिए इस सरकार को, परिवर्तन लाइए। अपने प्रदेश को बदलिए, क्योंकि मैं तब तक नहीं रुकूंगी, जब तक यहाँ पर परिवर्तन ना आए।
मैं आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि आप यहाँ आए, इतनी धूप में मेरा इंतजार किया। आप सबको नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
जय माता दी।
जय हिंद।
जय किसान। जय किसान। जय किसान।
जय हिंद। जय हिंद। जय हिंद।
(प्रियंका गांधी का पूरा भाषण आप नीचे दिए वीडियो में देख-सुन सकते हैं)
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