प्रियंका गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का सुना दर्द, मदद का दिलाया भरोसा

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करते हुए एक महिला अभ्यर्थी ने प्रियंका गांधी को बताया कि जब 2016 में उन्होंने परीक्षा दी थी, चयन के बाद बहुत खुश थीं, लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं हुई। उनके दो छोटे-छोटे जुड़वे बच्चे हैं, उनकी चिंता रहती है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश में बेरोजगारी चरम पर है। देश के युवा आज राष्ट्रीय बेरोगारी दिवस मना रहे हैं। इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बेरोजगार युवाओं बात कर उनकी व्यथा सुनीं। कांग्रेस महासचिव ने 2016 के 12460 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बातचीत की। गौरतलब है कि 2016 में 12460 शिक्षक भर्ती में शून्य जनपद के अभ्यर्थी अबतक नियुक्ति से वंचित हैं। इस शिक्षक भर्ती विज्ञापन में 51 जिलों में पद थे लेकिन 24 जिलों में पद शून्य थे। विगत 3 साल से शून्य जनपद वाले अभ्यर्थी कोर्ट- कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रियंका गांधी ने उनका हाल जाना।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करते हुए एक महिला अभ्यर्थी ने प्रियंका गांधी को बताया कि जब 2016 में उन्होंने परीक्षा दी थी, चयन के बाद बहुत खुश थीं, लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं हुई। उनके दो छोटे-छोटे जुड़वे बच्चे हैं, उनकी चिंता रहती है। वे नौकरी न मिलने पर लगभग दो साल तक अवसाद में थीं। कई दिनों तक वे सोफे पर पड़ी रहती थीं, उनके बच्चे भूखे प्यासे रहने को मजबूर थे। अपनी बातों को रखते हुए उन्होंने कहा कि अब घर की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। अपने बच्चों पर 10 रुपया खर्च करने के लिए उन्हें 10 बार सोचना पड़ता है।


प्रियंका गांधी से बात करते हुए अन्य अभ्यर्थी ने कहा कि बड़ी ही मेहनत से उसने पढ़ाई की है। सोचा था कि परिवार वालों की मदद कर पाऊंगा, लेकिन तीन साल से धक्के खा रहा हूं। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू किया था अब कोरोना काल में वह भी बंद है। घर का एक सदस्य प्राइवेट नौकरी करता है लेकिन अब उनकी भी नौकरी छूट चुकी है। घर की स्थिति यह है कि अब शाम-सुबह के खाने की चिंता होने लगी है।

दो अन्य अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा करते हुए कांग्रेस महासचिव से कहा कि नौकरी न मिलने से उनकी शादी टूट गई और वे अब सामाजिक उपहास के पात्र बन गए हैं। यह कहते हुए एक अभ्यर्थी ने भावुक होते हुए कहा कि आखिर हमारी गलती क्या है? हम योग्य हैं। परीक्षा में बेहतर नम्बर लाए हैं, लेकिन सरकार रोज रोज अपना नियम बदलती है।

प्रियंका गांधी ने सभी अभ्यर्थियों का दर्द सुनने के बाद उन्होंने उन्होंने वादा किया कि वे हर सम्भव मदद करेंगी। उन्होंने बातचीत में कहा कि यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं का मसला है। यह न्याय का सवाल है।

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