महाराष्ट्रः नौकरियों में महापोर्टल के जरिये बड़े घोटाले की आशंका, जांच हुई तो सामने आ सकता है फडणवीस का व्यापमं

पूर्व की बीजेपी सरकार से निराश महाराष्ट्र के बेरोजगार युवा उद्धव ठाकरे सरकार से मांग कर रहे थे कि राज्य में महापोर्टल के जरिये अब तक जो भी परीक्षाएं हुई हैं और जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं, उनकी एसआईटी से जांच हो, ताकि महापोर्टल में की गई गड़बड़ियों का खुलासा हो सके।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवीन कुमार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के शासनकाल में राज्य के लाखों बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने के मकसद से तैयार किए गए महापरीक्षा का महापोर्टल बंद कर दिया है। सरकार की तरफ से इसका जीआर भी निकाला गया है, जिसके मुताबिक अब नए सिरे से महाआईटी के माध्यम से परीक्षा का आयोजन होगा।

महापरीक्षा का महापोर्टल बंद करने के पीछे कारण यह है कि इस महापोर्टल के माध्यम से ली जाने वाली परीक्षाओं से योग्य उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिल रही थी, जिससे बेरोजगार युवाओं का भविष्य अंधकार में दिखने लगा था। बेरोजगार युवा इस महापोर्टल को बंद कराने के लिए गांव से लेकर शहर तक में आंदोलन कर रहे थे।

पूर्व की बीजेपी सरकार के सहयोग नहीं करने से निराश बेरोजगार युवाओं और नेताओं ने ठाकरे सरकार से मांग की थी कि इस महापोर्टल के माध्यम से अब तक जो भी परीक्षाएं हुई हैं और जिन परीक्षार्थियों को नौकरी मिली है, उसकी एसआईटी से जांच कराई जाए ताकि परीक्षा के दौरान महापोर्टल में की गई गड़बड़ियों की साजिश का खुलासा हो सके। बेरोजगार युवाओं को भरोसा है कि जांच के बाद मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले की तरह ही महाराष्ट्र के इस कथित व्यापमं घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा।

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आईटी विभाग की मदद से 19 सितंबर 2017 में सरकारी नौकरी में भर्ती की परीक्षा के लिए महापरीक्षा नामक एक नया महापोर्टल शुरू किया था। इससे पहले राज्य में महाऑनलाइन नामक पोर्टल से परीक्षा ली जाती थी। लेकिन उसे आनन-फानन में फडणवीस सरकार ने बंद करा दिया। महाऑनलाइन पोर्टल से महाराष्ट्र नॉलेज कॉर्पोरेशन और टाटा कंसल्टेंसी जुड़ा हुआ था। आईटी विभाग को इनके साथ काम करने का अच्छा अनुभव था।


इसके बावजूद महापरीक्षा के महापोर्टल से राज्य के आईटी विभाग ने निविदा के जरिए यूएसटी इंटरनेशनल और आरसीयूएस नामक कंपनियों को जोड़ा। निविदा इस तरह से निकाले गए थे जिससे स्थापित नामचीन कंपनियों ने इसमें हिस्सा ही नहीं लिया। सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से व्यापमं नौकरी भर्ती के लिए जिस कंपनी को काम दिया गया था, उसमें यूएसटी इंटरनेशनल भी शामिल थी।

हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस ने डिजिटल इंडिया के नाम पर प्रचारित किया था कि नौकरी भर्ती में पारदर्शिता के लिए महापरीक्षा का महापोर्टल शुरू किया गया है। लेकिन इस महापोर्टल के माध्यम से यूएसटी इंटरनेशनल और आरसीयूएस ने जिस तरह से सरकारी नौकरी भर्ती के लिए परीक्षा लेना शुरु किया, उससे पारदर्शिता की धज्जियां उड़ गई और उसी साल यानी 2017 से ही इस महापोर्टल को बंद करने के लिए बेरोजगार युवाओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी।

धीरे-धीरे करके फडणवीस तक शिकायतें पहुंचाई गईं। मगर फडणवीस बेरोजगारों और युवाओं की शिकायतों को नजरअंदाज करते चले गए। तत्कालीन विधान परिषद सदस्य कपिल पाटील ने अक्तूबर 2018 में फडणवीस को पत्र लिखकर कहा था कि महापरीक्षा का महापोर्टल व्यापमं घोटाले जैसा है। उन्होंने श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी। लेकिन फडणवीस के रवैए से शक की सूइयां भी बड़ी तेजी से घूमने लगीं।

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और किसान नेता राजू शेट्टी से भी पीड़ित बेरोजगार युवाओं ने न्याय दिलाने की गुहार लगाई। तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इसे राजनीतिक नजरिए से देखा और ली जाने वाली परीक्षाओं में गड़बड़ियों के साथ शिकायतें बढ़ती गईं। अब इसे न सिर्फ तत्कालीन बीजेपी सरकार की सुनियोजित साजिश के रूप में देखा जा रहा है बल्कि यह एक बड़े घोटाले का रूप भी लग रहा है।


तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 72 हजार सरकारी नौकरियों के लिए यह महापोर्टल शुरु किया था। पहले चरण में 36 हजार पद भरना था। लेकिन तलाठी (पटवारी, राजस्व विभाग का कर्मचारी) भर्ती के दौरान पहला ही अनुभव खराब रहा। 1800 रिक्त पदों के लिए साढ़े पांच लाख से भी ज्यादा उम्मीदवार परीक्षा में बैठे। इसके लिए राज्य में 24 दिनों तक रोज दो सत्रों में परीक्षा चली। लेकिन प्रश्न पत्रों और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में भी गड़बड़ियां खूब हुईं। इसका असर रिजल्ट पर भी पड़ा। योग्य उम्मीदवार अवाक रह गए।

इसी तरह वन रक्षक की भर्ती परीक्षा भी 18 दिनों तक चली। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक मंडल के कनिष्ठ लिपिक की परीक्षा पुणे में हुई और परीक्षा के दौरान सेंटर पर बिजली नहीं थी। दूसरे दिन भी बिजली की यही हालत थी। इससे ऑनलाइन परीक्षा और भर्ती में भ्रष्टाचार का मामला गरमाने लगा। युवक कांग्रेस अध्यक्ष सत्यजीत तांबे ने कहा है कि जब राज्य में बेरोजगारों की बड़ी फौज है तब बीजेपी के शासनकाल में महापोर्टल परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

यूएसटी इंटरनेशनल और आरसीयूएस कंपनियों ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम में भी भर्ती के लिए परीक्षा ली, जिसमें कई गड़बड़ियां सामने आईं और परीक्षार्थियों ने हंगामा किया। फडणवीस के शहर नागपुर में तो हंगामे के बाद दोबारा परीक्षा ली गई थी। ग्राम विकास, राज्य गुप्त वार्ता, शिक्षा, नगर परिषद, कृषि, राजस्व विभाग की नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा के दौरान भी काफी हंगामा हुआ। परीक्षा केंद्रों पर सुविधाएं नहीं थीं, तो प्राइवेट सायबर कैफे में परीक्षाएं ली गईं, जहां कोई पर्यवेक्षक नहीं थे।

एक तरफ जहां कंप्यूटर बंद थे तो दूसरी तरफ परीक्षार्थियों की बायोमैट्रिक जांच भी नहीं हुई। परीक्षा केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक सामान ले जाने की मनाही होती है, लेकिन परीक्षार्थी लैपटॉप और मोबाइल भी साथ लाए थे। कई जगह आरोप है कि डमी परीक्षार्थियों ने परीक्षाएं दी। सामूहिक रूप से कॉपी भी की गई। ऐसे में रिजल्ट में गड़बड़ी आना स्वाभाविक था।


एंटी महापरीक्षा पोर्टल समिति के कार्यकर्ताओं के साथ विधायक बच्चू कडू ने नागपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी को आवेदन देकर महापरीक्षा पोर्टल बंद करने की मांग की थी। कोल्हापूर स्पर्धा परीक्षा विद्यार्थी कृती समिती के तौफिक मुल्लाणी का कहना है कि फडणवीस सरकार ने बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा किया है और सोची-समझी साजिश के तहत अयोग्य लोगों को नौकरी दिलाई गई है। अगर जांच होती है तो यह व्यापमं से भी बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। इसकी जांच होनी चाहिए।

बुलढ़ाणा में तो छात्रों ने आमरण अनशन भी किया था। नांदेड़ स्पर्धा संघर्ष समिति के अध्यक्ष बलवंत शिंदे का आरोप है कि महापोर्टल के जरिये ज्यादातर अपात्रों को नौकरी मिली है। इस महापोर्टल के माध्यम से अप्रैल 2019 में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में 32 हजार सरकारी पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए थे जिसके लिए 34 लाख आवेदन भरे गए थे। सामान्य वर्ग के आवेदक से 500 रूपए और आरक्षित उम्मीदवारों से 350 रूपए बतौर शुल्क लिए गए थे। अब उसका कोई हिसाब-किताब नहीं है और परीक्षाएं भी नहीं हुई हैं। यह भी एक बड़ा घोटाला है।

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