विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका पर उठने लगे सवाल, ममता ने स्टालिन से की बात

स्टालिन ने बताया कि ममता ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपाल के अलोकतांत्रिक कामकाज के खिलाफ हमारी पहल पर एकजुटता दिखाने और प्रशंसा करने के लिए फोन पर मुझसे बात की और सुझाव दिया कि सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों को बैठक कर आगे की कार्रवाई तय करनी चाहिए।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

देश में विपक्ष शासित राज्यों में केंद्र के दखल और इसमें राज्यपालों की भूमिका पर विरोध खड़ा होता नजर आ रहा है। इसे लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से फोन पर बात की है और देश में विभिन्न विपक्षी शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने बुधवार को ट्विटर के माध्यम से ममता बनर्जी द्वारा इस विशेष मुद्दे पर उनसे बात किए जाने की जानकारी दी है। स्टालिन ने ट्वीट में कहा, "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपाल के अलोकतांत्रिक कामकाज के खिलाफ हमारी पहल के लिए अपनी एकजुटता और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए फोन पर मुझसे बात की और सुझाव दिया कि सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों को बैठक कर आगे की कार्रवाई तय करनी चाहिए।"

ममता बनर्जी की एम के स्टालिन से फोन पर बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम बंगाल में विभिन्न मुद्दों पर राजभवन और चुनी हुई टीएमसी सरकार का झगड़ा नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। कुछ ऐसे ही हालात तमिलनाडु में हैं, जहां मुख्यमंत्री स्टालिन की सरकार लगातार राज्यपाल पर कामकाज में हस्तक्षेप करने और कैबिनेट या विधानसभा से पारित फैसलों को जानबूझकर लटकाने के आरोप लगाती आ रही है।


पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री बासु ने 14 अप्रैल को विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों के बाद के सर्वेक्षण के दौरे को लेकर राज्यपाल के खिलाफ तीखा हमला किया था। बासु ने उस दिन मीडियाकर्मियों को बताया था, "राज्यपाल जिस तरह विभिन्न विश्वविद्यालयों में सफेद हाथी की तरह घूम रहे हैं, वह यथार्थ, उचित या नियमों के अनुरूप नहीं है। हमने नए राज्यपाल के प्रति कभी कोई अहंकार नहीं दिखाया। हम उनका सहयोग करना चाहते हैं। लेकिन वह अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और बार-बार अपनी हद से बाहर जा रहे हैं।"

मंत्री ने विश्वविद्यालयों के लिए धन स्वीकृत करने के राज्यपाल के अधिकार पर भी सवाल उठाया। बासु ने पूछा, "राज्यपाल द्वारा घोषित धन राज्य के खजाने से आएगा। वह शिक्षा विभाग से परामर्श किए बिना ऐसी घोषणा कैसे कर सकते हैं।" इससे पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी हनुमान जयंती की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के राज्यपाल के फैसले को हल्के में नहीं लिया था, पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस मुद्दे पर राज्यपाल पर निशाना साधा था।

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