वरिष्ठ पत्रकार जफर आगा के निधन पर दिग्गजों ने जताया दुख, राहुल गांधी बोले- वह एक मार्गदर्शक और कई लोगों के लिए थे प्रेरणा

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दुख जताते हुए लिखा- जफर आगा पत्रकारिता की दुनिया में एक दिग्गज व्यक्ति थे, एक मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक और कई लोगों के लिए प्रेरणा थे।

फोटो: नवजीवन
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नवजीवन डेस्क

देश के वरिष्ठ पत्रकार और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज़) के पूर्व प्रधान संपादक जफर आगा का आज निधन हो गया है। जफर आगा मौजूदा समय में कौमी आवाज के प्रधान संपादक थे। जफर आगा के परिजनों ने बताया कि वो बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। आज सुबह 5.30 बजे उनका निधन हो गया। जफर आगा के निधन पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दुख जताया है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर दुख जताया है।

राहुल गांधी ने लिखा "वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज़ के पूर्व प्रधान संपादक जफर आगा जी के निधन के बारे में जानकर मुझे दुख हुआ। वह पत्रकारिता की दुनिया में एक दिग्गज व्यक्ति थे, एक मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक और कई लोगों के लिए प्रेरणा थे। वह उन मूल्यों के लिए दृढ़ता से खड़े रहे जिन पर हमारा गणतंत्र आधारित है। उन्होंने आगे लिखा इस कठिन समय में मैं उनके बेटे, परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।

वहीं प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने जफर आगा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। PCI ने कहा कि हम परिवार और दोस्तों के साथ एकजुटता से खड़े हैं


जफर आगा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड के एक मित्र और सहकर्मी, आज सुबह हमने एक और बहुत सम्मानित और प्रिय सहकर्मी जफर आगा को खो दिया। एक करीबी निजी मित्र जफर भाई इस समय में दुर्लभ थे: एक अच्छे, ईमानदार पत्रकार और शांत हास्यबोध वाले।

जफर आगा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल प्लेटफार्म एक्स पर किये पोस्ट में कहा, "दुखद समाचार: वरिष्ठ पत्रकार जफर आगा का आज सुबह निधन हो गया। 1990 के दशक में जब मैं पहली बार दिल्ली आया, तो जफर भाई ने बहुत दयालुता के साथ मुझे कई राजनेताओं से मिलवाया, खासकर जनता दल के नेताओं से, जो उन दिनों एक बड़ी ताकत थी। वह अपनी विचारधारा को ताक पर रखते थे लेकिन सत्ता में बैठे लोगों से अपने मन की बात कहने से कभी नहीं डरते थे।" RIP


वहीं वरिष्ठ पत्रकार सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि जफर आगा साहब के निधन के बारे में जानकर बहुत दुखी हूं। एक सिद्धांतवादी पत्रकार और सौम्य आत्मा। मैं नेशनल हेराल्ड में उनके साथ अपनी बातचीत को संजोकर रखता हूं। उसके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। ईश्वर उन्हें स्वर्ग में स्थान दें।'

वहीं रामशरण जोशी ने जफर आगा के निधन पर दुख जताते हुए लिखा- अलविदा, दोस्त! कुछ वक्त पहले का ही किस्सा है। एक रविवार मेरे समकालीन जफर आगा या दोस्त जफर प्रेस क्लब में टकरा गए। मैं और मधु( पत्नी) भोजन करके निकल ही रहे थे कि जफर प्रेस क्लब के हाल में दाखिल हो रहे थे। साथ में एक सहायक था जोकि उन्हें सम्हाले हुए था। हम चारों फिर से टेबल पर बैठ गए। जिंदादिली के साथ आगा दुनिया जहान पर टिप्पणी करने लगे। बोलने में दिक्कत जरूर महसूस कर रहे थे,लेकिन बेबाकी के साथ मौजूदा के साथ नरमी नहीं दिखा रहे थे,“ जोशी भाई,इस दौर से लड़ना तो पड़ेगा।बिना लड़े हथियार नहीं डालेंगे।" हम बीती सदी के अस्सी के दशक से परिचित हुए और वैचारिक दोस्त बनते चले गए। वे अक्सर ’जोशी जी या जोशी भाई," से संबोधित किया करते थे। कहने लगे, ’जोशी जी, बेहद चेलांजिग दौर है। हम लोग जैसे पहले थे आज़ भी वही हैं।वक्त बदलेगा, देखना“।

हमें क्या मालूम था कि दोनों केलिए यह आखरी मुलाकात रहेगी।फिर भी दोस्त जफर आगा का अलविदा करना नागवांर लगा है।पर आखरी मुठभेड़ का सारांश यही है : रात भर का मेहमां है अंधेरा, किसके रोके रुका है सवेरा। यादों को नमन!

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