चाहे धक्के खाने पड़ें या लाठियां, देश के लोगों की रक्षा करना कर्तव्य: हाथरस कांड पर बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा है कि देश के लिए लोगों के हितों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है, इसके लिए भले ही उन्होंने पुलिस की लाठियां खानी पड़े या धक्के। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथरस जाते हुए जो सहा वह पीड़ित परिवार के सामने कुछ भी नहीं।

फोटो : @INCIndia
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नवजीवन डेस्क

'हाथरस में अंतरराष्ट्रीय साजिश देखना योगी की मर्जी, लेकिन यह एक त्रासदी'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि 'यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मर्जी है कि उन्हें हाथरस की घटना में एक 'अंतर्राष्ट्रीय साजिश' दिखाई देती है, लेकिन मैं तो इसे एक बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी के रूप में देखता हूं।' एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में राहुल ने एक सवाल के जवाब में कहा, "यह योगी आदित्यनाथ की मर्जी है कि वह इस घटना को लेकर किसी भी तरह की कल्पना कर सकते हैं, लेकिन मैं जो देखता हूं, वह यह है कि एक प्यारी सी लड़की को बेरहमी से मार डाला गया और अब उसके परिवार को धमकाया जा रहा है।"

कांग्रेस सांसद ने कहा कि इससे भी रोचक यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।

'भारतीयों के हक के लिए धक्के-लाठी कुछ भी नहीं'

गौरतलब है कि राहुल और प्रियंका गांधी के हाथरस जाने के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा धक्कामुक्की की गई थी। साथ ही बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो सहा, यह उस दर्द के आगे कुछ भी नहीं है, जिससे पीड़ित परिवार गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उन्हें धकेला गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा उन्हें धकेला जाना कोई बड़ी बात नहीं है।

राहुल ने कहा कि उनका और उनकी पार्टी का काम भारत के लोगों के हितों की रक्षा करना था, यही वजह है कि वह हाथरस गए और पंजाब में भी किसानों के साथ खड़े हुए। फिर चाहे इसके लिए उन्हें धक्के खाने पड़ें या लाठियां।


राहुल गांधी ने कहा कि, "कल्पना करें कि आपके बेटे या बेटी को इस तरह से मारा जा रहा है और आपके परिवार को विरोध करने, न्याय की मांग करने पर निशाना बनाया जा रहा है। मैंने इस घटना को इसी तरह महसूस किया और इसीलिए अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ। बात सिर्फ हाथरस की पीड़िता और उसके परिवार की नहीं, बल्कि देश की उन हजारों-लाखों महिलाओं की है, जिनके साथ लगभग हर दिन दुष्कर्म होते हैं।"

'मैं एक बेटा भी हूं, और मां के प्रति भी कर्तव्य है'

यह पूछे जाने पर कि कृषि बिल पर मतदान के दौरान वह संसद में मौजूद क्यों नहीं थे, तो राहुल ने कहा कि वह एक बेटा भी हैं और अपनी मां के प्रति उनके भी कुछ कर्तव्य हैं। उन्होंने कहा कि उस दिन उनकी मां को मेडिकल जांच के लिए विदेश जाना पड़ा था। पारिवारिक कारणों से उनकी बहन, मां के साथ नहीं जा सकी थीं, इसीलिए उनका जाना उनकी जिम्मेदारी थी।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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