सिविल सेवा में कैडर आवंटन नियमों में बदलाव संघ के हाथों में प्रशासन देने की साजिश: राहुल गांधी

सिविल सेवा में कैडर आवंटन नियमों में बदलाव का प्रस्ताव प्रशासनिक मशीनरी को संघ के हाथों में देने की साजिश है, इससे छात्रों के भविष्य पर खतरा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस कोशिश के खिलाफ छात्रों को खड़ा होने का आव्हान किया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि आरएसएस छात्रों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने पीएमओ द्वारा मंत्रालयों को लिखे पत्र की प्रति के साथ ट्विटर पर लिखा है कि सिविल सेवा में वरीयता के लिए परीक्षा में हासिल अंकों के बजाए विशेष किस्म के प्रावधान कर प्रधानमंत्री आरएसएस की पसंद के अफसरों की नियुक्ति करना चाहते हैं। उन्होंने छात्रों से इस जोर-जबरदस्ती के खिलाफ खड़े होने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि छात्रों का भविष्य खतरे में है।

गौरतलब है कि पीएमओ ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें सिविल सेवा में कैडर आवंटन के लिए विशेष कोर्स करने की बात कही गई है।

वहीं समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक ट्वीट में लखा है कि, “संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के काडर और सेवा आवंटन नियमों में संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले की मैं दृढ़ता से निंदा करता हूं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पहले से ही सर्वग्राही है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार द्वारा विस्तृत पैमाने पर समग्र मूल्यांकन किया जाता है। वर्तमान प्रणाली अच्छी तरह से चल रही है और इसमें पक्षधरता की संभावना कम है। सरकार के इस फैसले से एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक वर्ग के मन में पक्षपात होने की आशंका है। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि पूर्व की व्यवस्था जिसमें सभी वर्गों का विश्वास है उसे बनाए रखें। ”

कांग्रेस ने इसे सोमवार को नौकरशाही के भगवाकरण की कोशिश करार दिया था। कांग्रेस ने कहा था कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएगी। पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मकसद सिर्फ संस्थाओं को नष्ट करना है।कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री का मकसद सिर्फ संस्थाओँ को नष्ट करना है और कुछ नहीं। सुरजेवाला ने कहा कि, “मोदी जी ने सिविल सेवाओं की वरीयता के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है, उससे इस संस्था को नुकसान होगा।” उन्होंने कहा कि नए नियमों से सरकारों को कैडर आवंटन में मनमर्जी करने की छूट मिल जाएगी, जो कि अक्षम्य है।

वहीं कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि सिर्फ फाउंडेशन कोर्स के आधार पर आईएएस-आईपीएस की वरीयता तय करना नामंजूर है। उन्होंने कहा कि यह उन मेहनती ओबीसी, दलितों और आदिवासी छात्रों के साथ ज्यादती है, जो दिन-रात एक कर इस मुकाम तक पहुंचते हैं। इससे आने वाले दिनों में उनके लिए मौके कम होंगे। उन्होंने इसे आरक्षण में बदलाव की एक और साजिश करार दिया है।

इसके अलावा कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि, “इस सबके लिए संविधान में तय नियम हैं, कि जो लोग चुने जाते हैं, उन्हें वरीयता के आधार पर कैडर दिया जाता है। लेकिन पीएमओ के इशारों पर चलने वाली यह सरकार भारतीय सिविल सेवा की निष्पक्षता से समझौता करना चाहती है। यह एक उल्लंघन है।” उन्होंने सरकार को ऐसा न करने की चेतावनी दी। उन्होंने इसे संघ के इशारे पर नौकरशाही के भगवाकरण की संज्ञा दी। आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में उठाएगी।

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Published: 22 May 2018, 1:42 PM
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