अगली सरकार अगर एनडीए की बनी भी, तो मोदी नहीं होंगे प्रधानमंत्री : राहुल गांधी

राहुल गांधी का मानना है कि अगला चुनाव अगर एनडीए जीतता भी है, तो उसके सहयोगी दल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर स्वीकार नहीं करेंगे। उनके मुताबिक ऐसे में राजनाथ सिंह के पीएम बनने की संभावना बनती है

फोटो : सोशल मीडिया
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रेणु मित्तल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि 2019 में जो सरकार बनेगी उसमें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई जगह नहीं होगी।

संसद भवन में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कम से कम 60-70 सीटों का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह सीटें बीजेपी से छिनकर आएंगी और बीजेपी को कम से कम इतनी ही सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसे में अगर बीजेपी को 220 के आसपास सीटें मिलती हैं, तो उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर होना पड़ेगा, और ऐसा नहीं लगता कि बीजेपी के सहयोगी दल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करेंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सिर्फी सिर्फ उसी स्थिति में फिर से प्रधानमंत्री बन सकते हैं, जब बीजेपी को कम से कम 240 सीटें मिलें। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सहयोगी दलों पर बीजेपी की निर्भरता कम होगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और दूसरे अन्य राज्यों में काफी फायदा होगा और लोकसभा में उसकी सीटों की संख्या बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि एक साल पहले तक कोई नहीं कह सकता था कि गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन इतना शानदार रहेगा और वहां कांग्रेस आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीजेपी सिकुड़ रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में क्या होने वाला है।

राहुल ने कहा कि आम धारणा के उलट कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी, इससे कार्यकर्ताओँ का मनोबल बढ़ा है, और अब कार्यकर्ता आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनावों पर राहुल का कहना हैकि बीजेपी हिंदुत्व कार्ड खेलने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि कर्नाटक में बीजेपी के मंसूबे पूरे नहीं होंगे।

राहुल गांधी के इन बयानों से साफ है कि कांग्रेस ने आने वाले चुनावों के लिए ‘माइंडगेम’ खेलना शुरु कर दिया है। यह कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि हाल की राजनीतिक घटनाओं और चुनावी नतीजों के संदर्भ में ऐसे बयानों का महत्व काफी बढ़ जाता है। गौरतलब है कि राजस्थान उपचुनावों में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा और गुजरात में बमुश्किल वह अपनी सरकार बचा पाई है। यह बयान और अनुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के दिनों में पीएम मोदी देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की बात कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी की रणनीति संभवत: यह है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को एक साथ कराकर पीएम मोदी के ‘करिश्मे’ का फायदा उठाया जाए, क्योंकि कई राज्यों में बीजेपी की हालत खराब है। लेकिन राहुल गांधी के ऐसे बयानों से बीजेपी कार्यकर्ताओं में हताशा का माहौल बनने की संभावना है।

सियासी नजरिए से देखें तो राहुल गांधी अपने बयानों से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की रेस से बाहर कर रहे हैं, जबकि इसके उलट बीजेपी और नरेंद्र मोदी को लगता है कि केंद्र और राज्यों में उसकी सत्ता में वापसी होगी तो सिर्फ और सिर्फ मोदी के करिश्मे के चलते ही होगी।

यूं भी अब यह बात छिपी नहीं है कि एनडीए में बीजेपी के सहयोगी दल बेहद नाराज हैं और कुछ ने तो खुलेआम मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी नए राजनीतिक मित्र और नए गठबंधनों की तलाश में हैं। इस साल के बजट में बीजेपी मोटे तौर पर मध्य वर्ग को उसके हाल पर छोड़ चुकी है, जबकि इसी मध्यवर्ग ने उसे सत्ता के शिखर पर पहुंचाया था। वे अब ‘गरीबों के मसीहा’ बनने की कोशिश कर रहे हैं। इस साल के बजट में इसका अक्स देखने को मिलता है। दूसरी तरफ बहुत से बीजेपी सांसदों के लिए भविष्य की राजनीति अनिश्चितताओं से भरी हुई लगती है। ऐसे में अगर मोदी-रहित किसी सरकार की बात आएगी, तो बीजेपी के अपने ही बहुत से सांसद दूसरी तरफ खड़े नजर आएंगे। इस मायने में राहुल के अनुमान सही समय पर लगाए गए सियासी खेल की चाल हैं। यूं भी राहुल ने अब खुलेआम पीएम मोदी पर सीधे आरोप लगाना शुरु कर दिए हैं। राफेल समझौता इसकी मिसाल है, जिसे लेकर उन्होंने सीधे-सीधे मोदी सरकार पर घोटाले के आरोप लगाए।

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Published: 07 Feb 2018, 9:26 AM