रेलवे को सरकार का ‘भीम’ एप नहीं पेटीएम पसंद है, हर प्लास्टिक बोतल पर 5 रुपए का ऑफर

रेल मंत्रालय ने देश के कई स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल नष्ट करने वाली मशीनें लगाई हैं, और ऐसा करने वालों को हर बोतल पर 5 रुपए की ऑफर दी है। लेकिन यह ऑफर सरकारी एप भीम के बजाए पेटीएम से दी जा रही है।

फोटो : सोशल मीडिया
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विक्रांत झा

पिछले दिनों खोजी समाचार वेबसाइट कोबरापोस्ट ने एक स्टिंग ऑपरेशन में सनसनीखेज़ खुलासा किया था कि कैसे मोबाइल वॉलेट एप पेटीएम सरकार के साथ उसके ग्राहकों का डाटा शेयर कर रहा है। पेटीएम की यह कारगुजारी सूचना तकनीक एक्ट का उल्लंघन है।

और, अब पेटीएम का एक और कारनामा मौजूदा मोदी सरकार की साझेदारी में सामने आया है। इस बार रेल मंत्रालय पेटीएम पर मेहरबान है। रेलवे ऑफर में लोगों को पेशकश दी गई है कि रेलवे स्टेशनों पर लगे प्लास्टिक बॉटल क्रशर यानी प्लास्टिक की बोतल को नष्ट करने वाली मशीन में डालेंगे, तो उनके पेटीएम वॉलेट में 5 रुपए आ जाएंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ये मशीनें बेंग्लुरु के सभी मुख्य स्टेशनों पर लगी हैं। इनमें केएसआर सिटी, यशवंतपुर, कैंट और कृष्णाराजपुरम् स्टेशन शामिल हैं। इसके अलावा ऐसी मशीनें अहमदाबाद, पुणे और मुंबई में भी स्टेशनों पर इस्तेमाल की जा रही हैं।

लेकिन, सवाल यह है कि आखिर सरकार का रेल विभाग इस ऑफर के लिए सरकारी मोबाइल वॉलेट एप भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) को इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा? क्यों इसके लिए पेटीएम जैसे प्राइवेट एप का प्रोमोट किया गया?

भीम एप उपयोगकर्ता के बैंक खाते से सीधे जुड़ा होता है और इसके जरिए किए जाने वाला सारा लेनदेन सीधे यूजर के बैंक खाते से होता है। हर मायने में यह एप, पेटीएम से बेहतर और सुविधाजनक है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने इसी साल अप्रैल में कहा था कि, “हमें उम्मीद है कि 2022 तक देश की करीब आधी आबादी पेटीएम एप का इस्तेमाल कर रही होगी।” उनकी उम्मीद सही साबित होती दिख रही है, क्योंकि रेल मंत्रालय ही चीन की कंपनी अलीबाबा के स्वामित्व वाली पेटीएम को बढ़ावा दे रही है।

पाठकों को याद होगा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद पेटीएम ने अगले ही दिन देश के मुख्य समाचार पत्रों में पूरे पन्ने के बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया था। हालांकि इन विज्ञापनों की बड़े पैमाने पर आलोचना भी हुई थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि ये सब मिलीभगत थी। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के ऐलान के 15 दिन के अंदर ही पेटीएम इस्तेमाल करने वालों की तादाद 70 लाख पहुंच गई थी। इतना ही नहीं 10 नवंबर 2016 और 20 दिसंबर 2016 के बीच पेटीएम के ग्राहकों की संख्या 4 करोड़ पहुंच गई थी।

8 नवंबर 2016 की रात को नोटबंदी लागू होने के बाद जब पूरा देश बैंकों के बाहर कतार लगाए खड़ा था, छोट और मझोले कारोबार बरबाद हो रहे थे और अनौपचारिक क्षेत्र दम तोड़ रहा था, सिर्फ पेटीएम का कारोबार ही द्रुत गति से आगे बढ़ रहा था।

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