राजस्थान चुनाव: बीजेपी की पहली सूची से गुटबाजी उजागर, निराश दावेदार रोए, कहा- हमारी राजनीतिक हत्या की गई

विकास चौधरी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय रोने लगे। रुमाल से आंसू पोंछते हुए उन्‍होंने कहा, "मैं पिछले पांच वर्षों से क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन मेरी राजनीतिक हत्या कर दी गई है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी ने 23 नवंबर को होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जैसे ही अपनी पहली सूची जारी की, निराश उम्मीदवारों ने विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे राज्य इकाई में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई।

बढ़ते विरोध को देखते हुए पार्टी ने इस मुद्दे पर विचार के लिए केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। किशनगढ़ से नामांकन नहीं मिलने पर पूर्व विधायक और 2018 के प्रत्याशी डॉ. विकास चौधरी अपने समर्थकों की मौजूदगी में रोने लगे। उन्होंने रोते हुए कहा, ''मेरी राजनीतिक हत्या कर दी गई है।''

बीजेपी ने इस सीट से अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को टिकट दिया है। घोषणा के बाद मंगलवार सुबह से ही चौधरी के समर्थक उनके घर पर जुटने लगे। उधर विकास चौधरी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय रोने लगे। रुमाल से आंसू पोंछते हुए उन्‍होंने कहा, "मैं पिछले पांच वर्षों से क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन मेरी राजनीतिक हत्या कर दी गई है। भागीरथ चौधरी ने कभी मेरा समर्थन नहीं किया, जबकि मैंने हर चुनाव में उनका समर्थन किया था।"

विकास चौधरी ने आरोप लगाया कि यह टिकट धनबल के आधार पर खरीदा गया है। चोधरी ने कहा कि उन्होंने अब चुनाव लड़ने का फैसला अपने समर्थकों पर छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा, "अभी तर्पण-श्राद्ध का समय है, इसलिए कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे ही नवरात्रि शुरू होगी, हम अपने समर्थकों के समर्थन से चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे।" इससे पहले चौधरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था, "मैंने ईमानदारी से कड़ी मेहनत की है।"


जाट बहुल किशनगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने भागीरथ चौधरी को मैदान में उतारा है, जो 2003 और 2013 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। चौधरी की तरह ही पूर्व विधायक अनिता गुर्जर ने आरोप लगाया है कि उन्हें भरतपुर से टिकट नहीं दिया गया, क्योंकि वह पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे के गुट से हैं।

भरतपुर शहर विधानसभा से टिकट कटने से नाराज अनिता ने अपने फेसबुक पेज पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। बीजेपी ने शहर से जवाहर सिंह 'बेदम' को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

वहीं, वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत को भी मैदान में नहीं उतारा गया है। इससे नाराज उनके समर्थक सोमवार रात को वसुंधरा राजे के बंगले पर जमा हो गए थे। बताया जा रहा है कि शेखावत ने भी वसुंधरा से मुलाकात की है। कई पार्षद उनके समर्थन में इस्तीफा देने की धमकी दे रहे हैं।

वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक और उनकी सरकार में परिवहन मंत्री रहे रोहिताश्‍व शर्मा बानसूर से टिकट मांग रहे थे। फिलहाल वह बीजेपी से निष्कासित हैं। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में उन्होंने जनता से पूछा कि क्या वे उन लोगों को विधानसभा भेजेंगे, जिन्हें पैसे के दम पर टिकट मिलता है? उन्होंने जनता से कहा कि अगर जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया तो वे बानसूर के विकास के लिए चुनाव लड़ेंगे।

पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल ने कोटपूतली से टिकट नहीं मिलने पर खुलकर विरोध जताया था।

इस बार की सूची देखकर उन्होंने कहा, "जिस व्यक्ति ने पार्टी के झंडे जलाए, उसे टिकट दिया गया। हम इस फैसले से आहत हैं। मैं हमेशा से निर्दलीय चुनाव लड़ने के खिलाफ रहा हूं। इस फैसले से कांग्रेस उम्मीदवार को ताकत मिलेगी। हम मिलकर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।" 

बीजेपी ने सांचौर से सांसद देवजी पटेल को टिकट दिया है और वहां भी विरोध शुरू हो गया है। 2018 में भाजपा उम्मीदवार रहे दानाराम चौधरी के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि पटेल की जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी और वे गांवों में उनकी बैठकें भी नहीं होने देंगे।चौधरी समर्थकों का आरोप है कि सांसद को विधानसभा का टिकट देने का पार्टी का फैसला पूरी तरह से गलत है।

टोंक जिले के देवली-उनियारा से भाजपा ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट दिया है। इससे उनियारा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और उन्हें बाहरी उम्मीदवार करार दिया गया। कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और स्थानीय कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाने की मांग की।

पिछले चुनाव में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी रहे राजेंद्र गुर्जर के समर्थन में सभी लोग बीजेपी प्रदेश कार्यालय, जयपुर पहुंचे। यहां उनके समर्थकों ने बैंसला को बाहरी बताकर टिकट देने का विरोध किया। समर्थकों ने 'बाहरी लोगों को भगाओ, देवली-उनियारा बचाओ' के नारे भी लगाए।

पूर्व विधायक मास्टर मामन सिंह यादव ने मंगलवार को तिजारा में महापंचायत बुलाकर कहा कि सर्वे के आधार पर उनका नाम फाइनल हुआ है और केंद्रीय कमेटी ने उन्हें टिकट देने का आश्‍वासन भी दिया है, हालांकि सोमवार को पार्टी ने बाबा बालकनाथ को उम्मीदवार घोषित कर दिया।

टिकट नहीं मिलने से नाराज यादव ने कहा कि बाबा बालकनाथ को हर बूथ से सिर्फ एक वोट मिलना चाहिए और वह भी उनकी हैसियत के लिए। उन्होंने कहा कि पूरे तिजारा क्षेत्र में उन्हें कोई वोट नहीं मिलना चाहिए, बिल्‍कुल नहीं।

चौतरफा विरोध को देखते हुए बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है, जिसमें कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं, जो नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश करेंगे।

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