राजीव गांधी भारत में मौजूद बहुरूपता की सुरक्षा और संरक्षण के समर्थक थेः सोनिया गांधी

देश की अखंडता को अपने शैक्षिक लोकाचार और कार्यक्रमों के जरिए मजबूत बनाए रखने में अद्वितीय अभिदान के लिए वनस्थली यूनिवर्सिटी को आज साल 2020-21 का 'राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्रदान किया गया।

सोनिया गांधी ने देश की विविधता के प्रति राजीव गांधी की संवेदनशीलता को किया याद
सोनिया गांधी ने देश की विविधता के प्रति राजीव गांधी की संवेदनशीलता को किया याद
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली के जवाहर भवन में रविवार को राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री और कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल समेत कई गणमान्य हस्तियों ने शिरकत की। समारोह में वनस्थली यूनिवर्सिटी को साल 2020-2021 के राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार उन लोगों और संस्थानों को दिए गए हैं जिन्होंने शांति, साम्प्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है। ये विषय हमेशा प्रासंगिक रहे हैं और आगे भी रहेंगे। ऐसे समय में ये और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब अलगाव, नफ़रत, कट्टरता, पक्षपात की राजनीति को बढ़ावा देने वाली शक्तियां अधिक सक्रिय होती हैं, उन्हें सत्ता का समर्थन प्राप्त होता है।

सोनिया गांधी ने कहा कि राजीव गांधी का राजनीतिक जीवन बेहद क्रूर तरीके से समाप्त किया गया था। लेकिन जितना कम समय उन्हें देश सेवा के लिए मिला, उसमें उन्होंने अनगिनत उपलब्धियां हासिल की थीं। वे भारत में मौजूद तरह-तरह की बहुरूपता की सुरक्षा और संरक्षण के समर्थक थे। उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक विरासत से स्पष्ट होता है कि वे इस बात को लेकर बेहद संवेदनशील थे कि धार्मिक, जातीय, भाषाएं और सांस्कृतिक विभिन्नता का जश्न मना कर ही भारत की एकता को मज़बूत किया जा सकता है।


सोनिया गांधी ने कहा कि राजीव गांधी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। 1988 में जब वे देश के प्रधानमंत्री थे, तब पहली बार भारत सरकार ने उनकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण से योजना जारी की थी। यही नहीं, उन्होंने पंचायतों और नगरपालिकाओं में भी महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण के लिए भी दिलो-जान से संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी। अगर आज 15 लाख से अधिक चुनी हुई महिला प्रतिनिधि ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में हैं तो ये उनकी दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का सर्वोच्च सम्मान है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 1989 के संसदीय चुनाव में पहली बार 18 साल के युवाओं, जिनमें आधी महिलाएं थीं, को वोट देने का अधिकार दिया गया और ये ऐतिहासिक योगदान था।

सोनिया गांधी ने कहा कि आज हम महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे बड़े और पूरी तरह से रेज़िडेंशियल वनस्थली यूनिवर्सिटी का सम्मान करते हैं, जो राजीव जी के सिद्धांतों और आदर्शों पर चलते हुए 15 हज़ार से अधिक विद्यार्थियों के नर्सरी से डॉक्टरेट स्तर तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाती है। महिला एजुकेशन का कई मायनों में अपना अलग स्थान है। जब वे शिक्षित होंगी, तभी वे अपने लिए एक बेहतर भविष्य बना सकती हैं। परिवार, समाज और देश के निर्माण में ख़ास योगदान दे सकती हैं। एक कहावत है - यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप सिर्फ़ एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं, लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक परिवार और पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।


महिलाओं को शिक्षित करने में वनस्थली यूनिवर्सिटी का एक लंबा और विशिष्ट इतिहास रहा है। यहाँ हमारी उच्च परंपरा और विरासत के साथ आधुनिकता की झलक भी देखने को मिलती है, जो इसे कई मायनों में सबसे अलग बनाती है। इसका राजस्थान और अन्य स्थानों पर सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में गहरा प्रभाव है। आज हम इसके काम, उपलब्धि और संकल्प का सम्मान करते हैं। राजीव गांधी के सपनों के भारत के लिए उनके प्रयासों और सिद्धांतों को भी याद करते हुए राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार के लिए चुना जाना स्वागत योग्य है। यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट के सभी लोग बधाई के पात्र हैं और इस अवसर पर मैं इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।

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