JDU में दरकिनार आरसीपी सिंह भविष्य को लेकर चिंतित, फिर से राज्यसभा जाने में अड़चन देख चला लंच पॉलिटिक्स का दांव

आरसीपी सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल इस साल की दूसरी छमाही में समाप्त हो रहा है और अनिश्चितता बनी हुई है कि उन्हें जेडीयू से राज्यसभा सदस्य के रूप में फिर से चुना जाएगा या नहीं। इसलिए पार्टी में अपने वफादारों की तलाश के लिए लंच पॉलिटिक्स शुरू की गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्रीय मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने शुक्रवार को पटना में अपने आधिकारिक आवास पर एक लंच पार्टी का आयोजन कर बिहार के सियासी गलियारों में एक नई चर्चा को हवा दे दी। कहा जा रहा है कि आरसीपी सिंह ने इस लंच का आयोजन अपनी ही पार्टी जेडीयू में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को संदेश देने के लिए किया है।

दरअसल आरसीपी सिंह के जेडीयू कोटे से केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनने के चलते राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उनको दरकिनार कर दिया गया है। कहा जाता है कि नीतीश कुमार सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आरसीपी सिंह को मोदी सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार के दौरान दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्रालय के विभागों के लिए बीजेपी के साथ सौदेबाजी करने के लिए कहा था।


पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि आरसीपी ने अपने निजी हितों को पार्टी से आगे रखा और अकेले केंद्रीय मंत्री बन गए। बीजेपी की तरह ही जेडीयू में भी एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत आरसीपी सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा। उसके बाद ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।

चर्चा है कि ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन नेताओं को किनारे लगा दिया गया जो आरसीपी सिंह के प्रति वफादार थे और पार्टी के भीतर प्रमुख पदों पर थे। इसलिए, आरसीपी सिंह के कई वफादार ललन सिंह खेमे में कूद पड़े। अब आरसीपी सिंह का राज्यसभा कार्यकाल भी इस साल की दूसरी छमाही में समाप्त हो रहा है और अनिश्चितता बनी हुई है कि उन्हें पार्टी से राज्यसभा सदस्य के रूप में फिर से चुना जाएगा या नहीं। इसलिए, वह पार्टी के भीतर अपने वफादारों को देखना चाहते हैं।


ऐसे में उनके द्वारा आज दी गई लंच पार्टी को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने 5,000 लोगों के लिए लंच पार्टी का इंतजाम किया है। मीडिया को भी आमंत्रित किया गया है, ताकि वह पार्टी के भीतर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को अपनी असली ताकत व्यक्त कर सकें।

आरसीपी सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बीजेपी के साथ बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह पहले ही लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर चुकी है और केंद्र में सरकार चलाने में सक्षम है।

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