दिल्ली में वीकली बाजार और होटल खोलने पर सीएम-एलजी में ठनी, केजरीवाल ने फिर भेजा प्रस्ताव

इससे पहले केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में होटल खोलने और ट्रायल बेसिस पर 1 हफ्ते के लिए साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति दी थी। दिल्ली सरकार द्वारा यह आदेश जारी किए जाने के 24 घंटे के अंदर ही उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इन दोनों ही आदेशों को निरस्त कर दिया था।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच एक बार फिर खींचतान शुरू हो गई है। बीते दिनों केजरीवाल सरकार ने ट्रॉयल के आधार पर साप्ताहिक बाजार और होटल खोलने की अनुमति दी थी। लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के इन दोनों अहम फैसलों को खारिज कर दिया। उपराज्यपाल द्वारा की गई कार्रवाई के बाद अब दिल्ली सरकार ने एक बार फिर प्रस्ताव भेजते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय का भी दरवाजा खटखटाया है।

केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर दिल्ली में होटल, जिम और वीकली बाजार खोलने की अनुमति देने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल को अपने प्रस्तावों की फाइल भेजी है। इससे पहले एलजी ने वीकली बाजार और होटल खोलने संबंधी दिल्ली सरकार के निर्णय को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद से केजरीवाल सरकार और एलजी में एक बार फिर तलवार खींच गई है।

दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने भेजे गए प्रस्तावों में कहा है, "दिल्ली में अब लगातार कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और हालात सुधर रहे हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार दिल्ली सरकार को फैसले लेने का हक है। देश में कई राज्यों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन वहां होटल, जिम और साप्ताहिक बाजार खुल रहे हैं, तो दिल्ली के लोगों को क्यों उनकी आजीविका कमाने से रोका जा रहा है। कोरोना की स्थिति में सुधार और दिल्लीवासियों की भावनाओं को देखते हुए होटल, जिम और वीकली बाजार खोल देना चाहिए। सरकार एलजी से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करती है।"

उपराज्यपाल को भेजे गए प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि उपराज्यपाल दिल्ली में कोरोना से हालात सुधरने के प्रति भलीभांति वाकिफ हैं और अब आर्थिक गतिविधियां खोलने की आवश्यकता है। लॉकडाउन के चलते दिल्ली के लोग पिछले चार महीने से परेशान हैं। यह प्रतिबंध हटने से वे अपनी जॉब और कारोबार फिर से शुरू कर सकते हैं।

साथ ही दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि पूरे देश में होटल और साप्ताहिक बाजार खुल गए हैं। कोरोना मामलों में अचानक वृद्धि का सामना कर रहे यूपी, कर्नाटक आदि राज्यों ने भी होटल और साप्ताहिक बाजार खुले रखे हैं। दिल्ली को छोड़कर पूरे देश में होटल और साप्ताहिक बाजार खुले हैं। दूसरी ओर, केंद्र सरकार उन्हें दिल्ली में खोलने की अनुमति नहीं दे रही है। केंद्र सरकार का ऐसा विरोधाभासी आचरण समझ से परे है।

दिल्ली सरकार के मुताबिक होटल दिल्ली के सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में 8 प्रतिशत का योगदान करते हैं। साप्ताहिक बाजार 5 लाख गरीब परिवारों को रोजगार प्रदान करते हैं। राजस्व मंत्री ने कहा कि दिल्लीवासी कोरोना के प्रसार के जोखिम के प्रति सचेत हैं। लेकिन जब केंद्र सरकार उन राज्यों में इन क्षेत्रों को खोलने की अनुमति दे रही है, जो कोरोना का केंद्र बन गए हैं तो उसी समय दिल्ली को इन क्षेत्रों को खोलने से क्यों रोका जा रहा है। दिल्ली के वासी पूछ रहे हैं कि हमें परेशान क्यों किया जा रहा है? हमारी आजीविका पर हमला क्यों हो रहा है?

गौरतलब है कि इससे पहले केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में होटल खोलने और ट्रायल बेसिस पर 1 हफ्ते के लिए साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति दी गई थी। दिल्ली सरकार द्वारा यह आदेश जारी किए जाने के 24 घंटे के अंदर ही उपराज्यपाल ने इन दोनों ही आदेशों को निरस्त कर दिया था।

इसे लेकर दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी गुहार लगाई है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री को इस बारे में एक पत्र लिख मामले में हस्तक्षेप करने और उपराज्यपाल के आदेश को पलटने की गुजारिश की है। सिसोदिया ने कहा, "कोरोना रोगियों की संख्या के मामले में दिल्ली अब देशभर में 11वें स्थान पर है। पूरे देश में अब बाजार और होटल खुल रहे हैं। ऐसे में दिल्ली में साप्ताहिक बाजार और होटल बंद रखकर केंद्र सरकार क्या हासिल करना चाह रही है, यह बात समझ से परे है। जिस राज्य ने कोरोना नियंत्रण में बेहतर कार्य किया है उसे अपने कारोबार बंद रखने के लिए बाध्य क्यों किया जा रहा है?"

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