यूपी विधानसभा में मायावती को झटका, बीएसपी में दोफाड़ के आसार, निलंबित विधायकों ने सदन में मांगी अलग सीट

बीएसपी सुप्रीमो मायावती को झटका लग सकता है क्योंकि उनकी पार्टी में दो फाड़ के आसार नजर आ रहे हैं। पार्टी से निष्कासित विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर अलग सीटें आवंटित करने की मांग की है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को बड़ा झटका लगा है। निलंबित विधायकों ने एक बार फिर बागवती सुर छेड़ा है। बीएसपी से निलंबित विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित से मिलकर अपने बैठने के लिए बीएसपी से अलग सीटें उपलब्ध कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि वे जहां पहले से बैठते रहे हैं, वहीं बैठें। इसके बाद बागी विधायक बीएसपी खेमे में जाकर बैठें। मगर बीएसपी में दो-फाड़ होने का खतरा गहराता जा रहा है।

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बगावत करने वाले सातों विधायकों- असलम राइनी (भिनगा-श्रावस्ती), चौधरी असलम अली (धौलाना-हापुड़), मो. मुज्तबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-प्रयागराज), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज), डॉ. हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल (मुंगरा बादशाहपुर जौनपुर) और वंदना सिंह (सगड़ी-आजमगढ़) को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निलबिंत कर दिया है। इन विधयकों को बुधवार को बीएसपी विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया था। इसीलिए इन सातों विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर सदन में अलग से बैठने की मांग की।

दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होने से पहले भिगना के विधायक असलम राइनी, धौलाना के असलम चौधरी, सिधौली के हरगोविंद भार्गव और प्रतापपुर के विधायक मुज्तबा सिद्दीकी ने विधानसभा अध्यक्ष दीक्षित से उनके कक्ष में मुलाकात की। विधायकों का कहना था कि बसपा से उनको निलंबित किया गया है, इसलिए सदन में उनके बैठने की अलग व्यवस्था की जाए। दीक्षित ने निलंबन की विधिवत जानकारी बीएसपी की ओर से न मिलने की बात कही। उन्होंने कहा कि अलग बैठने की व्यवस्था करने की यह ठोस वजह नहीं है, इसलिए पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही बैठें।

अलग बैठने की सीट मांगने पर सफाई देते हुए विधायक असलम राइनी ने आरोप लगाया कि बीएसपी महासचिव सतीश मिश्र पार्टी को खत्म करने पर तुले हैं। एक-एक कर पुराने कार्यकर्ताओं को बाहर किया जा रहा है। मिश्र के इशारे पर ही उनको विधायकों की बैठक में भी नहीं बुलाया गया।


उधर, बीएसपी विधानमंडल दल नेता लालजी वर्मा ने कहा कि निलंबन या निष्कासित करने का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ही करती हैं। उनको इस बारे में अधिक कुछ नहीं कहना है। बीएसपी के पास विधायकों की संख्या कुल 18 है। इनमें से नौ निलंबित किया जा चुके हैं। अगर देखा जाए तो बसपा के पास अपने विधायकों की संख्या नौ ही बची है।

अक्टूबर में की थी बीएसपी विधायकों ने बगावत

राज्यसभा चुनाव के समय अक्टूबर, 2020 में बीएसपी के सात विधायकों ने बागवत कर दी थी। इनमें से पांच विधायकों ने बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार रामजी गौतम के प्रस्तावक से अपना नाम वापस ले लिया था। इसके बाद ये पांचों विधायक समाजवादी पार्टी कार्यालय में देखे गए थे। उनकी बंद कमरे में अखिलेश से मुलाकात की भी खूब चचार्एं हुई थीं। अखिलेश से मिलने वालों में सुषमा पटेल, चौधरी असलम अली, असलम राइनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद व एक और विधायक थे। बसपा सुप्रीमो ने इसके बाद सातों विधायकों को निलंबित कर दिया।

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