उपेंद्र कुशवाहा के साथ आरजेडी नेताओं के जमावड़े के बाद चर्चा तेज, क्या एनडीए को लगने वाला है एक और झटका?

केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा द्वारा पटना में आयोजित मानव श्रृंखला में कई आरजेडी नेताओं के पहुंचने के बाद नए सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

क्या केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को एक और झटका लगने वाला है? शिव सेना के साथ छोड़ने और आंध्र प्रदेश की तेलगू देशम पार्टी की तरफ से साथ छोड़ने की धमकी के बाद क्या बीजेपी को अगला झटका बिहार से लगने वाला है?

दरअसल, केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने 30 जनवरी को पटना में शिक्षा सुधार के लिए मानव श्रृंखला का आयोजन किया। पटना के मिलर स्कूल मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में आरजेडी के कई नेता भी शामिल हुए। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि एनडीए में कुशवाहा के साथ मौजूद जेडीयू और बीजेपी में से किसी का भी कोई नेता उनके कार्यक्रम में नहीं पहुंचा।

कुशावाहा के कार्यक्रम में आरजेडी के बिहार इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के अलावा शिवानन्द तिवारी और तनवीर हसन मौजूद थे। लेकिन कार्यक्रम में कुशावाह के एनडीए के साथी जेडीयू और बीजेपी का कोई नेता वहां नहीं था। कार्यक्रम में कुशवाहा के साथ साधु यादव भी नजर आए। यही नहीं पटना के आयकर चौराहे पर लगे एक बड़े होर्डिंग में साधु यादव के साथ कुशावहा की फोटो भी बिहार में चर्चा के केंद्र में है।

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मानव श्रृंखला के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इस श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को विमर्श का मुद्दा बनाना है। कुशवाहा ने कहा कि इस आयोजन को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। कौन आया या कौन नहीं आया, इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए। कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था। हो सकता है कई लोग अपनी व्यस्तता के कारण नहीं आ पाए हों। लेकिन कार्यक्रम में आरजेडी के नेताओं की मौजूदगी ने इस बात को बल दे दिया है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर कुशवाहा भी सीधा जवाब देने से बचते नजर आए। उन्होंने कहा, "यह सब राजनीति की बातें हैं। आज शिक्षा की बात होनी चाहिए। यह शिक्षा को लेकर सबका ध्यान आकर्षित करने का विषय है।"

कुशवाहा के कार्यक्रम में शामिल हुए राजद नेता शिवानंद तिवारी ने इस बारे में कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह कोई भविष्यवक्ता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है, इसलिए राजद इस मुद्दे पर कुशवाहा के साथ है।

कुछ दिन पहले ही पूर्व सांसद और आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया था कि केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी उनकी पार्टी के संपर्क में हैं। हावांकि, कुशवाहा ने उनके बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि रघुवंश प्रसाद का मानसिक संतुलन खराब हो गया है।

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इस बीच कार्यक्रम से किनारा रखने वाली जेडीयू के नेताओं का कहना है कि सब जानते हैं कि कुशवाहा हर काम में सीएम नीतीश कुमार की नकल करते हैं और जब वे खुद केंद्र में मानव संसाधन विभाग के मंत्री हैं, तब उन्हें ऐसी श्रंखला की जगह ठोस कदम उठाने चाहिए।

बिहार की इस घटना की चर्चा इसलिए भी जोर पकड़ रही है, क्योंकि हाल ही में बीजेपी की परंपरावादी सहयोगी रही शिवसेना ने एनडीए का साथ छोड़ने की घोषणा की है। शिवसेना ने अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के मुक्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के मुखिया एन चंद्र बाबू नाडू ने भी बीजेपी को चेतावनी देते हुए एनडीए छोड़ने की धमकी दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र की शेतकारी संगठन ने भी कुछ महीने पहले एनडीए का साथ छोड़ दिया था। इसके अलावा राम दास अठावले की पार्टी आरपीआई (अटावले) और जम्मू कश्मीर में बीजेपी के साथ सरकार चला रही पीडीपी भी अक्सर मोदी सरकार की आलोचना करती रहती है। ऐसे में आने वाले समय में कुछ बड़ी राजनीतिक घटनाएं सामने आने की संभावनाएं हैं।

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