वित्त मंत्री की घोषणाओं का संघ से जुड़े मजदूर संगठन ने किया विरोध, कहा- निजीकरण राष्ट्रीय हितों के खिलाफ

मजदूर संघ ने वित्त मंत्री की घोषणाओं के लिहाज से शनिवार के दिन को देश के लिए दुखद करार दिया है। संघ ने कहा कि बिना किसी सामाजिक संवाद के सरकार परिवर्तन ला रही है। सरकार को ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श और बातचीत करने में शर्मिंदगी का अनुभव होता है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने देश के 8 सेक्टर का निजीकरण करने के संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाओं पर जोरदार विरोध जताया है। मजदूर संघ (बीएमएस) ने वित्त मंत्री की घोषणाओं के लिहाज से शनिवार के दिन को देश के लिए दुखद करार दिया है। संघ ने कहा है कि आठ क्षेत्रों के निजीकरण की घोषणा कर सरकार ने बताया है कि उसके पास विचारों की कमी है। मजदूर संघ ने कहा कि निजीकरण राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

बीएमएस ने कहा कि विफल विचारों से देश की अर्थव्यवस्था नहीं सुधरने वाली है। मजदूर संघ ने चौथे दिन वित्त मंत्री की घोषणाओं से निराशा जताते हुए कहा कि संकट के समय सरकार के पास अर्थव्यवस्था के उद्धार के लिए उपयुक्त विचारों की कमी है। कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा जैसे आठ सेक्टर को लेकर सरकार का कहना है कि निजीकरण के अलावा इसका कोई विकल्प नहीं है। यह सरकार के पास विचारों की कमी दर्शाता है।

भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि हर बदलाव का असर सबसे पहले कर्मचारियों पर पड़ता है। कर्मचारियों के लिए निजीकरण का अर्थ है बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान, गुणवत्ता की नौकरियों का अभाव होना। मुनाफाखोरी और शोषण का शासन होगा। बिना किसी सामाजिक संवाद के सरकार परिवर्तन ला रही है। जबकि सामाजिक संवाद लोकतंत्र के लिए मौलिक है। सरकार को ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श और बातचीत करने में शर्मिंदगी का अनुभव होता है।

संघ से जुड़े मजदूर संगठन ने कहा, "हमने हाल ही में अनुभव किया है कि संकट काल में निजी खिलाड़ी और बाजार फ्लॉप हो गए और हमारे सार्वजनिक क्षेत्रों ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" इसके बावजूद कोल सेक्टर के निजीकरण के लिए 50 हजार करोड़ आवंटित करना अत्यधिक आपत्तिजनक है। बाक्साइट और कोयला ब्लॉक सहित 500 खनन ब्लॉकों की नीलामी राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। रक्षा खर्च को कम करने के नाम पर डिफेंस सेक्टर में एफडीआई को 49 से 74 प्रतिशत तक बढ़ाना और आयुध फैक्ट्री बोर्ड का निजीकरण करना भी आपत्तिजनक है।

मजदूर संघ ने कहा कि 13 हजार करोड़ रुपये की धनराशि के लिए छह हवाई अड्डों की नीलामी और मेट्रो शहरो में ऊर्जा वितरण कंपनियों का निजीकरण भारत में लंबे समय के लिए हानिकारक साबित होगा। संघ ने कहा, "अंतरिक्ष का निजीकरण हमारी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। भारतीय स्टार्ट अप अंतरिक्ष की चुनौतियों को उठाने के लिए इतने सुसज्जित नहीं हैं। यहां तक कि परमाणु ऊर्जा को पीपीपी मोड में परिवर्तित किया जा रहा है, जो निजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। निजीकरण का रास्ता विदेशीकरण की ओर जाता है।"

भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि अब सरकारी तंत्र और वित्त मंत्रालय मुख्य रूप से निजीकरण और कॉरपोरेट के साथ संवाद करने पर काम करेंगे और उन्हें श्रम, कृषि और एमएसएमई जैसे सामाजिक क्षेत्रों पर ध्यान देने का समय नहीं मिलेगा। इसलिए भारतीय मजदूर संघ संकट काल में आठ सेक्टर के निजीकरण का जोरदार विरोध करता है।

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